सामरिक महत्व के कारण नालायक पाकिस्तान को भाव देना अमेरिका को हमेशा महंगा पड़ता आया है। पाकिस्तान ने केवल अमेरिकी तकनीक को बार-बार शर्मसार किया है बल्कि अपनी कायरता से पूरी दुनिया में अपनी छी-छी, थू-थू करवाई है। हालिया घटना इसी का जीता जागता उदाहरण है। विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान भारत को नुकसान पहुंचाने की नाकाम कोशिशें करता आया है। भारत उसकी गलतियों को अब तक नजरअंदाज करता रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर में बैठकर चलाए जा रहे आतंकी नेटवर्क को भारत ने अब तक बर्दाश्त ही किया था। भारी नुकसान उठाकर भी भारत अपने इस नालायक बेटे को हमेशा माफ करता आया था। इतिहास की बात करें तो विभाजन के बाद कायर पाकिस्तान को भारत ने पहली जबरदस्त शिकस्त 1965 में दी। भारत पर हमला करते हुए पाकिस्तान ने खेमकरण पर कब्जा कर लिया था। अमेरिकी पैटन टैंकों से लैस पाकिस्तानी सेना को भारतीय सेनाध्यक्षों ने बेहतर व्यूहरचना से धूल चटा दी थी। सभी पैटन टैंक या तो नष्ट कर दिये गये थे या फिर अपने कब्जे में ले लिये गये थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौजों को लालच देकर गीले खेतों में उतार दिया था जहां वे कीचड़ में धंसकर बेकार हो गए थे। इस युद्ध में बेवकूफ पाकिस्तान ने उस दौर के बेहतरीन टैंकों की नाक कटवा कर रख दी थी। अमेरिका पाकिस्तानी सैन्य हुक्मरानों से नाराज तो हुआ पर कहा कुछ नहीं। असल उत्तर के इस युद्ध में पाकिस्तान को कोई लाभ तो हुआ ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आंखें शर्म से झुक गई थीं।
पर ढीठ पाकिस्तान ने इसके बाद 1971 में दोबारा भारतीय सेना से भिड़ने की गुस्ताखी की। इस युद्ध में दोबारा अपने रणकौशल से भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया। पाकिस्तान के दो टुकड़े करवा दिए और बांग्लादेश का जन्म हुआ। पाकिस्तान को कान से पकड़कर उसकी नाक रगड़वाई और समर्पण अभिलेख पर हस्ताक्षर करवाते हुए उसके सैनिकों को रिहा कर दिया। यह पाकिस्तान की दूसरी भूल थी जब उसने 11 भारतीय वायुसेना अड्डों पर हमला करने की गुस्ताखी कर उसे नाराज कर दिया था। भारत इसके बाद बांग्लादेश के मुक्तिसंघर्ष के समर्थन में उतर गया और महज 13 दिन के युद्ध में पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर दिया।
पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान अमेरिकी एफ-16 के बल पर बढ़ चढ़कर बोलता रहा है। ये विमान दुनिया के आधुनिकतम विमानों में से एक हैं। पर विमान बढ़िया होने से क्या होगा, उसे चलाने वालों का कुशल होना और रणनीतिकारों में अक्ल होना, दोनों ही सफलता के लिए जरूरी है। पाकिस्तान के पास ये दोनों ही नहीं है। उसे केवल पीठ पर वार करना आता है। वह कायरों की तरह आतंकियों के सहारे भारत को परेशान करने की कोशिश करता रहता है। इसलिए आतंक के खिलाफ लड़ने के लिए हासिल एफ-16 को लेकर उसने भारत पर हमला कर दिया। भारतीय मिग-21 ने तत्काल इसका जवाब दिया और उसे दूर तक खदेड़ दिया। पाकिस्तान को क्या पता था कि 1960 के दशक के मिग-21 को भारत ने इतना उन्नत कर लिया है कि वह अच्छे से अच्छे विमान को मार गिराने की क्षमता रखता है। भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलट ने मिग-21 से ही एक एफ-16 को मार गिराया। इस बेइज्जती से भड़के अमेरिका ने अब कड़े शब्दों में पाकिस्तान को चेतावनी दे दी है और जवाब तलब किया है।
यही वह कारण था कि पाकिस्तान हड़बड़ा गया और भारत के आक्रामक तेवर और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे घुटने टेकते हुए वह आनन फानन में भारतीय पायलट अभिनंदन वर्तमान को भारत को लौटाने को तैयार हो गया। उसे डर रहा होगा कि उसने ऐसा नहीं किया तो भारतीय वायु सेना बेड़े में शामिल, मिग, सुखोई और मिराज ही मिलकर उसे निपटा देंगे। उसे राफेल तक की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।