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एसिडिटी के रैंडम इलाज से किडनी लिवर हो सकते हैं खराब, कैंसर का भी खतरा

Sep 5, 2018

Gastric medicineइंदौर। भारत में एसिडिटी की समस्या अब आम होती जा रही है। लोग इससे बचने के लिए बिना डॉक्टर से सलाह लिए दवाइयां लेते हैं। डॉक्टर भी जरूरत से अधिक दवाइयां लिख रहे हैं। इससे लिवर और किडनी दोनों पर बुरा असर पड़ता है। लापरवाही से गलत दवाइयां लेने से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है। इसलिए लंबे समय तक ये दवाइयां लेने से बचें। यह बात इंडियन सोसायटी आॅफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एमपी- सीजी चैप्टर कॉन्फ्रेंस में एशियन इंस्टिट्यूट आॅफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन पद्मभूषण डॉ. नागेश्वर रेड्डी ने कही। डॉ. रेड्डी ने कहा कि एंडोस्कोपी की नई तकनीक ने अब इलाज का खर्च बहुत कम कर दिया है। मोटापे के लिए की जाने वाली एंडोस्कोपिक प्रक्रिया बहुत सहज हो गई है। इसकी सफलता का प्रतिशत भी पहले से अधिक है। इससे पेट पर कोई निशान भी नहीं छूटता, कम समय के लिए अस्पताल में रहना होता है।
डायबिटीज के मरीजों का भी एंडोस्कोपी से इलाज संभव है। डॉ. सुनील जैन ने बताया कि एंडोस्कोपी ने इलाज को सरल और सस्ता बनाया है। अब पेट के रोगों का इलाज पहले से कहीं ज्यादा सुलभ है। डॉ. हरिप्रसाद यादव ने बताया कि देश के 250 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर इस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।
मुंबई से आए विशेषज्ञ डॉ. विनय धीर ने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से होने वाले फायदे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 30 सालों से एंडोस्कोपी के क्षेत्र में सफल प्रयोग हुए हैं। अब हमारे पास पहले से पतले स्कोप हैं जिनका प्रयोग कर हम सटीक जांच और इलाज कर सकते हैं। एनेस्थीसिया पहले से कहीं अधिक प्रभावी हुआ है। पेट की गठान के मामले में भी एंडोस्कोपी बहुत फायदेमंद सिद्ध हुई है। इससे बायोप्सी भी आसान हुई है। मरीज खाना नहीं खा पा रहा है तो 15 मिनट में स्टेंट डालकर उसे खाना दिया जा सकता है। उन्होंने बताया भोजन से कहीं अधिक समस्या अब लाइफ स्टाइल बदलने की सामने आ रही है जिसे सुधारना जरूरी है। सामान्य और पौष्टिक खाना, नियमित एक्सरसाइज और मेडिटेशन अपनाएं।
दिल्ली से आईं पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. सुफला सक्सेना ने बताया कि लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। इससे बचाने के लिए शुरुआत से ही सामान्य व ताजा भोजन, नियमित व्यायाम करवाना जरूरी है। बच्चों को जबरदस्ती खाना न खिलाएं। उनके खाने में पनीर, फल और मांसाहार के रूप में अंडे, फिश या मीट शामिल करें। जंक फूड कम से कम दें और उन्हें खूब दौड़ने-भागने दें। बच्चों में कब्ज भी आजकल एक बड़ी समस्या है जो कई बार अनुवांशिक भी हो सकती है। ऐसे में अगर बच्चों को पेटदर्द, गैस बनने या अन्य समस्या की शिकायत बनी रहती है तो मन से इलाज करने के बजाय डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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