भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में ‘हेल्दी प्रैक्टिसेस सेलÓ द्वारा स्वास्थ्य संबंधी जागरुकता लाने एक परिचर्चा का आयोजन किया। श्री गंगाजली शिक्षण समिति के चेयरमेन श्री आई.पी. मिश्रा ने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है अत: अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए और मौसम के अनुरुप ही खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। श्री गंगाजली शिक्षण समिति के सी.ओ.ओ. डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि गर्मी के दिनों में ठोस खाद्य पदार्थो की अपेक्षा पेय पदार्थ पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इस मौसम में शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना है जिससे बीमारियों होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने कहा कि हम अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत नहीं रहते है साथ ही हम खान-पान में उसकी आवश्यकता एवं जरूरत के बदले स्वाद को अधिक महत्व देते है। कई बार कार्य के अनुरुप समय-सारणी के अनुसार डाइट न लेकर हम स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतते हैं और बताया कि किसी भी तरह की असहजता महसूस करने पर बिना देर किये हमें तुरंत संबंधित डाक्टर से संपर्क करना चाहिये।
कार्यक्रम प्रभारी डॉ. रचना पाण्डेय ने बताया कि गर्मी के समय स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती है जिससे हमें बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया हैं। गायनोलाजिस्ट डॉ. सृष्टि सालवतकर ने स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी देते हुये बताया कि गर्मीयों में हम डिब्बा बंद जूस, खाना एवं गन्ने के रस का सेवन अधिक करते है यह ओरल ट्रांसमिशन, हेपेटाइटिस, लूज मोशन एवं डायरिया जैसे रोगों की संभावना को बढ़ा देता है। गर्मी में शरीर में पानी की कमी जल्दी होती है अत: ज्यादा से ज्यादा पानी पीते रहना चाहिये। पानी कम पीने से यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. श्रीमती तृषा शर्मा द्वारा सरवाइकल कैंसर के लक्षण के बारे में पूछे जाने पर डॉ. सृष्टि ने बताया कि इसका मुख्य लक्षण हड्डियों में लगातार दर्द और यूरिन में ब्लड का आना है। यह लोअर सोशल इकोनॉमिक वर्ग में ज्यादा पाया जाता है। एचपीवी वाइरस की वजह से सरवाइकल कैंसर होता है। डॉ. शमा सिद्दीकी ने सरवाइकल कैंसर के वेक्सीन के विषय में पूछा कि क्या इसे लगवाना ठीक है या नहीं इस संदर्भ में डॉ. सृष्टि का कहना है कि यह वैक्सीन 15-18 साल की उम्र में लगता है पर इसके परिणाम अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं पाये गये हैं।
डॉ. श्रीमती ज्योति उपाध्याय एवं स.प्रा. पूनम शुक्ला द्वारा पीरियड्स से संबंधित जानकारी के विषय में डॉ. सालवतकर ने बताया कि पीरिड्स आगे बढ़ाने के लिये पिल्स का कम से कम उपयोग करना चाहिए क्योंकि हर दवाई का कोई न कोई साइड ईफेक्ट भी होता है। साथ ही इन दिनों बैक्टीरिया संक्रमण की संभावना रहती है, दिन में कम से कम 3 बार पेड बदलने की आवश्यकता रहती हैं।
डॉ. श्रीमती स्वाती पाण्डेय द्वारा किये गये प्रश्न वजन कम करने के लिये पिल्स खाना नुकसानदायक तो नहीं है? डॉ. सृष्टि ने बताया कि पिल्स खाने से वृद्धि-सार ग्लूकोस स्तर कम होता है। एपीटाइट कम हो जाता है जो हानिकारक है। वेट कम करने के लिये लाइपोसक्शन करवाते समय आर्टी में लिपिड जाने से मृत्यु भी हो सकती हैं। स्वास्थ्य को अप्राकृतिक तरीके से नहीं वरन प्राकृतिक तरीके से, योगा व समय पर स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा सही रखना चाहिये।
हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिये स्ट्रैस से दूर रहना चाहिए। चेकअप करवाते रहना चाहिए। यदि पसीना उठ रहा है तो हाइपोग्लाइसीमिया भी हो सकता है। हार्ट अटैक में बाये हाथ में दर्द, सीने में जलन व भारीपन रहता है डॉ. से चेकअप अवश्य करायें।
डॉ. श्रीमती निहारिका देवांगन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया साथ्ी ही उन्होंने डॉ. सृश्टि साल्वतकर के प्रति कृतज्ञाता व्यक्त की और आषा की कि उनके द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारियों को हम दैनिक जीवन में अमल में लायेंगे।