भिलाई। लायन्स क्लब मुम्बई की प्रथम महिला गवर्नर एवं मोटिवेशनल स्पीकर भावना शाह ने विद्यार्थियों का आह्वान किया है कि वे स्वयं को सोशल मीडिया की बमबारी से बचाएं। मोबाइल आधुनिक जीवन में तकनीकी का एक वरदान है, इसे अभिशाप न बनने दें। मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से न केवल आपका आज बल्कि आपका कल भी खराब हो सकता है। भावना यहां एलियांस इंस्टीट्यूट आॅफ कॉमर्स एंड मैनेजमेन्ट द्वारा आयोजित मोटिवेशनल सेमीनार को संबोधित कर रही थीं। ‘कैसे बनाएं मोबाइल से दूरी’ और ‘कैसे करें परीक्षा की तैयारी’ पर आयोजित इस सेमीनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी का जन्म गुलाब की एक कली के रूप में हुआ है। कली का धर्म है कि वह पल्लवित हो और गुलशन को महकाए। पर अनेक कारणों से प्रत्येक कली गुलाब नहीं बन पाती। हमारा जीवन भी ऐसा ही है।सोशल मीडिया को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इसका मजाक बनाकर रख दिया है। गुडमार्निंग और गुडनाइट मैसेजों से मोबाइल भर रहे हैं। अनाप शनाप जनकारियों को फारवर्ड करके खुद भी कन्फ्यूज हो रहे हैं और दूसरों को भी कन्फ्यूज कर रहे हैं। अनर्गल सूचनाओं की इस बमबारी से बचें वरना जीवन इसी में उलझ कर रह जाएगा। सूचनाओं की निरंतर बमबारी से आपकी सोचने समझने की शक्ति जाती रहेगी।
मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के प्रति सचेत करते हुए उन्होंने कहा कि मोबाइल का उपयोग जितना बढ़ रहा है उतना ही हम विकीरणों के जाल में उलझते जा रहे हैं। पेड़ पौधों एवं पक्षियों पर इसका प्रभाव पूरी दुनिया में दिखाई देने लगा है। इंसान भी इसके दुष्प्रभाव से मुक्त नहीं हैं। मोबाइल का इसी तरह अंधाधुंध उपयोग होता रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ियां विकृतियों के साथ पैदा होंगी।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट फोन का सही उपयोग करें। यह एक बेहतरीन गैजेट है। यह न केवल आपको अपने लोगों से जोड़कर रखता है बल्कि आवश्यक सूचनाओं और सेवाओं को मुट्ठी में ला देता है। इसका सीमित और युक्तिपूर्ण उपयोग करें तो यह एक वरदान होगा।
सोशल मीडिया की धुनाई करते हुए उन्होंने कहा कि आपमें से प्रत्येक व्यक्ति अपने आपमें पूर्ण एवं अनूठा है। आपको किसी के एप्रूवल की जरूरत नहीं है। आप सबसे ज्यादा खूबसूरत हैं। कोई कहे या न कहे, आपको खुद पर गुमान होना चाहिए। लोग सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर चिपकाकर लाइक का इंतजार करते हैं। मिल गए तो बांछे खिल गर्इं और नहीं मिले तो डिप्रेशन में चले गए। कुछ लोग दिन भर अपनी डीपी ही बदलते रहते हैं। यह न केवल गैरजरूरी है बल्कि हास्यास्पद भी है।
कली के गुलाब नहीं बनने के कारण गिनाते हुए बच्चों ने रोचक जवाब भी दिए। किसी ने कहा कि कली को ऐसा महसूस हुआ होगा कि गुलशन में गुलाब बहुत हैं, अब और गुलाबों की जरूरत नहीं होगी। इसलिए वह नहीं खिलती। किसी ने कहा कि गुलाब को किसी ने तोड़ लिया होगा। किसी ने कहा कि कांटों से डरकर कली गुलाब नहीं बन पाई तो किसी ने मौसम तथा दीगर कारणों को इसके लिए दोषी ठहराया। सुश्री भावना इन सभी का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बच्चों को सही दिशा में सोचना सिखाया। सुश्री भावना ने कहा कि अब आईक्यू, एक्यू के बजाय लोगों की एसक्यू (स्पिरिचुअल कोशेंट) की बातें होने लगी हैं। आध्यात्म व्यक्ति को भीतर से इतना मजबूत कर देता है वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमेशा पूरी तरह तैयार रहता है।
आरंभ में कॉमर्स गुरू डॉ संतोष राय ने सुश्री भावना का परिचय दिया। वे दूसरी बार यहां कॉमर्स स्टूडेन्ट्स को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर पीसी फैमिली की साइकियाट्रिस्ट मिट्ठू मैडम, सीए दिव्या रत्नानी, सीए प्रवीण बाफना, सीए अभिषेक सहित स्टूडेन्ट्स बड़ी संख्या में उपस्थित थे।