स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने लगाया बीईसी में शिविर
भिलाई। डायबिटीज को ठीक नहीं किया जा सकता पर इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि सुबह उठने के बाद थोड़ा टहलें, थोड़ी कसरत करें और फिर नाश्ता करें। इसी तरह शाम को सूरज ढलते ही भोजन कर लें। यह कहना है कि मधुमेह विशेषज्ञ डॉ शिवेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव का। उन्होंने कहा कि प्यास, थकान आदि से डायबिटीज को पकडऩा केवल किताबों में ही संभव है। इसके लिए समय समय पर रक्त शर्करा की जांच करवाते रहना चाहिए।डॉ शिवेन्द्र यहां बीईसी के हथखोज स्थित वर्कशॉप में कार्मिकों को मधुमेह के प्रति जागरूक कर रहे थे। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित स्वास्थ्य जांच एवं जागरूकता शिविर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सारा खेल इंसुलिन का है। हम जो भी भोजन करते हैं पाचन संस्थान उसे ग्लूकोज में बदल देता है। इस ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने का काम इंसुलिन करता है। इंसुलिन का स्राव सुबह सबसे मंद होता है और सांझ ढलते वक्त अपने शीर्ष पर होता है। भोजन इसी के अनुसार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी कारणवश शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर दे या इतना कम बनाए कि ग्लूकोज को ऊर्जा में नहीं बदला जा सके तो यही ग्लूकोज रक्त के साथ पूरे शरीर में घूमने लगता है। इसी को ब्लड शुगर कहते हैं। चूंकि ऊर्जा कम बनती है इसलिए जल्दी थकान लगने लगती है। ब्लड शुगर शरीर को भीतर ही भीतर खोखला कर देता है और ऊर्जा के अभाव में एक एक कर अंग काम करना बंद कर देते हैं।
सवालों का जवाब देते हुए डॉ शिवेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि डायबिटीज में भी आप सबकुछ खा सकते हैं पर कितना, कैसे, कब और किस तरह खाना है यह पता होना चाहिए। इसके लिए किसी डायबिटोलॉजिस्ट से सलाह ली जा सकती है जो आपको आहार तालिका के साथ ही डायबिटीज को नियंत्रित करने में आपकी मदद करेगा।
शिविर को संबोधित करते हुए जनरल एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ राहुल सिंह ने कार्यस्थल के जोखिम एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में सजग किया। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा तो यही रहेगा कि आंखों को चश्मे से और श्वांस को मास्क से सुरक्षित कर लिया जाए। आंखों में यदि कोई बाहरी वस्तु चली जाए तो तत्काल किसी नेत्ररोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। इससे आगे चलकर होने वाली परेशानियों, यहां तक कि अंधत्व से भी बचा जा सकता है। श्वांस से शरीर में प्रवेश करने वाली धूल, सीमेंट, लोहे का डस्ट हमें गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इसके साथ ही फैक्ट्री में काम करने वालों को हेलमेट, सेफ्टी बूट, दस्ताने और ऊंचाई पर काम करने वालों को सेफ्टी बेल्ट का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।
स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी के डॉ आशीष जैन ने अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सा विशेषज्ञता की जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे इमरजेंसी के लिए तैयार रहता है। यहां चिकित्सा से सभी विभाग मौजूद हैं तथा एक ही छत के नीचे सभी तरह के जटिल से जटिल रोगों का इलाज किया जा सकता है।
शनिवार को पूरे दिन बीईसी के अलग अलग वर्कशाप्स में चले स्वास्थ्य शिविरों में 150 से अधिक लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई और परामर्श दिया गया।