भिलाई। स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी और जुलॉजी विभाग ने बालोद दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाने का भ्रमण किया। महाविद्यालय के 58 विद्यार्थी शैक्षणिक भ्रमण में सम्मिलित हुए जिसमें उन्होंने विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित विभिन्न उपकरणों को प्रत्यक्ष रुप से जाना तथा उनकी कार्य प्रणाली का भी अध्ययन किया। छात्रों ने शक्कर विनिर्माण की प्रक्रिया का अवलोकन किया। जिसमें उन्होंने जाना कि प्रथम चरण में गन्ने की खरीदी, उसमें शक्कर और पानी की मात्रा को ज्ञात कर उसका मूल्यांकन करना, फिर उसे क्रेन की सहायता से कटर में डालना और रोलर में डाल गन्ने का रस निकाला जाता है।द्वितीय चरण में गन्ने के रस का शीरा बनाना, उसे रसायनों द्वारा साफ कर छानना, फिर उसका क्रिस्टलीकरण कर, उसे बोरियों में पैक कर गोडाउन में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को देखा।
तृतीय चरण में गन्ने के अपशिष्ट बैगास का फर्नेस और ब्रॉयलर द्वारा राख में स्थानांतरित कर और भाप और टरबाइन की सहायता से बिजली का उत्पादन करना देखा। एम. के धु्रव महाप्रबंधक द्वारा बताया गया कि अपशिष्ट द्वारा उत्पादित बिजली से ही कारखाना चलाया जाता है कारखाने में सीएसईबी द्वारा बिजली नहीं खरीदी जाती। दूसरे अपशिष्ट ‘मोलैसेस’ का सूक्ष्मजीवों द्वारा अल्कोहल में परिवर्तन किया जाता है जिसे एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा परमिट धारियों को बेचा जाता है या उसे अन्य परमिट धारी डिस्टलरी को बेचा जाता है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 68-70 हजार क्विंटल शक्कर का उत्पादन होता है।
विभाग द्वारा आयोजित इस शैक्षणिक भ्रमण को सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने व्यवहारिक ज्ञान हेतु आवश्यक बताया। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि शैक्षणिक भ्रमण से विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ यह भी पता चला कि पृथ्वी में काई भी चीज अपशिष्ट नहीं है जो एक प्रक्रिया में अपशिष्ट है वह दूसरे प्रक्रिया हेतु उपयोगी होती है।
शैक्षणिक भ्रमण डॉ. शमा ए. बेग, विभागाध्यक्ष, माईक्रोबायोलॉजी एवं श्रीमती सुनीता शर्मा, विभागाध्यक्ष जूलॉजी के सफल निर्देशन में आयोजित किया गया। भ्रमण में स.प्रा. कामिनी देशमुख, स.प्रा. प्रियंका चोपाडे, लैब सहायक सतीष देशलहरे और यशपाल सिंग भी सम्मिलित हुये।