भिलाई। भोजन को लेकर आधुनिक भारत की सोच कितना भटक चुकी है इसका अंदाजा जिनोटा फार्मेसी में आयोजित बोन मिनरल डेन्सिटी टेस्ट के दौरान लगा। पिछले दो दशकों में मुर्गा खाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है जबकि कैल्शियम के लिए मछली खाना उससे कई गुना ज्यादा फायदेमंद है। इसी तरह शाकाहारियों में मुनक्का, अंगूर, खजूर को लेकर फैंसी है जबकि इससे 40 गुना ज्यादा कैल्शियम मेथी में है। जिनोटा पॉलीक्लिनिक के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ सुहास गुलाब राव कामडी ने बताया कि आहार को लेकर 90 फीसदी लोगों की सोच अस्पष्ट है। इसीलिए बोन मिनरल डेन्सिटी टेस्ट करने के साथ ही मरीजों को एक आहार तालिका भी दी जा रही है जिसमें भोजन और उसमें उपलब्ध कैल्शियम की मात्रा बताई जा रही है। बोन मिनरल डेन्सिटी अस्थितियों का निर्माण करने वाले तत्व के घनत्व को कहते हैं। यह जितना घना होगा, अस्थियां उतनी मजबूत होंगी। एक उम्र के बाद इनमें क्षरण होता है और अस्थियां पोली होने लगती हैं। अलग अलग चरणों में इसे ही एस्टियोपीनिया या ओस्टियोपोरोसिस कहते हैं। पोली हड्डियां जरा से दबाव में चटकने या टूटने लगती हैं। इससे बचा जाना जरूरी है।
जहां तक शाकाहारियों की बात है तो सबसे ज्यादा कैल्शियम मेथी में होता है। प्रति 100 ग्राम मेथी में 470 मिग्रा कैल्शियम होता है जबकि चुकन्दर में 200 मिग्रा। पत्ता गोभी में इसकी मात्रा 140 है तो मुनक्का में केवल 100। इसके अलावा फूल गोभी में 80, भिण्डी से 90 मिग्रा कैल्शियम प्रति 100 ग्राम मिलता है। खजूर में 70, काला अंगूर में 30, संतरे में 50, सेब और केला में 10-10 मिग्रा कैल्शियम होता है।
उन्होंने बताया कि दूध से ज्यादा कैल्शियम पाउडर दूध में होता है। गाय के दूध में 120, दही में 120, पनीर और छेने में 790 मिग्रा कैल्शियम होता है जबकि दूध पाउडर में यह मात्रा 1570 मिग्रा के आसपास होती है।
मांसाहारी भी यह जान लें कि मुर्गा, मटन, अंडे में उतना कैल्शियम नहीं है जितना कि समुद्री मछली में या रोहू में होता है। मुर्गे में 30, बकरे में 150, अंडे में 60 मिग्रा कैल्शियम होता है। महंगी मछली झींगा में इसकी मात्रा 320 मिग्रा होती है जबकि समुद्री मछली में 430 मिग्रा, रोगू में 650 मिग्रा कैल्शियम होता है।
यहां आपको बता दें कि आधुनिक युग का बीएमआई इंडेक्स हड्डियों की सेहत को खातिर में नहीं लाता। स्वस्थ घनत्व वाली अस्थियों वाला व्यक्ति अपने समान कद-काठ-उम्र के व्यक्ति से भारी होता है। मौके पर उपस्थित एमजे ग्रुप आॅफ एजुकेशन की डायरेक्टर श्रीमती श्रीलेखा विरुलकर, स्वाति गुलाटी, एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ केएस गुरुपंच, अर्चना त्रिपाठी, मेघा मानकर, नेहा महाजन, नर्सिंग की प्राचार्य सी कन्नमल, सिजी थॉमस, आदि ने बताया कि यह जानकारी सभी के लिए बेहद उपयोगी है। आहार संबंधी इन जानकारियों को लोगों तक पहुंचाकर हम स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं।