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सूक्ष्मजीवों से पर्यावरण सुरक्षा, स्वरूपानंद कालेज में प्रतियोगिता आयोजित

Nov 15, 2018

SSSSMV Micro Organismभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में माईक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिता आयोजित की गई। विषय था ‘यूजेस आॅफ माईक्रोआॅरगेनिसम टू सेव मदर अर्थ गो ग्रीन’। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने की। अतिथि डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी (शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग) डॉ. नसरीन हुसैन (शासकीय कन्या महाविद्यालय, दुर्ग) रहे। दुर्ग-भिलाई महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रस्तुती दी। कार्यक्रम संयोजक डॉ. शमा बेग (विभागाध्यक्ष माईक्रोबायोलॉजी विभाग) ने बताया विज्ञान की प्रगति के साथ प्रकृति का दोहन कर प्रकृति को हमने प्रदूषित किया है। उसको प्रदूषण मुक्त करने के लिये सूक्ष्मजीवों का उपयोग कर प्रकृति को शुद्ध करना होगा। सूक्ष्मजीवों के विभिन्न उपयोग जैसे जैवउर्वरा, जैवनियंत्रण कारक बायोरेमिडियेशन, बायोओग्मेंटेशन का उपयोग पर्यावरण को सुरक्षित एवं स्वच्छ रखने के लिये करना चाहिये। विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ प्रकृति को बचाना एवं उसका संरक्षण करना एवं हरा-हरा रखना हमारा मुख्य दायित्व है। इसी को ध्यान में रखते हुये इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण अनेक कारणों से है। पहले आम की लकड़ी का उपयोग चूल्हा जलाने के लिये किया जाता था जिससे प्रदूषण कम होता था। अब विभिन्न प्रकार के लकड़ियों को जलाने से प्रदूषण बढ़ गया है। लालच के कारण हम प्रकृति को प्रदूषित कर रहे हैं अत: आवश्यकतानुसार ही संसाधनों का उपयोग करें। उन्होंने छात्रों से इस विषय पर अपने विचार और नई पद्धति बनाने के लिये प्रेरित किया जिससे हमें प्रदूषण रहित वातावरण प्राप्त हो सके।
डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुये कहा कि सूक्ष्मजीव दो प्रकार के होते हैं। लाभदायक और हानिकारक, लाभ दायक जीवों का प्रयोग हम नये परिक्षणों द्वारा पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त करने व जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिये कर सकते हैं। व सूक्ष्मजीवों का उपयोग हम गंदे पानी को साफ करने के लिये भी कर सकते हैं इस पानी को हम सिचाई, बर्तन धोने आदि हेतु कर सकते हैं। जैव रसायन के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति बनीं रहती है साथ ही रसायनिक उर्वरक के प्रयोग से होने वाली हानियों जैसे प्रदूषण, पशुओं का दुष्प्रभाव व जमीन का बंजर होना आदि से बच सकते है।
डॉ. नसरीन हुसैन ने बच्चों की प्रस्तुती और विचारों की प्रशंसा करते हुये कहा कि युवाओं को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक करना अतिआवश्यक है। सूक्ष्मजीवों के उपयोग से धरा को हरा-भरा बनाने हेतु हमें ही प्रयास करना होगा। प्रयोगशाला से इन प्रयोगों को बाहर लाकर नई पीढ़ी को पर्यावरण सुरक्षित करने हेतु प्रेरित करना होगा साथ ही उनके विचारों को अभिव्यक्त करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।
विद्यार्थियों के प्रस्तुतीकरण का निर्णय डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी एवं डॉ. नसरीन हुसैन ने किया जिसमें प्रथम – मरसी फरनेंडिस, बीएससी द्वितीय, माईक्रोबायोलॉजी (भिलाई महिला महाविद्यालय, सेक्टर-09, भिलाई)
द्वितीय- अपिर्का सिंह, बीएससी द्वितीय, बायोटेक (श्री शंकराचार्य महाविद्यालय, जुनवानी)
तृतीय – भविशा मोडाफोज, एमएससी द्वितीय सेम. माईक्रोबायोलॉजी (भिलाई महिला महाविद्यालय, सेक्टर-09, भिलाई)
कार्यक्रम का संचालन प्रियंका चोपड़े (स.प्रा. माईक्रोबायोलॉजी) विभाग ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कामिनी देशमुख (स.प्रा. माईक्रोबायोलॉजी) ने दिया। कार्यक्रम में डॉ. रजनी मुद्लियार (विभागाध्यक्ष रसायन विभाग) डॉ. शिवानी शर्मा (विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी विभाग), साक्षी मिश्रा (स.प्रा. बायोटेक्नोलॉजी विभाग) श्रीमती सुनीता शर्मा (विभागाध्यक्ष जुलॉजी विभाग) श्रीमती ज्योति शर्मा (विभागाध्यक्ष वनस्पति विभाग) एवं सभी छात्र-छात्रायें उपस्थित हुये।

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