• Wed. Apr 24th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

प्रकृति के भविष्य पर निर्भर है हमारा भविष्य, कन्या महाविद्यालय में कार्यशाला

Mar 5, 2018

दुर्ग। शासकीय डॉ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विभिन्न आयोजन किए गए। इसमें पोस्टर द्वारा दर्शाया गया कि प्रकृति के भविष्य पर ही हमारा भविष्य भी निर्भर है। ''विज्ञान-विकास और प्रगति का आधार' विषय पर संगोष्ठी तथा पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की गई। भारत भवन भोपाल के सुविख्यात चित्रकार एवं चित्रों के माध्यम से विज्ञान के संदेशों को प्रस्तुत करने वाले अखिलेश जी के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।दुर्ग। शासकीय डॉ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विभिन्न आयोजन किए गए। इसमें पोस्टर द्वारा दर्शाया गया कि प्रकृति के भविष्य पर ही हमारा भविष्य भी निर्भर है। ”विज्ञान-विकास और प्रगति का आधार’ विषय पर संगोष्ठी तथा पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की गई। भारत भवन भोपाल के सुविख्यात चित्रकार एवं चित्रों के माध्यम से विज्ञान के संदेशों को प्रस्तुत करने वाले अखिलेश जी के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘कला’ में विज्ञान की महती भूमिका की चर्चा करते हुए अखिलेश जी ने कहा कि 1983 में मैनें महान चित्रकार हुसैन जी की प्रदर्शनी देखीं जो रमन प्रभाव पर आधारित थी। रंगों का दुर्लभ संयोग उन चित्रों में था। विज्ञान के साथ कला का संबंध प्रदर्शित करने का अनुभव मैनें उन चित्रों में पाया। उन्होंने कहा कि कला कल्पनाओं पर आधारित है तो विज्ञान तर्क संगत है। लियो नार्डों की चर्चा करते हुए बताया कि वे कहते हैं हमारी आंख वो लैंस है जो चित्रकार के अनुसार दूर व पास की वस्तुओं को कैनवास पर उतारती है। विज्ञान सदा कल्पनाओं को मूर्तरूप देने का प्रयास करता है। कला के क्षेत्र में विज्ञान की सतत् भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि रंगों के माध्यम से हम कल्पनाओं को सकार करते है तो उसमें विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
संगोष्ठी में अपने संबोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि ‘विज्ञान दिवस का सार विज्ञान से होने वाले लाभ के प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिए है। युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए तथा रमन प्रभाव की खोज को अविस्मरणीय रखने हम 28 फरवरी को विज्ञान दिवस मनाते है। हमें सतत् विकास के लिए विज्ञान का उपयोग करना है। शोध कार्यों की समीक्षा एवं विश्लेषण के साथ ही हमारा दायित्व समाज के हर व्यक्ति तक विज्ञान से होने वाले विकास और फायदें को पहुंँचाना भी है।
युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत करने पर ही हम समाज में व्याप्त विभिन्न अंधविश्वासों, कुरीतियों से मुक्ति पा सकेगें।
अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. डी.सी. अग्रवाल ने विकास और प्रगति में विज्ञान की भूमिका की चर्चा करते हुए आर्थिक विकास के पक्ष को रखा। उन्होनें कृषि के क्षेत्र में नये वैज्ञानिक प्रयासों को तभी सार्थक बताया जब इसका लाभ हमारे किसानों तथा ग्रामीणों को मिले। उन्होनें कहा कि हम अज्ञानतावश या अंधविश्वास के चलते छोटी-छोटी घटनाओं को बड़ा रूप दे देते है जबकि उनका हल हमारे पास ही।
प्राणीशास्त्र की प्रोफेसर डॉ. निसरीन हुसैन ने डॉ. सी.वी. रमन के जीवन दर्शन पर चर्चा करते हुए रमन प्रभाव की व्याख्या की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. ऋचा ठाकुर ने कहा कि मानव के जीवन पर आज विज्ञान का स्पष्ट प्रभाव दिखता है और हम इसकी उपयोगिता को भलीभांति समझते है। कल्पना का प्रतिरूप वैज्ञानिक के मस्तिस्क में वैसा ही तैयार होता है जैसा कोई चित्रकार मस्तिस्क के विचार को कैनवास में उतार कर अभिव्यक्त करता है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. मीरा गुप्ता ने आधार प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी जिसकी प्रदर्शनी लगायी गयी। इसमें छात्राओं ने ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण तथा औषधि विज्ञान के संबंध में पोस्टर बनाये थे। इस अवसर पर प्राध्यापक एवं छात्रायें उपस्थित थी।

Leave a Reply