त्वचा रोग पर स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में व्याख्यान
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आईक्यूएसी सेल द्वारा त्वचा रोग कारण एवं निराकरण विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में त्वचा रोग विषेशज्ञ डॉ. आलोक दीक्षित उपस्थित हुये। आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. ज्योति उपाध्याय ने बताया आज के अनियमित खान-पान व जीवन शैली के कारण त्वचा रोगों में वृद्धि हुई है। त्वचा के सामान्य रोग व त्वचा के देखभाल संबंधित जानकारी देने के लिये कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा बढ़ते प्रदूषण एवं जंकफूड खाने, पर्याप्त नींद न लेने, धूप में ना निकलने के कारण त्वचा रोगों में वृद्धि होती जा रही है। डॉ. आलोक दीक्षित ने अपने व्याख्यान में बताया त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है, त्वचा हमारे शरीर को बैक्टीरिया, वायरस आदि अनेक हानिकारक कारकों से बचाता है, साथ ही शरीर के तापमान को भी बनाये रखता है। त्वचा शरीर का बाह्य आवरण होने के कारण इसके रोग चाहे चोट से हों अथवा संक्रमण से हो रोगी का ध्यान अपनी ओर तुरंत आकर्षित कर लेते हैं। बालों का अधिक झड़ना, नाखूनों का टूटना, सूखी त्वचा, रूसी, गंजापन, दाद-खाज, सफेद दाग आदि सामान्य त्वचा रोग है। शरीर में लंबे समय तक धूल, मिट्टी, पसीना जमा रहने से, अधिक कसे हुये कपड़े पहनने से, धूप में ना निकलने से, कम पानी पीने से, नींद पूरी ना होने से चर्म रोग हो सकता है।
डॉ. दीक्षित ने बताया कि रोग के निदान के लिये चिकित्सक की आवश्यकता पड़ती है। कई बार दाद-खाज आदि के लिये मेडिकल से तीव्र जीवाणुओं को मारने वाली औषधि ले लेते हैं, इन औषधि में स्टीरॉईड अधिक मात्रा में होता है, यह तुरंत आराम पहुंचाता है व लक्षणों को दबा देता है परंतु इस प्रकार की दवाइयां बहुत ही घातक होती हैं। त्वचा रोगों के लिये अनुभवी चिकित्सकों के परामर्श के बाद दवाइयों का प्रयोग करना चाहिये। जिससे बीमारी जड़ से ठीक हो सके। उन्होंने बताया त्वचा का रोग जन्मजात होता है। किसी भी ब्यूटी प्रॉडक्ट से गोरा नहीं हुआ जा सकता है, अत: उनका यह दावा खोखला है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में आईक्यूएसी सदस्य सहा.प्रा. श्वेता निर्मलकर, सहा.प्रा. टी. बबीता, सहा.प्रा. शैलजा पवार, सहा.प्रा. जीगर भवसार ने विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम में स्वरुपानंद महाविद्यालय आमदी विद्या निकेतन, शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय के प्राध्यापक सम्मिलित हुये।