भिलाई। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के द्वितीय दिन के प्रथम सत्र में डॉ. मनीषा शर्मा, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष ईटीसी, बी.आई.टी, दुर्ग द्वारा टीचर्स एस एकेडमिक लीडर्स विषय पर व्याख्यान दिया गया। लीडर के अर्थ पर प्रकाश डालते हुये डॉ. शर्मा ने कहा कि ऐसे व्यक्ति लीडर कहलाते हैं जिनमें पहल करने की क्षमता हो, दृष्टिकोण एकदम साफ हो, अपनी टीम की जिम्मेदारी लेने का साहस हो, अपने समूह का प्रतिनिधित्व करे साथ ही जीत मिलने पर श्रेय प्रत्येक सदस्य को दे किन्तु हार की जिम्मेदारी स्वयं ले। उन्होेंने टीम इंडिया के कप्तान एमएस धोनी का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि अकादमिक लीडर्स का गुण होता है कि वे अपनी टीम को बचाने के लिये ‘कम आन अटैक एण्ड डिफेन्ड इट’ करते हैं। अकादमिक लीडर्स में स्वअनुशासन, साहस, जिम्मेदारी, नेतृत्व क्षमता का गुण होना चाहिये और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि टीम लीडर अपनी टीम पर विश्वास करता हो। वही विश्वास उसके व्यवहार में दिखना चाहिये। लीडर्स का अपनी टीम के साथ कमिटमेंट होना चाहिये, अपने सदस्यों पर भरोसा होना चाहिये तभी अपनी क्षमता के अनुसार अपना बेस्ट देंगे तभी एक मजबूत टीम का निर्माण होगा।
उन्होंने कहा कि हम शिक्षक भी अकादमिक लीडर्स हैं जो अपनी जिम्मेदारी एवं क्षमता का सही उपयोग कर विद्यार्थियों को समाज एवं राष्ट्र के हित में कार्य करने की प्रेरणा दे सकते हैं एवं अपनी महती भूमिका निभा सकते हैं। सभी शिक्षक अकादमिक लीडर्स होते हैं क्योंकि अपने पाठ्यक्रम को कैसे और किस विधि से पूरा कराना है इस संदर्भ में वह पूर्णत: स्वतंत्र होते हैं।
द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव सहायक प्राध्यापक वी.वाय.टी महाविद्यालय, दुर्ग छत्तीसगढ़ थे। उन्होंने नैक मुल्यांकन की बदली हुई प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं दस्तावेजों की उपयोगिता को समझाया। उन्होंने नैक के सात बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि किस प्रकार नियमित कार्य एवं मुल्यांकन से ज्यादा से ज्यादा अंक अर्जित किये जा सकते हैं। कुछ विशेष तिथि जैसे विश्व पर्यावरण दिवस, ओजोन दिवस पर पर्यावरण की महत्ता दर्शाने वाले कार्यक्रम के अलावा अकादमिक इंडस्ट्री इंटरफेस बनाने की आवश्यकता महाविद्यालय में है।
टीचिंग, लर्निंग में ई-हरबेरियम जैसे नये प्रयोग करने की जरूरत है। महाविद्यालय का फंक्शनल वेबसाईट होना आवश्यक है। नैक में प्रस्तुतीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है तथा छात्र केंद्रित शिक्षा आज के युग की आवश्यकता है। आईक्यूएसी की तैयारी गणतांत्रिक तरीके से होनी चाहिये।
इसके बाद प्रतिभागियों को कुछ समूह में बांटकर नैक के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करने को कहा गया उसके पश्चात प्रत्येक समूह के लीडर ने अपने टीम के साथ चर्चा कर अपने सुझाव कार्यशाला में रखे। डॉ. पूर्णिमा सेठ ने यू-ट्यूब विडियोस एवं सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों का शिक्षा में ध्यान आकर्षित करने का सुझाव दिया। डॉ. सुनीता मिश्रा ने विद्यार्थियों को उत्तरदायित्व देकर भागीदारी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।
डॉ. वी. सुजाता ने टीचिंग, लर्निंग को प्रभावी बनाने के लिये परंपरागत विधि के अलावा रोल प्ले, ब्रेन स्टोरमिंग, क्वीज मेथड एवं व्यवहारिक पद्धती से पाठ्यक्रम को पूरा करना चाहिये जिससे विद्याथिर्यों को विशय का व्यवहारिक ज्ञान हो।
देव संस्कृति से सरिता झा ने शोध कार्य में आने वाली समस्याओं के हल के लिये डेटा कलेक्षन करने का सुझाव दिया। सुराना महाविद्यालय से डॉ. नीधि मिश्रा ने कहा कि आज के युग में व्यवहारिक ज्ञान की जोर देने की आवष्यकता है। डॉ. षमा बेग, ने बेस्ट प्रेक्टीसेस के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यशाला का संचालन श्रीमती श्वेता दवे ने किया सभी महाविद्यालय के प्राध्यापक उपस्थित हुये तथा कार्यशाला को व्यक्तित्व विकास के लिये उपयोगी बताया।