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एक अच्छे शिक्षक ही नहीं बेहतरीन विद्यार्थी भी हैं डॉ संतोष राय

Apr 7, 2018

तीसरी पीएचडी हासिल करने पर गुरुजनों ने की सराहना, दिया नया लक्ष्य, अदम्य, अजेय हैं संतोष राय
भिलाई। कॉमर्स गुरू के रूप में ख्याति प्राप्त डॉ संतोष राय ने तीसरी बार डाक्टरेट किया है। शुक्रवार को गुरुजनों की उपस्थिति में इस उपलब्धि का जश्न होटल अमित पार्क इंटरनेशनल में मनाया गया। इस अवसर पर गुरुजनों ने कहा कि संतोष राय का तीसरी बार डाक्टरेट करना यही दर्शाता है कि वे एक अच्छे गुरू होने के साथ साथ अच्छे शिष्य भी हैं। उनके पास कई दर्जन डिग्रियां हैं, गिनीज बुक सहित तीन वल्र्ड रिकार्ड बुक में उनका नाम दर्ज है। डॉ संतोष राय ने अपनी तीसरी पीएचडी कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डॉ आरपी अग्रवाल के दिशा निर्देशन में हासिल की। 'एक मुलाकात, गुरुजनों (राष्ट्रनिर्माता) के साथ' थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में कल्याण महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अमिताभ दत्ता, डॉ हरिनारायण दुबे, वाणिज्य संकाय के डॉ आरपी अग्रवाल, डॉ प्रमोद शंकर शर्मा, डॉ सय्यद सलीम अकील, एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीमती श्रीलेखा विरुलकर, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान, महापौर देवेन्द्र यादव, लायन्स क्लब के डॉ शिवेन्द्र बहादुर सिंह, बिपिन बंसल, डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट परिवार से एमसीए मिट्ठू मैडम, सी.ए. प्रवीण बाफना, सी.ए. केतन ठक्कर, सी.ए. दिव्या रत्नानी, एम.बी.ए. मारिया रिजवी, पीयूश जोशी, प्रियंका शर्मा, प्रीत जावरा, अमित श्रीवास्तव के अलावा वो बच्चे शामिल थे जो जल्द ही पढ़ाई पूरी कर पेशेवर जीवन में प्रवेश करने वाले थे।भिलाई। कॉमर्स गुरू के रूप में ख्याति प्राप्त डॉ संतोष राय ने तीसरी बार डाक्टरेट किया है। शुक्रवार को गुरुजनों की उपस्थिति में इस उपलब्धि का जश्न होटल अमित पार्क इंटरनेशनल में मनाया गया। इस अवसर पर गुरुजनों ने कहा कि संतोष राय का तीसरी बार डाक्टरेट करना यही दर्शाता है कि वे एक अच्छे गुरू होने के साथ साथ अच्छे शिष्य भी हैं। उनके पास कई दर्जन डिग्रियां हैं, गिनीज बुक सहित तीन वल्र्ड रिकार्ड बुक में उनका नाम दर्ज है। डॉ संतोष राय ने अपनी तीसरी पीएचडी कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डॉ आरपी अग्रवाल के दिशा निर्देशन में हासिल की। Kalyan-Mahavidyala-Commerce Dr-Santosh-Rai2 भिलाई। कॉमर्स गुरू के रूप में ख्याति प्राप्त डॉ संतोष राय ने तीसरी बार डाक्टरेट किया है। शुक्रवार को गुरुजनों की उपस्थिति में इस उपलब्धि का जश्न होटल अमित पार्क इंटरनेशनल में मनाया गया। इस अवसर पर गुरुजनों ने कहा कि संतोष राय का तीसरी बार डाक्टरेट करना यही दर्शाता है कि वे एक अच्छे गुरू होने के साथ साथ अच्छे शिष्य भी हैं। उनके पास कई दर्जन डिग्रियां हैं, गिनीज बुक सहित तीन वल्र्ड रिकार्ड बुक में उनका नाम दर्ज है। डॉ संतोष राय ने अपनी तीसरी पीएचडी कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डॉ आरपी अग्रवाल के दिशा निर्देशन में हासिल की। 