भिलाई। पीएफ ए एवं स्नेक कैचर संस्था द्वारा चरोदा इंदिरा नगर में सर्पों के प्रति समाज में फैले भय और अंध विश्वास को दूर करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। नागपंचमी उत्सव में नागपूजा के दौरान सर्पों को होने वाले जानलेवा नुक़सान की जानकारी लोगों को दी गयी। सांपों का ईकोसिस्टम में महत्व, उनके काटने पर उपचार, उनके घर में घुसने पर क्या करना चाहिए, स्नेक कैचर टीम की मदद के लिए फोन नम्बर के बारे में विस्तार से समझाया गया। उन्हें ज़हरीले और बिना ज़हर के सांपों को पहचानने की ट्रेनिंग दी गयी। सपेरों द्वारा सांपों के प्रति अपनाये जाने वाले अवैज्ञानिक रवैये तथा उसके हानिकारक प्रभाव का विश्लेषण किया गया। जैसे कि, दूध का स्वभाव ठंडा होता है, यह सांप का प्रकृतिक भोजन नहीं है और इससे उन्हें निमोनिया, फेफ ड़े का संक्रमण और दम घुटने से मौत होने का शत प्रतिशत अंदेशा रहता है। पूजा में उपयोग किए जाने वाले हल्दी कुंकुम और गुलाल और धुएँ आदि से उनकी चमड़ी पर होने वाले घातक दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। अन्धविश्वास को हटाने के लिए वैज्ञानिक तथ्य समझाए गए। सपनों में सांप दिखने पर लोग पंडित के पास दौड़ जाते हैं इसकी बजाए उन्हें प्रोटीन युक्त शाकाहार करने की सलाह दी गयी।
सांप एक वन्य जीव है और वन्य जीव संरक्षण ऐक्ट 1972 के शेड्यूल 1 और 2 में आने वाले सांपों की जानकारी देते हुए बताया गया कि, इसके तहत सपेरों को पाँच से सात साल की सज़ा और जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्हें बताया गया कि, यदि सपेरा आए तो वन विभाग, पुलिस, स्नेक कैचर टीम अमित ताम्रकार और नोवा से बात करे और सर्प रक्षा का कर्तव्य निभाएँ।
कुल ढाई सौ से ज़्यादा सर्प प्रजातियों में से सिफऱ् चार पाँच ही ज़हरीली प्रजातियाँ देश में पायी जाती हैं। सांप चूहों की जनसंख्या में नियंत्रण रख कर किसानो की मदद करते हैं।
नेहा बंसोड़, अमित ताम्रकार की स्नेक कैचर टीम और पीपुल्स फॉर ऐनिमल दुर्ग-भिलाई की ऊर्जावान टीम ने नुक्कड़ नाटक और दृश्य श्रव्य प्रेज़ेंटेशन के ज़रिए यह बात लोगों को आसानी से समझा दी।
पीएफ ए भिलाई के सदस्य जयदेव, इशा गिरिशा, अदिति, आदित्य, डॉक्टर सयश, वेदांश, आकाश साहू, आँचल, सनी, अभिषेक त्रिपाठी, दीपांशु दीप, हितेश, अमन ने प्रेज़ेंटेशन और नाटक में भाग लिया और स्नेहांशु तथा जयती मैडम ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया।