7 जिलों में 100 और 11 जिलों में 50-50 बिस्तरों के अस्पताल तैयार
रायपुर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 27 जिला अस्पताल परिसरों में माताओं और बच्चों की सेहत की बेहतर देखभाल के लिए विशेष अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर ने बताया कि इनमें कुल 2250 बिस्तरों का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार माताओं और बच्चों की सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उनके दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य के 10 जिलों में 100 बिस्तरों वाले और 17 जिलों में 50 बिस्तरों वाले मातृ-शिशु स्वास्थ्य विंग की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में सात जिलों में 100 बिस्तरों वाले और 11 जिलों में 50 बिस्तरों वाले मातृ-शिशु स्वास्थ्य विंग के लिए भवनों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले बिलासपुर के जिला अस्पताल परिसर में 13 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित मातृ और शिशु स्वास्थ्य विंग का लोकार्पण किया। श्री चन्द्राकर ने बताया कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य विंग में गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं के लिए ओपीडी की सुविधा, प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच की सुविधा, प्रसव पश्चात देखभाल की सुविधा, सामान्य एवं जटिल प्रसव की सुविधा, सिजेरियन आॅपरेशन की सुविधा, स्त्री एवं प्रसूति गहन चिकित्सा ईकाई, टीकाकरण की सुविधा, नवजात शिशु की देखभाल, नवजात गहन चिकित्सा ईकाई की सुविधा, बच्चों के देखभाल की सुविधा, परिवार नियोजन की सुविधा, काउंसिलिंग की सुविधा, सोनोग्राफी की सुविधा, लैब जांच की सुविधा तथा लैब की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। मातृ एवं शिशु मृत्युदर कम करने के उद्देश्य से इन विशेष अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा आपातकालीन प्रसूति देखभाल, जांच व उपचार, सामान्य एवं जटिल प्रसव तथा सिजेरियन आॅपरेशन से प्रसव एवं नवजात शिशुओं तथा बच्चों की जांच तथा उपचार की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग्स के माध्यम से माताओं और बच्चों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं मिल सकेगी। इससे आदिवासी बाहुल्य एवं कठिन भौगोलिक स्थिति वाले क्षेत्रों में इस अस्पताल के संचालन से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। अधिकारियो ने बताया कि प्रदेश में प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच एवं संस्थागत प्रसव में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2003 में एसआरएस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्युदर 365 प्रति एक लाख जीवित जन्म था जो वर्ष 2017 में एसआरएस सर्वे रिपोर्ट अनुसार 173 प्रति एक लाख जीवित जन्म हो गया है। प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। जिसमें प्रथम तिमाही में एन्टी नेटल चेकअप (एएनसी) जांच का प्रतिशत नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-3, वर्ष 2005-06 में 46 प्रतिशत था, जो वर्ष 2015-16 में एएनसी जांच का प्रतिशत एनएफएचएस-4 में 70.8 प्रतिशत हो गया। वहीं कम से कम 4 एएनएसी जांच का प्रतिशत 28.3 से बढ़कर 59.1 हो गया। प्रदेश में संस्थागत प्रसव कराने वाले संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें वर्ष 2003 में यह 18.1 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2015-16 के सर्वे रिपोर्ट में 70.2 प्रतिशत हो गया।