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वर्तमान परिदृश्य में शोध का प्रकाशन और पेटेंट जरूरी : डॉ सराफ

Mar 10, 2018

भिलाई। पीसीआई के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. शैलेन्द्र सराफ ने कहा है कि हमारा राष्ट्रीय चरित्र भले ही बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय का रहा है किन्तु मौजूदा परिप्रेक्ष्य में शोध का प्रकाशन करवाना एवं शोध का पेटेन्ट करवाना जरूरी हो गया है। हमारी जरा सी चूक के कारण हमारा काफी सारा ज्ञान आज विदेशों में पेटेंट हो चुका है। रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च में सीजीकॉस्ट द्वारा स्पॉन्सर्ड करेंट नीड ऑफ पेटेंट एण्ड पब्लिकेशन इन रिसर्च फॉर ग्लोबल रेकगनिशन विषय पर दो-दिवसीय नेशनल सेमीनार का आगाज हुआ।भिलाई। पीसीआई के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. शैलेन्द्र सराफ ने कहा है कि हमारा राष्ट्रीय चरित्र भले ही बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय का रहा है किन्तु मौजूदा परिप्रेक्ष्य में शोध का प्रकाशन करवाना एवं शोध का पेटेन्ट करवाना जरूरी हो गया है। हमारी जरा सी चूक के कारण हमारा काफी सारा ज्ञान आज विदेशों में पेटेंट हो चुका है। रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च में सीजीकॉस्ट द्वारा स्पॉन्सर्ड करेंट नीड ऑफ पेटेंट एण्ड पब्लिकेशन इन रिसर्च फॉर ग्लोबल रेकगनिशन विषय पर दो-दिवसीय नेशनल सेमीनार का आगाज हुआ। मुख्य अतिथि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. शैलेन्द्र सराफ थे, विशेष अतिथि डॉ. अमित दुबे, सीनियर साइंटिस्ट सीजीकॉस्ट, रायपुर तथा डॉ. दीपेन्द्र सिंह, सेक्रेटरी, आईपीए थे। अध्यक्षता रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने की। मौके पर डायरेक्टर-आरसीइटी डॉ. एस.एम. प्रसन्नकुमार, प्रिंसिपल आरसीपीएसआर डॉ. डी.के. त्रिपाठी, वाइस प्रिंसिपल डॉ. एजाजुद्दीन, सेमीनार के संयोजक डॉ. अमित अलेक्जेण्डर, ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी मुकेश शर्मा, प्रबंधक जनसंपर्क सुशांत पंडित सहित कॉलेज के फैकल्टी मेम्बर्स, राज्य तथा देश के विभिन्न कॉलेजों से आये प्रतिभागी तथा बड़ी संख्या में फार्मेसी स्टूडेंट्स उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि पीसीआई के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. शैलेन्द्र सराफ ने कहा कि आज की यह आवश्यकता है कि हम अपनी टेक्नालॉजी, ज्ञान तथा ग्लोबल सिनेरियो से अपने आपको अपडेट करते रहें। हमारे देश ने प्राचीन समय से बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की संस्कृति को आत्मसात करते हुए प्राप्त ज्ञान और उसके लाभ को सीमाओं के बंधन में न बांधकर प्रत्येक जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। हमने सदैव प्राप्त ज्ञान के सर्वव्यापीकरण को महत्व दिया परन्तु वर्ष 2005 के बाद वैश्विक रूप से आ रहे बदलावों तथा चुनौतियों को देखते हुए भारतीय रिसर्चर्स के लिये अपने शोध तथा आईडिया को पेटेंट कराना तथा पब्लिकेशन्स जरूरी हो गये हैं। पेटेंट के माध्यम से आपके शोधकार्य को सिक्यूरिटी मिलती है जबकि पब्लिकेशन्स के माध्यम से आपके कार्य को वल्र्डवाइड रिकगनिशन प्राप्त होता है। हम इन बदलावों को आत्मसात नहीं करने की वजह से हमारे कई उत्पादों का पेटेंट खो चुके हैं तथा अन्य देशों ने इसे अपने नाम पेटेंट करा अपना अधिकार जता दिया है। इसलिये अब यह जरूरी हो गया है कि हम इन बदलावों को कबूल करते हुए इस दिशा में पूरा ज्ञान हासिल कर अपने शोध कार्यों को प्रोटेक्ट करें। आधुनिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए डॉ. सराफ ने कहा कि अब ऐसा समय आ गया है कि आपको रोज नया सीखने की जरूरत है। आनेवाले वर्षों मेंऐसी औद्योगिक क्रांति आनेवाली है कि कोई भी दवा उद्योग को चलाने के लिये फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस, बायो साइंसेस तथा आईटी इन तीनों के सम्मिलित ज्ञान तथा इसके माध्यम से प्रयासों की आवश्यकता होगी। हेल्थकेयर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से एक क्रांति का सूत्रपात हो रहा है जिसमें सभी कार्य