भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा बोर्ड भारत सरकार द्वारा निर्देशित एवं ग्रीन आॅडिट कमेटी के प्रोत्साहन से महाविद्यालय के सभी स्टॉफ ने फूलों से सूखी होली खेली जिससे पर्यावरण और पानी की सुरक्षा की जा सके। इस अवसर पर ग्रीन आॅडिट कमेटी ने वन विभाग दुर्ग के सहयोग से वन दिवस भी मनाया। वन विभाग दुर्ग के प्रभारी अधिकारी डी.आर. रात्रे (रेंजर) द्वारा फलदार और छायादार पौधे उपलब्ध कराये गये जिन्हें समस्त स्टॉफ एवं कर्मचारियों को वितरित किया गया और उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय बताये गये। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने वनों की महत्ता बताते हुये कहा कि हमें वनों को सुरक्षित रखना होगा एवं पौधों का वृक्षारोपण कर वातावरण को प्रदुशण मुक्त करने का संकल्प लेना होगा, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब मानव कांक्रीट के जंगलों में आॅक्सीजन के लिये तरसेगा।
ग्रीन आॅक्सीन कमेटी की संयोजिका डॉ. शमा अफरोज बेग ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वनों के क्षेत्रफल में कमी आयी है और 2010 के ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्स एसेसमेंट के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 80 प्रतिशत प्राकृतिक वन नष्ट हो चुके है। विश्व का 31 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है जो लगभग चार बिलियन हेक्टेयर है।
नेचर पत्रिका की रिपोर्ट कहती है कि 150 करोड़ पेड़ प्रतिवर्ष काटे जाते है, इससे होने वाले नुकसान तापमान में वृद्धि, वर्षा में कमी पर्यावरण प्रदूषण, आदि है। हमें इसे रोकने की पहल करनी होगी, इसलिये हर वर्ष यह दिन मनाया जाता है जिससे प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष का रोपण कर उनकी देखभाल करे, आज आवश्यकता है कि हर वर्ष प्रति व्यक्ति छ: पौधे लगाये एवं जीवित रखें जिससे हम पर्यावरण को सुरक्षित रख वनों को वापस जीवित कर उनका लाभ ले सकते हैं।
भारतीयों के लिये यह गर्व का विषय है कि इन उपायों के चलते जहां पूरे विश्व में वनाच्छादित क्षेत्रफल में कमी आयी है वही पिछले दस वर्षों के सेटेलाइट डाटा के अनुसार भारत के आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल राज्यों के जंगलों में वृद्धि हुई है, जबकि, अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में इसमें कमी आयी है। यह वृद्धि देश में चलाये जा रहे विभिन्न राष्ट्रीय नीतियों के तहत हुयी है जैसे – ग्रीन इण्डिया मिशन, एनएपी, इत्यादि।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुये ग्रीन आॅडिट समिति की सदस्य डॉ. एस.रजनी मुदलियार ने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति आज के दिन एक पौधे का रोपण कर उसकी देखभाल करे और अपने एक परिचित को इस कार्य के लिये प्रोत्साहित करें तो भारत में वन संपदा कभी कम नहीं होगी। महाविद्यालय के सभी स्टॉफ ने एक-एक पौधे लेकर उसे सुरक्षित रखने का संकल्प लिया।