दुर्ग। सुप्रसिद्ध मनोविशेषज्ञ डॉ. आकांक्षा गुप्तादानी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है और महत्वपूर्ण भी है। हम इस पर ध्यान न देकर लापरवाही बरतते है जिससे छोटी-छोटी बातें एक बड़ी गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। उन्होनें अवसाद पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि किशोर अवस्था में हम उचित मार्गदर्शन एवं सलाह के अभाव में हत्तोसाहित हो जाते है और धीरे-धीरे यह अवसाद का रूप ले लेता है। छात्राएँ ज्यादा इससे प्रभावित हो जाती है। डॉ आकांक्षा शासकीय डॉ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग में मेडिकल सेन्टर तथा जिला स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्राओं का मानसिक विकास एवं मानसिक समस्याओं पर मार्गदर्शन कर रही थीं। सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. आकांक्षा ने बताया की आत्महत्या की घटनाएँ भी छोटी-छोटी सी बातों को लेकर बढ़ रही है। हमें अपना मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ाए रखना है जिसके अभाव में हम अपने अमूल्य जीवन को खो बैठने का दुस्साहस कर बैठते है। मेडिकल सेंटर प्रभारी डॉ. रेशमा लाकेश ने भी छात्राओं को मानसिक अस्वस्थता के संबंध में विस्तार से बताया और निराकरण के टीप्स दिए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि परीक्षा के समय के तनाव से हम परिचित है जिससे हमें नुकसान ही होता है। उसके लिए वर्षभर समयबद्ध ढंग से पढ़ाई की जावे तो यह तनाव नहीं होगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसी तरह जीवन में घटने वाली छोटी-छोटी घटनाओं से घबराए नहीं हर परिस्थिति में मनोबल ऊँचा रख कर ही सफल हो सकते है।
छात्राओं ने अपनी समस्याओं को विशेषज्ञ से पूछा और उसका निदान प्राप्त किया। इस अवसर पर छात्राएँ, प्राध्यापक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन डॉ. लता मेश्राम ने किया।