भिलाई। “अधिक से अधिक लाभ कमाने के लालच से प्रकृति का अंधाधुंध दोहन हो रहा है जिससे प्राकृतिक असुंतलन की स्थिति बन रही है और नई-नई बीमारियां, आपदाओं व जीवन की विषम परिस्थियों से न केवल मानव जाति बल्कि सम्पूर्ण जीव-जगत को जूझना पड़ रहा है।” उपरोक्त विचार छत्तीसगढ़ विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद् के महानिदेशक डॉ के सुब्रमणियम ने कल्याण महाविद्यालय में आयोजित ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव 2019’ के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किये। डॉ सुब्रमणियम ने युवाओं से कहा कि संसाधनों को बचाने का प्रयास करें और कोई भी कार्य या उद्यम करने से पहले यह सोचें कि ऐसा करने से कहीं प्रकृति का कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से आगे कहा कि वे विज्ञान के मौलिक व मूलभूत सिद्धांतों की सही समझ बनावें ताकि मानव कल्याण के हितार्थ वैज्ञानिक अनुसंधान में सहजता हो।
राष्ट्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में पर्यावरण विज्ञानी डॉ पियूष कांत पांडे ने नदियों व सामुद्रिक प्रदुषण की भयावहता से अवगत कराते हुए युवाओं से नदियों को प्रदूषण से बचाने में योगदान देने को कहा। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की नदियां औद्योगिक अपशिष्ट व कचरे के निपटान का स्रोत बन गई हैं। कोरबा में केलो नदी अब राख की नदी बन गई है जिससे फसलों का उत्पादन व वनस्पति तथा जीव-जंतुओं का जीवन संकटग्रस्त हो रहा है।
पंडित रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर के जैव- प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ केशव कांत साहू ने वनस्पति तथा जीव- जंतुओं के बुढ़ापे के वैज्ञानिक कारणों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अंतर महाविद्यालयीन वाद विवाद व पोस्टर पेंटिंग स्पर्धा के पुरस्कार भी वितरित किये गए।
आरम्भ में प्राचार्य डॉ वाई आर कटरे ने स्वागत भाषण दिया। विज्ञान उत्सव के संयोजक डॉ डी एन शर्मा ने दो दिवसीय आयोजन की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला। प्रो. वाई पी पटेल ने आभार व्यक्त किया।
तकनीकि सत्र में 13 शोधार्थियों ने अपने शोध -पत्र पढ़े। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ केशव साहू व सह-अध्यक्षता डॉ जी के गोस्वामी ने की। कार्यक्रम डॉ हरिनारायण दुबे, डॉ आर पी अग्रवाल, डॉ शिप्रा सिन्हा, डॉ गुणवंत चंद्रौल, प्रो लता जय, प्रवीण साहू, प्रो सौम्या श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो श्रीविद्या ने किया।