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पर्यावरण के लिए कम करें कागज का उपयोग, तलाशें विकल्प

Mar 1, 2019

Save paper to save environmentभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में कागज का प्रयोग कम करने हेतु विकल्प विषय पर परिचर्चा का आयोजन यूजीसी के निर्देशानुसार ग्रीन आॅडिट कॉमेटी द्वारा किया गया। साथ ही कागज निर्माण प्रक्रिया में पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की भी चर्चा की गई। महाविद्यालय की ग्रीन आॅडिट कॉमेटी द्वारा संयोजक डॉ. शमा अफरोज बेग ने बताया कि पल्प और पेपर इंडस्ट्री पर्यावरण प्रदूषण में विश्व में तृतीय स्थान पर है। इसमें प्रयुक्त होने वाली क्लोरीन, पानी, वायु और मिट्टी को दूषित करता है तथा निकलने वाली मीथेन गैस-कार्बन डाईआॅक्साइड से 25 गुना अधिक हानिकारक/ विषैली है। उन्होंने बताया कि एक टन पेपर बनाने में हमें 7000 गैलन पानी, 17 पेड, 380 गैलन तेल और 4000 किलो वाट एनर्जी लगती है एक ए-4 पेपर के निर्माण में 5 लीटर पानी लगता है। फॉरेस्ट बिक्स की रिपोर्ट के अनुसार सन 2020 तक पेपर प्रदूषण एक खतरनाक समस्या होगी। 25 प्रतिशत जमीन का कचरा और 35 प्रतिशत म्युनिसिपल कचरा पेपर का होगा। 1 टन पेपर को रिसाइक्ल कर हम 682.5 गेलन तेल, 26500 लीटर पानी और 17 पेड़ों को बचा सकते हैं।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि आॅफिस कार्यों में अधिक कागज का प्रयोग न कर ई-मेल के द्वारा नोटिस देकर कागज के प्रयोग को कम कर सकते हैं। कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के आंतरिक कार्यों को भी कागजों में कम कर उन्हें ई.मेल, वॉट्सप एवं अन्य संचार माध्यमों द्वारा अधिकाधिक करने का प्रयास करना होगा। छात्रों द्वारा उत्तर पुस्तिका में निर्धारित शब्दों में उत्तर देने पर जोर देना चाहिये एवं पूरक पुस्तिका का प्रयोग बंद करना चाहिये।
सहायक प्राध्यापिका श्रीमती ज्योति शर्मा ने कहा, कि बच्चों को पढ़ाने के लिये पेपर की जगह घर में स्लेट या व्हाईट बोर्ड का प्रयोग कर हम पेपर की बचत कर सकते है।
डॉ. स्वाति पाण्डेय सहा.प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने कहा कि कॉलेज की विवरिका पेपर में ने निकाल कर उसे वेबसाइट पर उपलोड करना चाहिये जिससें हम पेपर के प्रयोग में कमी कर सकते है। स.प्राध्यापक श्रीमती सुनीता शर्मा ने कहा कि हमें आॅनलाइन कार्य कर विभिन्न क्षेत्रों में पेपर के प्रयोग में कमी लाने का प्रयास करना होगा।
छात्रों ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि कॉलेज में प्रवेश के समय दस्तावेजो की कई प्रति नहीं लेनी चाहिए एवं रसीद भी संचार माध्यम के द्वारा दी जानी चाहिए। अधिक से अधिक कम्प्यूटर एवं ई.मेल का उपयोग कर पेपर का प्रयोग कम किया जा सकता है। परीक्षा भी आॅनलाईन लेनी चाहिये।
परिचर्चा में एम.एस.सी. माईक्रोबायोलॉजी-सोनिया एवं सीता, बी.बी.ए.- मधु, सरोज- एम.एड., सुमन, आयुशी, वंदना, दीपिका, मनीशा बी.एस.सी. इत्यादि ने भाग लिया।
धन्यवाद ज्ञापन सहा.प्राध्यापक श्रीमती उषा साहू ने किया एवं सभी से निवेदन किया कि पर्यावरण की सुरक्षा हेतु हमें आज से स्वयं के लिये पेपर का प्रयोग कम से कम मात्रा में करने का प्रण लेना होगा।

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