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संचिता ने किया अहिल्या की पीड़ा का मार्मिक वर्णन

Apr 19, 2018

भिलाई। नृत्यधाम व कृष्णा पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राममूर्ति भागावतार उत्सव-2018 की पहली शाम कोलकाता की ओडिशी गुरू संचिता भट्टाचार्य ने अपनी प्रसिद्ध कृति अहिल्या को प्रस्तुत किया। इस नृत्य में संचिता ने देवी अहिल्या की खूबसूरती का मोहक चित्रण करने के साथ ही, इंद्र का उसपर मोहित होना, ऋषि गौतम का रूप धारण कर उसे धोखा देना और देवी अहिल्या द्वारा भ्रम में स्वयं को ऋषि रूपी इंद्र के आगे समर्पण की खूबसूरत प्रस्तुति दी।भिलाई। नृत्यधाम व कृष्णा पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राममूर्ति भागावतार उत्सव-2018 की पहली शाम कोलकाता की ओडिशी गुरू संचिता भट्टाचार्य ने अपनी प्रसिद्ध कृति अहिल्या को प्रस्तुत किया। इस नृत्य में संचिता ने देवी अहिल्या की खूबसूरती का मोहक चित्रण करने के साथ ही, इंद्र का उसपर मोहित होना, ऋषि गौतम का रूप धारण कर उसे धोखा देना और देवी अहिल्या द्वारा भ्रम में स्वयं को ऋषि रूपी इंद्र के आगे समर्पण की खूबसूरत प्रस्तुति दी।भिलाई। नृत्यधाम व कृष्णा पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राममूर्ति भागावतार उत्सव-2018 की पहली शाम कोलकाता की ओडिशी गुरू संचिता भट्टाचार्य ने अपनी प्रसिद्ध कृति अहिल्या को प्रस्तुत किया। इस नृत्य में संचिता ने देवी अहिल्या की खूबसूरती का मोहक चित्रण करने के साथ ही, इंद्र का उसपर मोहित होना, ऋषि गौतम का रूप धारण कर उसे धोखा देना और देवी अहिल्या द्वारा भ्रम में स्वयं को ऋषि रूपी इंद्र के आगे समर्पण की खूबसूरत प्रस्तुति दी।नृत्य में बताया गया कि किस प्रकार उस दौर में भी अहिल्या पूरी तरह निर्दोष होते हुए भी दण्ड की भागीदार बनी और शिला में परिवर्तित हो गई। पर उनके सतीत्व का ही प्रताप था कि भगवान विष्णु को श्रीराम के रूप में अवतार लेने के बाद उसे शापमुक्त करना पड़ा और अहिल्या को मोक्ष प्राप्त हो गया।

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