भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग ने सूखी वनस्पतियों से इकेबाना बनाने का एक सुन्दर प्रयोग किया है। जनसम्पर्क निदेशक चन्द्रकांत उइके ने प्रदर्शनी की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए इसका आयोजन रायपुर में भी करने का आग्रह किया। इससे पहले श्री उइके ने फीता काटकर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। सूखी वनस्पतियों से बनी कृतियों को देखकर वे बड़े उत्साहित हुए। उन्होेंने प्रयुक्त सामग्रियों को भी पहचान लिया और खुश हुए। कहीं छिंद के फूलों का प्रयोग किया गया था तो कहीं भजकटिया का। कहीं खट्टा फल का उपयोग किया गया था। सुनहरे और रुपहले रंगों में सजी हुई ये कृतियां बेहद सुन्दर लग रही थीं। एक कद्दू के खोल को रंगकर उसमें एक बल्ब लगाया गया था। आयोजन से उत्साहित श्री उइके ने कहा कि इन अनुपयोगी चीजों को आमतौर पर हम फेंक देते हैं। इन्हें यू कलात्मक रूप देकर टेबल या शो केस में सजाया भी जा सकता है, इसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी।
श्री उइके ने कहा मैने बहुत सी प्रदर्शनी देखी है पर यह अद्भुत है। आपने वेस्ट का बेस्ट से भी बेस्ट प्रयोग किया है यह सराहनीय है। इस प्रदर्शनी में वेस्ट मटेरियल के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाले फल व फूलों की भी जानकारी प्राप्त होती है। यह स्वरूपानंद का अनूठा प्रयास है संस्कृति विभाग के माध्यम से इसकी प्रदर्शनी लगवायेंगे जिससे यह लोगों तक पहुंचे। महाविद्यालय द्वारा उत्पादित एसएस ग्रीन टी का विक्रय का प्रारंभ किया गया जिसकी सराहना करते हुये श्री उइके ने कहा यह स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है साथ ही महाविद्यालय में बने होने के कारण शुद्ध भी है।
प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने हौसला अफजाई के लिए श्री उइके का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आपकी सराहना से हमारा उत्साह बढ़ा है। महाविद्यालय परिवार के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है और हम और भी अच्छा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने श्री उइके को एक इकेबाना महाविद्यालय परिवार की तरफ से भेंट किया।
इकेबाना की संयोजक श्रीमती सुनीता शर्मा विभागाध्यक्ष जुलॉजी ने बताया इकेबाना फूल, फल एवं पत्तियों से बना फ्लोरल अरेंजमैंट का जापानी नाम है। हमारे चारों ओर कई ऐसे फूल, फल हैं जो सूख गये हैं, जिसको जलाने से कार्बनडाईआॅक्साईड उत्सर्जित होता है, यही फल फूल सड़कर वातावरण को प्रदूषित भी करते है इसी फल, फूल एवं पत्ती को सजावटी समान के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक के फूल का उपयोग करते हैं जो कि हानिकारक होता है, प्रकृति सबसे बड़ी कलाकार है इसके बनाये हुये कलाकृति का उपयोग करें।