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श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय के ग्रंथालय विभाग ने रंगनाथन जंयती का किया आयोजन

Aug 14, 2018

College Libraryभिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई में ग्रंथालय विज्ञान के जनक डॉ. एस.आर. रंगनाथन के 126वीं जयंती के अवसर पर ग्रंथालय विभाग के द्वारा रंगनाथन जयंती समारोह का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में किया गया। इस अवसर पर ई-संसाधन के उपयोग हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डिजी बुुक इंडिया कॉपीकिताब.कॉम के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य एवं निदेशक डॉ. रक्षा सिंह, महाविद्यालय के अति. निदेशक डॉ. जे. दुर्गा. प्रसाद राव, डिजी बुुक इंडिया कॉपीकिताब.कॉम से आये प्रशिक्षक  डोमेन्द्र पटेल,  संजय वशिष्ट एवं लाइब्रेरियन डॉ. ओ.पी. पटेल मंच पर आसीन थे। कार्यक्रम में श्री डोमेन्द्र पटेल एवं श्री संजय वशिष्ट ने ई-संसाधन के उपयोग हेतु प्रशिक्षण में बताया कि कॉपीकिताब.कॉम से आप कैसे पुस्तकें आॅन लाइन पढ़ सकते है, सर्च, नोट्स, परीक्षा हेतु मार्किग, कर सकते है। छात्र इसके माध्यम से आनलाइन टेस्ट सीरिज के द्वारा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर सकते है। इस सुविधा का सदउपयोग छात्र महाविद्यालय ग्रंथालय के साथ-साथ घर बैठकर भी कर सकते है।
कार्यक्रम में महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. (श्रीमती) रक्षा सिंह ने कहा कि वतर्मान समय में जिस पेपर लेस लाइब्रेरी की कल्पना की जा रही है, छात्रों के लिए यह सुविधा फायदेजनक रहेगी।
महाविद्यालय के अति. निदेशक डॉ. जे.दुर्गा प्रसाद रॉव ने आज का युग सूचना विस्फोट का युग है जिसमें दिन प्रतिदिन नये नये पठनीय सामग्री आ रही है। डिजिटल लाइब्रेरी वतर्मान समय की मांग है।
महाविद्यालय के लाइब्रेरियन डॉ. ओ.पी. पटेल ने स्टॉफ और छात्रों को इस सुविधा को अधिक से अधिक उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा कि इस संबंध में किसी भी प्रकार के जिज्ञासा हो तो प्रश्नों के माध्यम से समाधान करे सकते है। आपने आगे कहा कि महाविद्यालय ग्रंथालय आस-पास के महाविद्यालयों में ऐसा अकेला महा. है जो ई-पुस्तकें, ई-जर्नरल्स एवं इंफिलिबनेट-एन लिस्ट की सुविधा देने वाला ग्रंथालय है। आज आवश्यकता इस बात की है कि संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए।
ग्रंथालय विभाग से श्रीमती अंशु सिंह ने डॉ. एस.आर. रंगनाथन जी के जीवन वृतांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए कहा कि रंगनाथन जी का जन्म मद्रास के एक छोटे से गांव षियाली में हुआ था। आपकी विद्यालयीन षिक्षा षियाली से ही प्रारंभ हुई तथा महाविद्यालयीन षिक्षा मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से संपन्न हुई। सन 1917 में मंगलौर में शासकीय महाविद्यालय में अध्यापक के पद पर आप ने अपना कार्य प्रारंभ किया। सन 1924 में प्रथम ग्रंथपाल के रूप में मद्रास विष्वविद्यालय में कायर्भार ग्रहण किया और सराहनीय योगदान दिया। आपको भारत के ग्रंथालय विज्ञान को एक नये षिखर पर पहुंचाने का श्रेय प्राप्त हैै।
आपने सन 1931 में पुस्तकालय विज्ञान के लिये 5 महत्वपूर्ण सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
1. पुस्तकें उपयोगार्थ है।
2. प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक मिले।
3. प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक मिले।
4. पाठक का समय बचाओ।
5. ग्रंथालय वर्धनषील संस्था है।
आपके इस पांच सिद्धांतो की वजह से संपूर्ण विष्व का ध्यान भारतीय पुस्तकाय विज्ञान पर केन्द्रित हो गया। आपने सन 1933 में कोलन क्लासीफिकेषन जैसी महत्वपूर्ण वर्गीकरण पद्धति की रचना की। ग्रंथालय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए आपको 1957 में भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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