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18 श्रेष्ठ युवा शोधार्थी यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित

Mar 1, 2018

दुर्ग। युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस जैसे आयोजन युवा शोधार्थियों द्वारा किए जा रहे शोधकार्य को समाज के समक्ष लाने का सर्वश्रेष्ठ प्लेटफार्म है। हमें वैज्ञानिक तथ्यों को आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. शिवकुमार पाण्डेय ने आज बीआईटी दुर्ग के सभागार में व्यक्त किये। डॉ. पाण्डेय आज छत्तीसगढ़ काउसिंल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी रायपुर द्वारा प्रायोजित एवं दुर्ग विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा आयोजित 16 वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस के समापन एवं यंग साइंटिस्ट अवार्ड वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डॉ. पाण्डेय ने बड़ी संख्या में उपस्थित युवा शोधार्थियों, प्राध्यापकों, गणमान्य नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान को जीवन का हिस्सा बनायें। यदि युवा शोधार्थी निष्ठापूर्वक मौलिक शोधकार्य में लगे रहे तो निश्चित रूप से असंभव को संभव किया जा सकता है।दुर्ग। युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस जैसे आयोजन युवा शोधार्थियों द्वारा किए जा रहे शोधकार्य को समाज के समक्ष लाने का सर्वश्रेष्ठ प्लेटफार्म है। हमें वैज्ञानिक तथ्यों को आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. शिवकुमार पाण्डेय ने आज बीआईटी दुर्ग के सभागार में व्यक्त किये। डॉ. पाण्डेय आज छत्तीसगढ़ काउसिंल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी रायपुर द्वारा प्रायोजित एवं दुर्ग विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा आयोजित 16 वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस के समापन एवं यंग साइंटिस्ट अवार्ड वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डॉ. पाण्डेय ने बड़ी संख्या में उपस्थित युवा शोधार्थियों, प्राध्यापकों, गणमान्य नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान को जीवन का हिस्सा बनायें। यदि युवा शोधार्थी निष्ठापूर्वक मौलिक शोधकार्य में लगे रहे तो निश्चित रूप से असंभव को संभव किया जा सकता है। Young-scientist दुर्ग। युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस जैसे आयोजन युवा शोधार्थियों द्वारा किए जा रहे शोधकार्य को समाज के समक्ष लाने का सर्वश्रेष्ठ प्लेटफार्म है। हमें वैज्ञानिक तथ्यों को आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. शिवकुमार पाण्डेय ने आज बीआईटी दुर्ग के सभागार में व्यक्त किये। डॉ. पाण्डेय आज छत्तीसगढ़ काउसिंल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी रायपुर द्वारा प्रायोजित एवं दुर्ग विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा आयोजित 16 वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस के समापन एवं यंग साइंटिस्ट अवार्ड वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डॉ. पाण्डेय ने बड़ी संख्या में उपस्थित युवा शोधार्थियों, प्राध्यापकों, गणमान्य नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान को जीवन का हिस्सा बनायें। यदि युवा शोधार्थी निष्ठापूर्वक मौलिक शोधकार्य में लगे रहे तो निश्चित रूप से असंभव को संभव किया जा सकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.पी. दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा कि साइंस कालेज, दुर्ग एवं बीआईटी दुर्ग के प्रशासन के अभूतपूर्व सहयोग के कारण दुर्ग विश्वविद्यालय यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस का सफलतापूर्वक आयोजन कर सका। डॉ. दीक्षित ने कहा कि सी-कॉस्ट को दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में अपना उपकेन्द्र आरंभ करना चाहिए। डॉ. दीक्षित ने उपस्थित शोधार्थियों को सदैव मौलिक कार्य करने की प्रेरणा दी।
बीआईटी दुर्ग की डॉ. समृध्दि मिश्रा तथा भिलाई महिला महाविद्यालय की प्रोफेसर भाग्यश्री ने दो दिवसीय 16 वीं यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस की मूल अवधारणा एवं उसकी परिणीति पर प्रकाश डाला।
समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी.डी. शर्मा ने यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस विज्ञान एवं टेक्नालॉजी का संगम अथवा महाकुंभ कहा जा सकता है, जिन्हें अवार्ड नही मिला हो सकता है भविष्य में उन शोधार्थियों का शोधकार्य एक नई दिशा प्रदान करें।
कार्यक्रम में उपस्थित पंडित सुन्दरलाल शर्मा ओपन युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. बी.जी. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि युवा शोधार्थी केवल स्वांत: सुखाय के लिए कार्य न करें बल्कि सदैव समाज के हित में शोध कार्य करने का प्रयास करें, क्योंकि हमारे हर शोधकार्य में समाज का महत्वपूर्ण योगदान होता है। आज वह समय है जब हम समाज के हित में समाज को अपनी क्षमता अनुसार कुछ वापस करें।
यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस के सहायक समन्वयक डॉ. अनिल कुमार, प्रशांत श्रीवास्तव एवं डॉऋ संतोष सार ने बताया कि सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुए इस कार्यक्रम में प्रारंभ में अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत करने वालों में डॉ. अनुपमा अस्थाना, डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. ए.के. खान, डॉ. अनिल जैन, डॉ. विकास पंचाक्षरी, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. संतोष सार एवं डॉ. कुलदीप शामिल थे। यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस के नोडल अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने दो दिवसीय कांग्रेंस के दौरान प्रस्तुत हुए शोधपत्रों तथा अन्य गतिविधियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। डॉ. सिंह ने बताया कि दो दिवसीय कांग्रेंस के दौरान 188 में से कुल 160 शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। सर्वाधिक सहभागिता रायपुर संभाग तथा सरगुजा एवं बस्तर संभाग से एक भी शोधपत्र प्राप्त नही हुआ। साइंस कालेज, दुर्ग के प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत ने इस सफल आयोजन के लिए सी-कॉस्ट रायपुर एवं दुर्ग विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए कहा कि इन दो दिवसों में शोध की गंगा बही है। इससे प्रदेश के युवा शोधार्थियों में विज्ञान की नई सोच का संचार होगा।
छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी के महानिदेशक डॉ. के. सुब्रमण्यम ने यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए युवा वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि विज्ञान सदैव समाज के हित में नई खोजों का माध्यम है। युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि युवा मस्तिष्क में नई अवधारणा उत्पन्न होती है। बीआईटी दुर्ग के प्राचार्य डॉ. अरूण अरोरा ने कहा कि प्रत्येक युवा शोधार्थी वैज्ञानिक है। अपना शोधकार्य जारी रखें आप शिखर पर पहुंचेगें। प्रत्येक शोधकार्य एवं नई खोज के साथ आर्थिक पहलू पर विचार करने पर भी उन्होंने बल दिया।
युवा वैज्ञानिक कांग्रेंस के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि आज समापन समारोह के दौरान अतिथियों ने 19 विभिन्न विषयों में श्रेष्ठ प्रस्तुति करने वाले युवा शोधार्थियों को यंग साइंटिस्ट अवार्ड 2018 से पुरस्कृत किया। इन विजेता शोधार्थियों को 21,000 हजार रूपये का चेक विजेता ट्राफी, प्रमाण पत्र के साथ-साथ एक वर्ष की अवधि के अन्दर किसी राष्ट्रीय स्तर की शोध प्रयोगशाला में एक माह तक नि:शुल्क शोध कार्य करने की पात्रता भी होगी। जिन शोधार्थियों को युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से नवाजा गया उनमें निम्न शोधार्थी शामिल है। आज यंग साइंटिस्ट कांग्रेंस के दूसरे दिन कुल 06 विषयों में 69 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने किया।
यंग साइंटिस्ट अवार्ड विजेता
1 बायोलॉजी – लोहित राज सूर्यवंशी, शास.व्ही.वाय.टी. पीजी कालेज, दुर्ग
2 इन्वारमेंटल साइंसेस इंजीनियरिंग एण्ड फारेस्ट्री- पल्लवी सिंह, गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय , बिलासपुर
3 मेडिकल एण्ड फार्मास्यूटिकल साइंसेस -गुंजन जसवानी, शंकराचार्य टेक्निकल कैम्पस भिलाई
4 एग्रीकल्चर साइंस – ज्योति सिंह, इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
5 गणित तथा सांख्यिकी विज्ञान- राकेश नंदी, एन.आई.टी. रायपुर
6 लाईफ साइंसेस -जिप्सी चंद्रा, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
7 होम साइंस तथा व्यवहार विज्ञान -महेन्द्र कुमार, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
8 केमिकल इंजीनियरिंग- रेणु वर्मा, शास.व्ही.वाय.टी. पीजी कालेज, दुर्ग
9 अर्थ एवं एटमॉसफिरिक साइंस – मनु प्रशांत, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
10 कम्प्यूटर साइंस इलेक्ट्रानिक्स – धनश्याम क्षीरसागर, एनआईटी रायपुर
11 सिविल एवं आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग- यश दुग्गड़, एनआईटी रायपुर
12 इलेक्ट्रीकल एवं इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग- श्रध्दा कौशिक, बी.आई.टी दुर्ग
13 मैकेनिकल, मेकाट्रानिक्स एण्ड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग- अरूणा ठाकुर, चौकसे इंजीनियरिंग कालेज, बिलासपुर
14 बायोटेक्नालॉजी, बायोकेमेस्ट्री एण्ड बायो इन्फारमेटिक्स – अनुभूति झा, एन.आई.टी. रायपुर
15 वेटिनरी साइंस, डेयरी टेक्नालॉजी तथा एनिमल हसबेंडरी- नेहा साहू, वेटिनरी कालेज, अंजोरा
16 एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग- पीयूष प्रधान, इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
17 भौतिकी – जी नागभार्गवी, एन.आई.टी. रायपुर
18 रसायन विज्ञान – मितिशा बैद, शास.व्ही.वाय.टी. पीजी कालेज, दुर्ग

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