'एक मुलाकात, गुरुजनों (राष्ट्रनिर्माता) के साथ' थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में कल्याण महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अमिताभ दत्ता, डॉ हरिनारायण दुबे, वाणिज्य संकाय के डॉ आरपी अग्रवाल, डॉ प्रमोद शंकर शर्मा, डॉ सय्यद सलीम अकील, एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीमती श्रीलेखा विरुलकर, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान, महापौर देवेन्द्र यादव, लायन्स क्लब के डॉ शिवेन्द्र बहादुर सिंह, बिपिन बंसल, डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट परिवार से एमसीए मिट्ठू मैडम, सी.ए. प्रवीण बाफना, सी.ए. केतन ठक्कर, सी.ए. दिव्या रत्नानी, एम.बी.ए. मारिया रिजवी, पीयूश जोशी, प्रियंका शर्मा, प्रीत जावरा, अमित श्रीवास्तव के अलावा वो बच्चे शामिल थे जो जल्द ही पढ़ाई पूरी कर पेशेवर जीवन में प्रवेश करने वाले थे।‘एक मुलाकात, गुरुजनों (राष्ट्रनिर्माता) के साथ’ थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में कल्याण महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अमिताभ दत्ता, डॉ हरिनारायण दुबे, वाणिज्य संकाय के डॉ आरपी अग्रवाल, डॉ प्रमोद शंकर शर्मा, डॉ सय्यद सलीम अकील, एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीमती श्रीलेखा विरुलकर, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान, महापौर देवेन्द्र यादव, लायन्स क्लब के डॉ शिवेन्द्र बहादुर सिंह, बिपिन बंसल, डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट परिवार से एमसीए मिट्ठू मैडम, सी.ए. प्रवीण बाफना, सी.ए. केतन ठक्कर, सी.ए. दिव्या रत्नानी, एम.बी.ए. मारिया रिजवी, पीयूश जोशी, प्रियंका शर्मा, प्रीत जावरा, अमित श्रीवास्तव के अलावा वो बच्चे शामिल थे जो जल्द ही पढ़ाई पूरी कर पेशेवर जीवन में प्रवेश करने वाले थे।
डॉ संतोष राय को बनाएं आदर्श
कल्याण महाविद्यालय की पहली पीढ़ी के प्रोफेसर डॉ अमिताभ दत्ता ने बतौर अध्यापक 50 साल पूर्ण कर लिये हैं। सम्प्रति वे साई कॉमर्स कालेज के प्राचार्य हैं। उन्होंने कहा कि इन 50 वर्षों में हजारों छात्रों को उन्होंने पढ़ाया। सीखने सिखाने का यह सिलसिला आज भी जारी है। उन्होंने कहा कि डॉ संतोष राय वह विद्यार्थी हैं जिसपर किसी को भी फख्र हो सकता है। वे कामना करते हैं कि वे और आगे बढ़ें और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।
जब शिक्षक अपने विद्यार्थी का सम्मान करे तो उसकी तपस्या पूर्ण होती है
इस मौके पर अपने सारगर्भित उद्बोधन में डॉ प्रमोद शंकर शर्मा ने कहा कि वे खुश हैं कि उन्होंने शिक्षण कार्य को अपना पेशा बनाया। उनकी माता कहती थीं कि जो लोग पिछले जन्म में अच्छे काम करते हैं उन्हें ही इस जन्म में शिक्षक होने का सौभाग्य मिलता है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को गढऩे में अपना सबकुछ लगा देता है और उसकी यह तपस्या तब पूरी होती है जब एकदिन उसे अपने शिष्य का सम्मान करने का अवसर मिलता है।
पिता रात भर पंखा झलते रहे
डॉ शर्मा ने बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता के समर्पण का जिक्र करते हुए एक प्रसंग भी सुनाया। बात उन दिनों की है जब वे पढ़ रहे थे और परीक्षा का समय चल रहा था। बिजली बार बार आती जाती रहती थी। पिता उन्हें जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठकर पढऩे के लिए प्रेरित करते। रात को जैसे ही बिजली जाती वे उठ जाते। एक दिन सुबह जब उनकी आंख खुली तो उन्होंने चाचा जी को पहले माले से नीचे उतरते देखा। वे रात भर सो नहीं पाए थे क्योंकि बिजली नहीं थी। