भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में 19 सितंबर को इण्डियन चेस्ट सोसाइटी और छत्तीसगढ़ चेस्ट सोसाइटी के तत्वावधान में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग द्वारा प्रथम पल्मोनरी अपडेट का आयोजन किया गया। डॉ रोहित सरिन ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की 2025 तक टीबी को रोकने की योजना के बारे में नीतियों और कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ सरिन संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) पर भारत सरकार के नीति निर्माता भी हैं। उन्होंने इन्टरेक्शन के दौरान महत्वपूर्ण सलाह दी और सत्र में उपस्थित डॉक्टर्स सहित शामिल पीजी विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी किया।मुख्य अतिथि जेएलएन चिकित्सालय के निदेशक प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ के एन ठाकुर ने बैठक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नेशनल इन्स्टीट्यूट आॅफ टीबी एवं रेस्पीरेटरी डिसिसेज (एनआईटीआरडी) के प्रोफेसर व निदेशक डॉ रोहित सरिन प्रमुख वक्ता के रूप से उपस्थित थे।इस अवसर पर वरिष्ठ उप निदेशक (श्वसन रोग) और छत्तीसगढ़ राज्य चेस्ट सोसाइटी व सांइटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ त्रिनाथ दास ने प्रोफेसर सरिन और संस्थान के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। संस्थान एक 500 बिस्तर वाला पूरी तरह से श्वसन अस्पताल है। यहां प्रथम टीबी डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला 2011 में स्थापित की गई थी। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने इस अस्पताल को अपने उत्कृष्ट शिक्षण के लिए ‘स्क्रॉल आॅफ आॅनर’ के रूप में सम्मानित किया। प्रोफेसर डॉ सरिन ने ‘सरकारी रणनीति और टीबी समाप्त करने की पहल’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रोफेसर सरिन अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त एक प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट हैं। उन्हें शिक्षण में 35 साल का अनुभव है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तथा संयुक्त राष्ट्र और दक्षिण पूर्व एशिया से कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं और उनके कई अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन प्रकाशित भी हो चुके हैं।
जेएलएन चिकित्सालय के निदेशकों डॉ एस के इस्सर, डॉ अनुराग श्रीवास्तव एवं संयुक्त निदेशक डॉ जी मालिनी भी इस सत्र के दौरान विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रोफेसर सरिन ने स्नातकोत्तर छात्रों के साथ इंटरऐक्टिव सत्र भी लिया। उन्होंने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उन्हें पे्रक्टिकल परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिये। प्रोफेसर सरिन ने संध्या काल में प्रथम चेस्ट सोसाइटी सांइटिफिक सत्र को भी सम्बोधित किया। इस सत्र में रायपुर, राजनांदगाँव और बिलासपुर से लगभग 50 चेस्ट चिकित्सकों ने भाग लिया। इस दौरान प्रोफेसर सरिन ने ‘ड्रग प्रतिरोधी टीबी की नई दवाओं और प्रबंधन’ विषय पर व्याख्यान दिया। इसमें बीएसपी के जेएलएन अस्पताल के निदेशक प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ के एन ठाकुर, निदेशक डॉ एस के इस्सर, निदेशक डॉ अनुराग श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक डॉ जी मालिनी, डॉ आर के पांडा, एसोसिएट प्रोफेसर रायपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ ए के बेहरा, एसोसिएट प्रोफेसर एम्स, रायपुर के डॉ सुशील जैन सलाहकार, रामकृष्ण केयर अस्पताल, रायपुर के डॉ गिरीश अग्रवाल, रामकृष्ण केयर अस्पताल, रायपुर तथा एमएमआई रायपुर के डॉ दीपेश भी इस अवसर उपस्थित थे।
डॉ त्रिनाथ दाश, वरिष्ठ उप निदेशक (श्वसन रोग) ने धन्यवाद ज्ञापन किया।