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नैतिक मूल्यों से ही बनता है जीवन अमूल्य: डॉ. जय सिंह तिवारी

Aug 9, 2018

Govt Girls College Durgदुर्ग। शासकीय डॉ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सार्वभौमिक मूल्यों की वर्तमान समाज में आवश्यकता विषय पर व्याख्यान आयोजित हुआ। पी.जी. कॉलेज कांकेर के प्राध्यापक डॉ. जयसिंह ने व्यापक एवं वैश्विक संदर्भों में नैतिक मूल्यों पर विचार रखें। उन्होंने कहा कि सत्य नैतिकता की जननी है वर्तमान परिवेश में दिनों-दिन नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। वेद, रामायण आदि पौराणिक कथाओं तथा भगवान राम, हरिश्चन्द्र, बुद्ध, महावीर जैसे महापुरूषों का अनुशीलन कर रही भारतभूमि ने सत्य, अहिंसा, सदाचरण, प्रेम तथा शांति का संदेश विश्व को दिया। इन्हीं सत्यान्वेषियों के तप, त्याग और अहिंसा के उच्चादर्शों के आधार पर ही हम विश्वगुरू कहलाए। और अगर हमें फिर से विश्वगुरू बनना है तो उन्हीं आदर्शों को आत्मसात करना होगा। अंत में डॉ. सिंह ने छात्राओं के सुखद भविष्य हेतु महामना मदन मोहन मालवीय जी के जीवनसूक्ति को उद्धृत किया- दूध पियो, कसरत करो, नित्य जपो हरिनाम! मन लगाई विद्या पढ़़ो पूरन हो सब काम।।
शासकीय महाविद्यालय भखारा से पधारे दूसरे वक्ता डॉ. भुवाल सिंह ठाकुर ने नैतिक मूल्यों के संदर्भ में युरोपीय नवजागरण एवं भारतीय पुनर्जागरण के मूल्यों-तार्किकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता एवं स्वतंत्रता बोध की महत्ता को रेखांकित किया। भारतीय संविधान के हम की भावना को याद दिलाते डॉ ठाकुर ने कहा कि ‘बेटियाँ ही सद् समाज की कर्णधार और नैतिक मूल्यों के समग्रबोध की प्रतिनिधि होती है। जिस दिन हम सबमें माँ के विराट भाव संसार का एक भी गुण आ जायेगा तो हम वास्तव में नैतिक हो जाएंगे। जब ईदगाह के हामिद का आवबोध हमारे रगों में दौड़ने लगे तब हम नैतिक बनेंगे। प्रोफेसर डी.सी. अग्रवाल ने छात्राओं को जीवन-संघर्ष में नैतिक मूल्यों की उपयोगिता समझाई।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने छात्राओं को सदाचरण, धैर्य और एकाग्रता ज ैसे मूल्यों को दैनिक जीवन में अपनाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारने पर ही हम अच्छे व्यक्तित्व अच्छे समाज और बेहतर देश का निर्माण कर सकते है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी ने महात्मा गाँधी और विवेकानन्द के जीवन का मार्गदर्शक के रूप में अनुसरण करने की बात कही। इस अवसर पर आई.क्यू.ए.सी की समन्वयक डॉ. अमिता सहगल, डॉ. रेशमा लाकेश, श्री योगेन्द्र त्रिपाठी समेत समस्त प्राध्यापक एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं।

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