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि बिजली नहीं थी तो वो उनकी स्वयं की नींद कैसे नहीं खुली थी। उन्होंने अपने पिता से इस बाबत पूछा। उन्होंने बताया कि जैसे ही बिजली गई उन्होंने एक बाल्टी पानी का लिया और टावल लेकर उसके सिरहाने बैठ गए। रात भर भीगे टावल से हवा करते रहे ताकि बच्चा पूरी नींद ले सके और सुबह आराम से परीक्षा देने जा सके। डॉ शर्मा ने कहा कि हमें कोई अंदाजा नहीं होता कि हमारे माता पिता और हमारे गुरुजन हमारे अंजाने में हमारे लिये क्या कुछ कर गुजरते हैं।
यह भी करते हैं गुरूजन
डॉ शिवेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव ने अपने मेडिकल कालेज के दिनों का याद करते हुए बताया कि प्रथम वर्ष की परीक्षाएं चल रही थीं। एनाटमी के विभागाध्यक्ष ने डिसेक्शन टेबल पर पड़े शव के कुछ अंगों की ओर इशारा करते हुए उनके बारे में पूछा। वे उत्साह के साथ बताते रहे। एक अंग को उन्होंने किडनी बताया और उससे होकर जाने वाली धमनियों, शिराओं आदि का भी पूरा बखान कर दिया। तब शिक्षक ने बताया कि वह किडनी नहीं लिवर है। इसका मतलब है कि वो लिवर तो जानता ही नहीं है, किडनी भी नहीं जानता। एक दो दिन में उनका तबादला होने वाला था। उन्होंने एनाटमी के अन्य शिक्षक की ड्यूटी लगाई कि 20 दिन बाद होने वाले वायवा से पहले वे उन्हें पूरी तरह से एनाटमी सिखा दें। उन्होंने रात दिन एक कर दिया और वायवा से पहले उन्हें पूरी तरह से तैयार कर दिया। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी ठहर कर हमें स्वयं से पूछना चाहिए कि हमने अपने शिक्षक को दिया क्या और उनसे क्या लेकर जीवन में आगे बढ़ते रहे।
शिक्षक शिष्य से जलने लगे तो समझो शिक्षक भी सफल हो गया
डॉ संतोष राय की तीसरी पीएचडी के गाइड डॉ आरपी अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक को उस दिन का इंतजार रहता है जब उसका शिष्य उससे भी बड़ा कद लेकर उसके सामने आकर खड़ा हो जाए। उसका कद इतना बड़ा हो जाए कि शिक्षक को उससे रश्क हो। तब मान लेना चाहिए कि शिक्षक की मेहनत बेकार नहीं गई है। डॉ संतोष राय की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ प्रमोद शंकर शर्मा के कहने पर ही डॉ संतोष राय उन्हें पकडऩे आए थे। उन्होंने पहले दो तीन बार उसे टाल दिया। पर डॉ संतोष राय ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। यह होती है एक उम्दा छात्र की जिजीविषा। हालांकि संतोष राय पहले से ही नाम के आगे डाक्टर लिख रहे थे पर उन्होंने प्रदेश के सबसे पुराने विश्वविद्यालय पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से भी डाक्टरेट करने की ठान रखी थी। अंतत: डॉ संतोष राय अपने प्रयासों में सफल हुए और उनके दिशानिर्देशन में अपना थिसिस पूरा कर लिया। उन्होंने कहा कि ऐसा शिष्य पाकर वे धन्य हो गए हैं। उन्होंने डॉ संतोष राय को आगे डी.लिट करने के लिए भी प्रेरित किया।
अद्भुत है संतोष की पढऩे की लगन
