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PHQ में संतोष रूंगटा समूह के स्टूडेंट्स हुए साइबर क्राइम के प्रति जागरूक

Feb 16, 2018

भिलाई। साइबर क्राइम क्या है, साइबर सेल की क्या आवश्यकता है, साइबर क्राइम के विभिन्न प्रकार कौन से हैं, पुलिस द्वारा साइबर क्राइम को आईपीसी की किन धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया जाता है, साइबर क्राइम की रोकथाम कैसे की जा सकती है, साइबर क्राइम अन्य क्राइम की अपेक्षा अलग कैसे है? युवाओं के मन में घुमड़ते इन सभी प्रश्नों का जवाब उन्हें राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ पुलिस के मुख्यालय PHQ विजिट के दौरान प्राप्त हुए।भिलाई। साइबर क्राइम क्या है, साइबर सेल की क्या आवश्यकता है, साइबर क्राइम के विभिन्न प्रकार कौन से हैं, पुलिस द्वारा साइबर क्राइम को आईपीसी की किन धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया जाता है, साइबर क्राइम की रोकथाम कैसे की जा सकती है, साइबर क्राइम अन्य क्राइम की अपेक्षा अलग कैसे है? युवाओं के मन में घुमड़ते इन सभी प्रश्नों का जवाब उन्हें राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ पुलिस के मुख्यालय PHQ विजिट के दौरान प्राप्त हुए। भिलाई। साइबर क्राइम क्या है, साइबर सेल की क्या आवश्यकता है, साइबर क्राइम के विभिन्न प्रकार कौन से हैं, पुलिस द्वारा साइबर क्राइम को आईपीसी की किन धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया जाता है, साइबर क्राइम की रोकथाम कैसे की जा सकती है, साइबर क्राइम अन्य क्राइम की अपेक्षा अलग कैसे है? युवाओं के मन में घुमड़ते इन सभी प्रश्नों का जवाब उन्हें राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ पुलिस के मुख्यालय PHQ विजिट के दौरान प्राप्त हुए।संतोष रूंगटा समूह कैम्पस में संचालित विभिन्न कालेजों के स्टूडेंट्स ने छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में विजिट कर सायबर क्राइम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। संतोष रूंगटा समूह के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा ने बताया कि इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की विजिट का उद्देश्य पुलिस साइबर सेल संबंधी तकनीकी ज्ञान तथा कार्यप्रणाली से अवगत होना था।
विजिट के दौरान आयोजित इंटरेक्टिव सेशन में संतोष रूंगटा ग्रुप के भावी इंजीनियर्स को संबोधित करते हुए एडिशनल डीजीपी आर.के. विज ने साइबर अपराधों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सोशल मीडिया में पर्सनल डिटेल्स शेयरिंग करने की आदत से भी साइबर अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। ज्यादातर लोग सोशल मीडिया के इस्तेमाल के दौरान अपने व्यक्तिगत विवरण शेयर करने में जरा भी नहीं झिझकते और इसका फायदा उठाकर साइबर अपराधी बड़ी वारदातों को अंजाम दे जातें हैं। उन्होंने बताया कि साइबर तकनीक के बारे में बेसिक जानकारी रखने के साथ सूचना प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी स्किल डेवलप करने की भी जरूरत होती है।
विज ने कहा, वर्तमान में युवा बड़ी संख्या में साइबर अपराध का शिकार बन रहे हैं। हाइटेक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। साइबर अपराध के बढऩे के पीछे लोगों का आधुनिक तकनीक के प्रति जागरूक नहीं होना प्रमुख कारण है। फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स का युवाओं में खासा प्रभाव है। साइबर एक्सपर्ट अपराधी इन्हीं जानकारियों को लेकर अपराध को अंजाम देते हैं।
एडीजी ने स्टूडेंट्स से साइबर रिलेटेड कुछ प्रश्न भी किये साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इंजीनियरिंग कर रहे संतोष रूंगटा समूह के भावी इंजीनियर्स ने भी इस दौरान विषय संबंधी भारी उत्सुकता दिखाई तथा अपनी जिज्ञासाओं का उचित समाधान प्राप्त किया। एक स्टूडेंट ने पूछा कि एटीएम में अलग से ऊपर से यदि फ्रॉड करने हेतु स्वाइप इंस्ट्रूमेंट फिक्स किया हुआ है तो इसका पता कैसे चलेगा? इसके जवाब में एडीजीपी ने कहा कि महानगरों में इस किस्म के अपराध हो रहे हैं और इसका एकमात्र उपाय इस प्रकार का शक होने पर स्वाइपिंग इंस्ट्रूमेंट को खींचकर देख लें अन्यथा असावधानी से अपराधी द्वारा एटीएम कार्ड का क्लोन भी बनाया जा सकता है और वीडियो कैमरा फिक्स कर वह पिन भी जान सकता है। एक स्टूडेंट के प्रश्न पर कि पुलिस साइबर सेल में किस प्रकार जॉब प्राप्त किया जा सकता है एडीजी ने कहा कि पहले वे अपने विषय से संबंधित नॉलेज को प्राप्त करें फिर उसमें दक्षता हासिल करें और अपनी प्रतिभा के आधार पर इस संबंध में यदि भर्ती का कोई विज्ञापन दिखे तो अवश्य अप्लाई करें। आईडियाज के कॉपीराइट के संबंध में प्रश्न पर उन्होंने बताया कि इसे चोरी से रोकने हेतु पेटेंट कराना आवश्यक होता है। विज ने युवाओं को आईपीएस इंटरव्यू के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्नों से भी युवाओं को वाकिफ कराया तथा सफलता प्राप्ति के टिप्स दिये।
इससे पूर्व पहले सेशन में पुलिस के एसआई ओमप्रकाश वर्मा ने साइबर क्राइम्स पर प्रेजेंटेशन दिया जिसके माध्यम से उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर पायरेसी, हैकिंग, सोर्स कोड थेफ्ट, लाइसेंस क्रैकिंग, एटीएम फ्रॉड, सोशल नेटवर्किंग क्राइम्स, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, साइबर पोर्नोग्राफी, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी क्राइम, इ-मेल स्पूफिंग, फिशिंग, साइबर टेररिज़्म आदि ऐसे साइबर क्राइम्स हैं जिन्हें क्राइम की श्रेणी को दखेते हुए सेक्शन 43, 66, 66ए, 67ए तथा 69 के अंतर्गन पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड किया जाता है। स्टूडेंट्स को पुलिस मुख्यालय स्थित साइबर लैब में प्रयुक्त उपकरणों की कार्यप्रणाली तथा जांच प्रणाली के संबंध में भी ऊपरी तौर पर जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के दौरान छ.ग. पुलिस विभाग की ओर से एसपी मनीषा ठाकुर रावटे, एसआई निशा टिकरिया तथा एसआई विक्रम ध्रुव की उपस्थिति रही वहीं संतोष रूंगटा समूह की ओर से फैकल्टी मेम्बर्स ओम प्रकाश देवांगन, अमित येरपुडे, शिवानी वाष्र्णेय, अनिषा सोनी की उपस्थिति तथा उल्लेखनीय योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन आरसीइटी की फैकल्टी प्रो. शिवानी वाष्र्णेय ने किया।

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