रोबोट्स के माध्यम से किये जायेंगे। दवा उद्योगों में इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से निपटने आपको अपने आपमें सुपर इंटेलिजेंस डेवलप करना होगा तभी आप इस प्रतिस्पर्धा का सामना कर पायेंगे। उन्होंने उपस्थित युवाओं को सफलता प्राप्ति के लिये इंटेलिजेंस तथा लेबर दोनों के सम्मिश्रण को अपनाने की सलाह दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रूंगटा ग्रुप के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने कहा कि हेल्थकेयर के क्षेत्र में भारत की प्राचीन संस्कृति अत्यंत समृद्ध थी तथा वेदों तथा चरक संहिता में इसका उल्लेख मिलता है। अब समय आ गया है कि हमें अपनी पहचान बचाने के लिये आवश्यक कदमों को उठाने का। शोध कार्यों का पेटेंट और पब्लिकेशन्स आज के समय की आवश्यकता हो गई है।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन तथा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। अपने स्वागत भाषण में आरसीपीएसआर के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. त्रिपाठी ने कहा कि रिसर्चर्स के लिये शोधकार्यों का पब्लिकेशन उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है वहीं पेटेंट उन्हें मान्यता तथा आर्थिक रूप से लाभ पहुँचाता है। वर्तमान परिस्थितियों में शोध के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों को देखते हुए सेमीनार का यह विषय चुना गया है सेमीनार के दो दिनों में विषय एक्सपट्र्स के माध्यम से प्राप्त ज्ञान रिसर्चर्स के लिये भविष्य में अत्यंत ही उपयोगी सिद्ध होगा। सेमीनार के संयोजक डॉ. अमित अलेक्ज़ेण्डर ने बताया कि इस सेमीनार में प्रतिभागियों का पॉजिटीव रिस्पॉन्स दिखा तथा राज्य के साथ-साथ, देश तथा विदेशों जैसे आयरलैण्ड तथा यूएसए से पार्टिसिपेशन मिला। फार्मास्यूटीकल्स साइंस के साथ इंजीनियरिंग व बेसिक साइंस से कुल प्राप्त हुए 350 शोध पत्रों में से 250 शोध पत्रों का चयन कर एब्सट्रेक्ट को प्रोसिडिंग में लिया गया। उन्होंने बताया कि सेमीनार के पहले दिन इनवाइटेड टॉक के अंतर्गत सब्जेक्ट एक्सपट्र्स अपने विचार रखेंगे तथा दूसरे दिन साइंटिफिक सेशन रखा गया है जिसमें ई-पोस्टर तथा ओरल प्रेजेण्टेशन होंगे। उद्घाटन समारोह के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये।
सब्जेक्ट एक्सपर्ट के रूप में उपस्थित सीजीकॉस्ट के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अमित दुबे ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बारे में बताया कि इसका अर्थ आपकी अपने स्वामित्व वाली चीज को अपने नाम पर रजिस्टर्ड कराना है। शोध कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं कि रिसर्च के लिये नया टॉपिक ही ढूंढा जाये बल्कि पुरानी हुई रिसर्च पर भी आगे का शोध कार्य किया जा सकता है। इंटलेक्चुअल प्रापर्टा राइट्स आपके आईडिया को कॉपी होने से बचाता है। इनोवेशन का रिसर्च की फील्ड में हमेशा से स्कोप रहा है। फार्मेसी रिसर्च के क्षेत्र में डायबिटिज तथा कैंसर से जुड़ी शोधों की आज के समय भारी डिमांड है। पेटेंट के बारे में उन्होंने बताया कि पेटेंट कराते समय आपको अपने संपूर्ण शोध कार्य, प्रोसेस, प्रोडक्ट स्पेसिफीकेशन सबंधी सारी जानकारी शेयर करना पड़ता है अत: इसमें विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है और इसलिये इसके लिये डॉक्यूमेंटेशन का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने संपूर्ण प्रक्रिया तथा संबंधित विषयों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। दूसरे सब्जेक्ट एक्सपर्ट के रूप में डॉ. चंचलदीप कौर, प्रिंसिपल, एसआरआईपी ने ट्रांजिशन ऑफ पब्लिकेशन इनटू पेटेंट तथा आणंद, गुजरात के रमनभाई पटेल कॉलेज ऑफ फार्मेसी से आये तीसरे स्पीकर डॉ. रविश पटेल ने पब्लिकेशन एण्ड रेफरेंस मैनेजमेंट पर अपने संबोधन में बताया कि समय के साथ हमें रिसर्च पेपर लिखने की पद्धति को भी इम्प्रुव करना जरूरी है, साथ ही इसके लिये नये सॉफ्टवेयर जैसे रेफरेंस मैनेजमेंट एण्ड नोट को यूज करने की जानकारी भी दी। उन्होंने प्लेगेरिज्म के संबंध में भी जानकारी प्रदान की।

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