भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें प्राचार्य, प्राध्यापकों एवं शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों ने अपने विचारों को व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने की तथा उन्होंने कहा कि मातृभाषा हमारी मन की भाषा है जो बच्चा सबसे पहले अपनी मां से सीखता है और कितना भी बड़ा हो जाये अपनी मातृभाषा में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सहज महसूस करता है। आज हम अपनी पहचान राष्ट्रीय या अन्तराष्ट्रीय स्तर बनाये लेकिन अपने मातृभाषा का हमें प्रयोग एवं आदर करना चाहिये। बी.एड. विद्यार्थी मोहित कुमार ने कहा कि व्यक्ति अपने विचारों की अभिव्यक्ति मातृभाषा में सरलतम रूप में कर सकता है सुशांत ने कहा मातृभाषा का स्तर अन्तराष्ट्रीय भाषा के स्तर से भी ऊंचा है । मातृभाषा की महत्ता को आरती ने ‘मेरी मातृभाषा सबसे प्यारी’ कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया।
डॉ. स्वाती पाण्डेय ने कहा मातृभाषा के माध्यम से दिया जाने वाला ज्ञान सरल होता है। डॉ. नीलम गांधी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुये कहा कि अंग्रेजों का भारत आगमन न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को क्षत विक्षत कर रहा था अपितु हमारी मातृभाषा का अस्तित्व भी समाप्त करने पर तुला हुआ था। ज्ञान के लिए अंग्रेजी माध्यम बने मगर सभी हिन्दुस्तानी को प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में मिले।
कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. पूनम शुक्ला ने कहा हिन्दी की दशा के लिए हमारी शिक्षा पद्धति एवं शासन व्यवस्था दोनों ही जिम्मेदार हैं। अगर देश पर हावी अंग्रेजियत को हटाना है तो शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन लाना होगा और पाठ्यक्रम में मातृभाषा को सम्मिलित करना होगा।