भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय सेक्टर-9 में शिशु रोग विभाग (नियोनेटल डिपार्टमेंट) प्रारंभ करने वाले डॉ एमएस मदान का आज तड़के देहावसान हो गया। लगभग 90 वर्षीय डॉ मदान नेहरू नगर गुरुद्वारे में संचालित धर्मार्थ चिकित्सालय के भी अधिष्ठाता हैं। जीवन के अंतिम वर्षों में भी वे बेहतर शिशु स्वास्थ्य की दिशा में स्वयं के साधनों से काम करते रहे। सन् 1962 में डॉ मदान युनाइटेड किंगडम की नौकरी छोड़कर भिलाई इस्पात संयंत्र से जुड़ गए। उन्होंने शिशु रोग विभाग की स्थापना की। यह देश का सातवां शिशु रोग विभाग था। तब तक जनरल फिजिशियन ही बच्चों से लेकर बड़ों तक का इलाज करते थे। जल्द ही इस यूनिट का नाम तत्कालीन मध्यप्रदेश समेत आसपास के राज्यों तक फैल गया। 1969 में यहां पहला इंक्यूबेटर स्थापित किया गया। यह देश का सातवां नियोनेटल केयर यूनिट था।डॉ मदान ने शिशु रोग चिकित्सा के लिए नर्सिंग एवं सपोर्टिंग स्टाफ को स्वयं प्रशिक्षित किया। उन्हें भिलाई में शिशु रोग चिकित्सा का पितृ पुरुष माना जाता है। डॉ मदान की कोशिश होती थी कि कम से कम औषधि के बच्चों को ठीक किया जाए। वे सामान्य भोजन को ही बच्चों के लिए श्रेष्ठ भोजन मानते थे।
उनका यह भी मानना था कि यदि दांत खराब होंगे तो बच्चा ठीक से भोजन नहीं कर पाएगा और उसका साधारण स्वास्थ्य दांव पर लग जाएगा। उन्होंने अनेक पुस्तिकाओं की रचना की और उन्हें नि:शुल्क बच्चों के बीच वितरित करते रहे। इनमें ओरल हाइजीन (दांतों और मुख की सफाई) पर ज्यादा जोर दिया जाता था।
बीएसपी की नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के बाद उन्होंने समान सोच वाले वरिष्ठ चिकित्सकों के सहयोग से नेहरू नगर गुरुद्वारे में धर्मार्थ चिकित्सालय की स्थापना की। यह अस्पताल आज भी हजारों लोगों को बेहद मामूली शुल्क पर विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराता है। डॉ मदान इस अंचल से आईएपी के प्रथम फेलो भी थे।
उनके निधन पर शिशु रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ पुखराज बाफना, डॉ एपी सावंत, डॉ एमके खण्डूजा, डॉ ओमेश खुराना, डॉ सत्येन ज्ञानी सहित चिकित्सक बिरादरी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
Dear Ravi, I am sending my heartfelt condolences for the departed soul and pray the almighty to give strength to bear this loss, Dr M S Megan’s discipline and services will be always remembered