भिलाई। रविवार को केयर हॉस्पिटल के न्यूरो और स्पाइन सर्जरी विभाग ने भिलाई में कैम्प लगाया। प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ एनवीएस मोहन ने इसमें अपनी सेवा दी। कमला मेडिकल, सुपेला में आयोजित शिविर का लगभग 25 मरीजों ने लाभ उठाया। डॉ मोहन ब्रेन ट्यूमर और स्पाइन सर्जरी के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वे 12 अगस्त को पुन: भिलाई आएंगे। बेंगलुरू के नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहान्स) से प्रशिक्षित डॉ मोहन का मिशन लोगों को दर्द से स्थायी राहत दिलाने के साथ साथ उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करना है।
केयर हॉस्पिटल के डिप्टी मैनेजर टी रमना राव ने बताया कि ब्रेन हेमरेज, मस्तिष्क के ट्यूमर, रक्त संचार में विकार के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले दर्द के लिए न्यूरो सर्जरी की जाती है। ये अत्यंत जोखम भरा होता है। केयर हॉस्पिटल विशाखापटनम में इस सर्जरी के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
केयर हॉस्पिटल के एजीएम बिजनेस डेवलपमेंट एस सुधाकर ने बताया कि इन सुविधाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए डॉ मोहन अपने आसपास के क्षेत्रों में लगातार कैम्प करते रहते हैं। भिलाई में उनका यह पहला शिविर है। अब वे प्रत्येक महीने भिलाई आएंगे। 12 अगस्त को वे फिर से भिलाई आएंगे।
एक सवाल के जवाब में डॉ मोहन ने बताया कि ट्रॉमा केसेज में जहां तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है। वहीं अधिकांश मामलों में आरंभिक 72 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अतिरिक्त सभी न्यूरो केसेज में सर्जरी प्लान की जा सकती है। शिविर ऐसे ही मरीजों के लिए लगाए जाते हैं।
ऐसे मरीज सम्पर्क करें
मस्तिष्क में ट्यूमर होने के कारण असहनीय दर्द, नस दबी होने के कारण गर्दन, कंधा, हाथ, कमर, पैरों में होने वाला दर्द आबादी के लगभग 30 फीसदी लोगों को परेशान करता है। दर्द निवारक औषधि और फिजियोथेरेपी से जहां इसमें आंशिक राहत मिलती है वहीं सर्जरी से दर्द के कारण को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। मरीज की कुछ ही दिनों में अस्पताल से छुट्टी कर दी जाती है। मासिक चेकअप के लिए भी मरीज को विशाखापटनम जाने की जरूरत नहीं होती। वे प्रति माह होने वाले शिविरों में चेकअप करा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में रक्तस्राव और रीढ़ की हड्डी के विकारों के कारण दबी नसों की सर्जरी एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए अनेक प्रकार की अत्याधुनिक सुविधाओं की जरूरत होती है। केयर हास्पिटल में ये सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट
डॉ मोहन ने बताया कि अधिकांश मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। इनमें सिर में लगी चोटों (डीएआई), दौरे पड़ना (सीजर), रीढ़ के कुछ विकारों का दवा एवं फिजियो द्वारा उपचार संभव है।
इनका रहा योगदान
डॉ मोहन को भिलाई लाने में पत्रकार शिव श्रीवास्तव, राजेन्द्र शुक्ला, आरएन रामाराव एवं कमला मेडिकल के संचालक संजय खण्डेलवाल का बड़ा योगदान रहा।