भिलाई। क्रिश्चियन कॉलेज आॅफ इंजिनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (सीसीईटी) में ‘रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडिशनिंग में नव उन्नति एवं मानव जीवन पर इसका प्रभाव’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ 15 नवम्बर को किया गया। कार्यशाला में रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडिशनिंग के क्षेत्र में नवीन शोधों नये सुरक्षा संसाधनों, प्रशीतकों, वातावरण को सुरक्षित बनाये रखने के लिए उठाये गये कदमों एवं आधुनिक तकनीक के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन पर विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की जा रही है। कार्यशाला का आयोजन क्रिश्चियन कॉलेज आॅफ इंजिनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (सीसीईटी) के मेकेनिकल विभाग एवं छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। मुख्य अतिथि कलकत्ता डायोसिस के बिशप डॉ जोसेफ मार डायोनिसियस थे। मुख्य वक्ता जे आई एस विश्वविद्यालय, कोलकत्ता के मेकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ संदीप घोष, एआईटी, रायपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ विवेक गाबा, एचआईटीएएम, हैदराबाद के प्रोफेसर डॉ एस. रवि कुमार एवं क्रिश्चियन कॉलेज आॅफ इंजिनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, भिलाई के मेकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ मृणाल कांति मानिक हैं। यह कार्यशाला टेक्नीकल एजुकेशन क्वॉलिटी इम्प्रुभमेन्ट प्रोग्राम फेस 3 द्वारा वित पोषित है। सीएसवीटीयू के कुलपति डॉ एम. के वर्मा तथा संरक्षक सीएसवीटीयू के रजिस्ट्रार डॉ डी एन सिरसांत, सीसीईटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष फादर जोस के वर्गीस एवं महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दिपाली सोरेन इस कार्यशाला के मुख्य संरक्षक हैं। मुख्य समन्वयक सीएसवीटीयू के टीक्यूआईपी सेल के समन्वयक डॉ पीयूष लोटिया तथा संयोजक सीसीईटी के मेकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मृणाल कांति मानिक हैं।
संयोजक डॉ मानिक ने प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं कार्यशाला की रूपरेखा का विवरण प्रस्तुत किया। प्राचार्या डॉ. दिपाली सोरेन ने आयोजन में सीएसवीटीयू के योगदान को रेखांकित करते हुए प्रतिभागियों को विषय की प्रारम्भिक जानकारी प्रदान की एवं कार्यशाला का महत्व बताया। सीसीईटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष फादर जोस के वर्गीस ने बताया कि पुरानी रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडिशनिंग तकनीकों ने पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत हद तक प्रभावित किया है जिसका समक्ष उदाहरण क्लोरो-फ्लोरो कार्बन के प्रयोग से ओजोन लेयर में छिद्र के रूप में परिणित हुआ है। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाये रखते हुए नवीन तकनीकों के प्रयोग एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों के रखरखाव हेतु कोल्ड स्टोरेज तथा खाद्य सुरक्षा पर नई तकनीको की आवश्यकता को उजागर किया।
मुख्य अतिथि बिशप डॉ जोसेफ मार डायोनिसियस ने बताया कि आज का मानव पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को नजर अंदाज करते हुए प्रत्येक चीज का कृत्रिम निर्माण कर रहा है, परंतु मानव जीवन का भविष्य ईको फ्रेन्डली टेक्नोलॉजीस मे निहीत है। मेकेनिकल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर पी एस राव ने आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता जे डॉ संदीप घोष ने रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडिशनिंग में प्रयुक्त पुरानी तकनीक एवं नयी तकनीक का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करते हुए नयी तकनीक के लाभ बताये। द्वितीय सत्र में डॉ विवेक गाबा ने रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडिशनिंग में सौर ऊर्जा एवं वेस्ट एनर्जी के उपयोग सम्बंधित तकनीकी प्रयासो के बारे में बताया। उन्होने एडर्जाप्सन सिस्टम में प्रयुक्त प्रशीतको के न्युनतम ओडीपी एवं जीडब्ल्यूपी मानो का महत्व बताया।