भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हास्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ दीपक वर्मा ने बढ़ती उम्र के लोगों, विशेषकर महिलाओं को अस्थि भंगुरता (आॅस्टियोपोरोसिस) के प्रति सावधान करते हुए कहा है कि इस स्थिति से बचने के उपाय समय रहते प्रारंभ कर देने में ही समझदारी है। उन्होंने कहा कि एक बार अस्थियां कमजोर हो गर्इं तो उसे पलटा नहीं जा सकता। स्पर्श के मेडिकल डायरेक्टर डॉ संजय गोयल ने कहा की लाइफ स्टाइल चेंज की वजह से कैल्शियम का संतुलन बिगड़ जाता है. समय समय पर कैल्शियम और बोन मिनरल डेंसिटी की जांच करवाकर इस संकट से बचा जा सकता है.ध्यान रहे की ऑस्टियोपोरोसिस से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ वर्मा ने कहा कि 50 पार की महिलाओं में यह समस्या बेहद आम है। विशेषकर रजोनिवृत्ति के दौरान हॉरमोन्स में होने वाले परिवर्तनों के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है। पुरुषों में यह समस्या काफी देर से शुरू होती है। आॅस्टियोपोरोसिस में हो चुके नुकसान को मिटाया नहीं जा सकता, इसलिए इसकी रोकथाम ही इससे बचाव का एकमात्र तरीका है।
डॉ वर्मा ने कहा कि हमारी अस्थियां जीवंत होती हैं और ये जीवन भर बनती और क्षरित होती रहती हैं। जितना क्षरण होता है उतना ही बोन मिनरल फिर बन जाता है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, बोन मिनरल के बनने की रफ्तार कम होती जाती है और वह क्षरण के मुकाबले कम पड़ने लगती है। रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में और कुछ बीमारियों के दौरान पुरुषों में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जिससे असंतुलन की यह स्थिति बन जाती है। इससे अस्थियां कमजोर और भुरभुरी होने लगती हैं और जरा सा दबाव पड़ने पर टूटने लगती है।
डॉ वर्मा ने बताया कि मीनोपॉज के दौरान आने वाली समस्या से बचाव के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं। खान पान और लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव लाकर भी बोन स्ट्रेंथ को बढ़ाया जा सकता है।
ऐसे करें बचाव : आॅस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए बोन मिनरल डेंसिटी की जांच करवानी चाहिए। डाक्टर की सलाह लेकर डाइट में कैल्शियम व फास्फोरस की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। इससे बोन मिनरल बनने की प्रक्रिया में कुछ तेजी आती है। इसके साथ ही विटामिन डी के लिए धूप का सेवन करना चाहिए।
आॅस्टियोमलेसिया : इसमें भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं पर यह आॅस्टियोपोरोसिस से अलग है। आंतों की समस्या के कारण विटामिन डी अवशोषण में कमी, फॉस्फोरस और कैल्शियम की कमी के कारण इसमें अस्थियां मुलायम हो जाती हैं और आसानी से टूटने लगती हैं। इसके साथ है मांसपेशियों की अस्थियों पर पकड़ भी ढीली पड़ने लगती है। यदि इसका जल्द इलाज नहीं किया तो शरीर में अनेक विकृतियां आ सकती हैं।
ऐसे समझें फर्क : यदि हम सीमेंट कांक्रीट से हड्डियों की तुलना करें तो आॅस्टियोमलीसिया कांक्रीट के भुरभुरा हो जाने को कहेंगे और आॅस्टियोपोसिस छड़ और कंक्रीट दोनों के नष्ट होने को कहेंगे।