कल्याण महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं सम्प्रति पं. सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय के केन्द्र प्रमुख डॉ हरिनारायण दुबे ने कहा कि वे विज्ञान संकाय से थे इसलिए संतोष को कभी पढ़ाने का मौका नहीं मिला। पर इस विद्यार्थी से लगातार कई साल तक कालेज के गलियारों में भेंट होती रही। जब भी पूछते तो वो किसी न किसी विषय में एम.ए. कर रहा होता। आज इस विद्यार्थी के पास अनगिनत डिग्रियां हैं, विश्व रिकार्ड हैं और तीन-तीन पीएचडी हैं। उन्होंने कहा कि गाय यदि बच्चे को जन्मदेने के बाद छोड़ भी दे तो वह चंद घडिय़ों में उठकर खड़ा हो जाता है। अधिकांश जीवों के साथ ऐसा ही है। पर इंसान के बच्चे को यदि जन्म के बाद ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो कुछ ही घंटों में उसकी मृत्यु हो जाएगी। आशय यह है कि एक बच्चे की परवरिश में बचपन से लेकर बड़े होने तक अनगिनत लोगों का योगदान होता है। इसमें माता-पिता, शिक्षक, गाइड, दोस्त यहां तक कि विद्यार्थियों का भी योगदान हो सकता है। हमें इस बात को सदा याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि संतोष राय जैसे कृति छात्र ही शिक्षकों के लिए प्रेरणा बनते हैं। उन्होंने कहा कि लोग रोशनी की तलाश करते हैं और डॉ संतोष राय किरणों को इकट्ठा कर सूरज बनाने की कोशिश करते हैं।
जब मैंने बायोग्राफी लिखवाने से इंकार कर दिया
पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी राजेश चौहान ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की सफलता में छोटे से बड़े तक कई लोगों का योगदान होता है। एक बार किसी ने उनसे पूछा कि क्या वह उनकी जीवनी लिख सकता है। उन्होंने साफ मना कर दिया। क्योंकि वो जानते थे कि लेखक को सच पसंद नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि उनके खिलाड़ी बनने में उस मोची का भी योगदान है जो उनके जूतों की मरम्मत करता था। उस सायकल वाले का भी योगदान है जो उनकी साइकिल का पंचर बनाता था। ऐसे ही अनेक लोग हैं जिन्होंने उन्हें निरंतर अभ्यास करने, बेहतर खेलने और आगे बढऩे की प्रेरणा दी। बता दें कि राजेश चौहान को आज भी उस छक्के के लिए याद किया जाता है जिसे मारकर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारत को जीत दिलाई थी। राजेश चौहान ने कुल 22 टेस्ट खेले और इनमें से प्रत्येक मैच में भारत ने जीत दर्ज की।
महापौर देवेन्द्र यादव ने इस अवसर पर कहा कि डॉ संतष राय जितने अच्छे शिक्षक हैं उतने ही अच्छे विद्यार्थी भी हैं जिसका वे लगातार सबूत देते रहते हैं। हमें जीवन में प्रयत्न करना कभी छोडऩा नहीं चाहिए। जब मैं महापौर चुना गया तो मुझे कुछ नहीं आता था। पर मैंने कोशिश की। मेरे लिए चुनाव को अच्छे से लडऩा ही ज्यादा जरूरी था। जीतना या नहीं जीत पाना मेरे हाथ में नहीं था।
अदम्य, अजेय हैं संतोष राय
डॉ संतोष राय के बेहद करीबी डॉ प्रमोद शंकर शर्मा ने कहा कि संतोष आज जिस भी मुकाम पर है, वहां तक पहुंचने में उसने कड़ी मेहनत की है। एक साधारण परिवार में जन्मे संतोष में पढऩे और फिर पढ़ाने की उत्कट महत्वाकांक्षा थी। कॉमर्स की कोचिंग कक्षाएं शुरू करने, कॉमर्स को समाज में उसका प्राप्य स्थान दिलाने में उनका योगदान अतुलनीय है। बाद में कॉमर्स के कई कोचिंग संस्थान खुले पर इस दिशा में पहल करने का श्रेय संतोष को ही जाता है। इस बीच उनके जीवन में बड़े भूचाल आए पर संतोष ने न पढऩा छोड़ा और न ही पढ़़ाना। जीवन के झंझावातों का मुकाबला करते हुए भी वे अपने काम में डूबे रहे। किसी भी व्यक्ति के जीवन की सफलता को हम तीन कसौटियों पर कसते हैं। उसने पैसे कितने कमाए। उसने सम्मान कितना कमाया। वह कितना सफल है। डॉ संतोष राय इन सभी कसौटियों पर खरा उतरने वाले विरले इंसान का नाम है।

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