भिलाई। संतोष रूंगटा एजुकेशनल कैम्पस (आर-1) में संचालित रूंगटा कॉलेज आॅफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च (आरसीपीएसआर) में फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा स्पॉन्सर्ड कंटीन्यूइंग एजुकेशन प्रोग्राम (सीइपी) के तहत तीन-दिवसीय वर्कशॉप प्रारंभ हुआ। फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. शैलेन्द्र सराफ ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अध्यक्षता समूह के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने की। मौके पर डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा, डायरेक्टर एफ एण्ड ए सोनल रूंगटा, डीन स्टूडेंट सेक्शन डॉ. मनोज वर्गीस, प्रिंसिपल जीडीआरसीएसटी डॉ. नीमा बालन, प्रबंधक जनसंपर्क सुशांत पंडित उपस्थित थे।डॉ. शैलेन्द्र सराफ ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहा कि फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया ने भारत में फार्मेसी अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र को और अधिक प्रभावी बनाने तथा लाने स्टूडेंट्स को केन्द्रित कर सीइपी के तहत् एक कार्ययोजना तैयार की है जिसके अंतर्गत देश के विभिन्न इंस्टीट्यूट्स में इस प्रकार के वकर्शाॅप का आयोजन कर फार्मेसी के शिक्षकों को अधिक दक्ष बनाना है। इसके लिये पीसीआई द्वारा उत्कृष्ट फार्मेसी शिक्षण संस्थानों के सहयोग से इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर इस दिशा में सकारात्मक मंथन और शिक्षण की नई तकनीकों पर विचार आमंत्रित किये जा रहे हैं।
डॉ. सराफ ने गुरू की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि जिस प्रकार एक पिता संसार में केवल अपने पुत्र से पराजित होकर गौरवान्वित होता है उसी प्रकार एक अच्छा गुरू तभी अपने आप को सफल मान सकता है जब उसका शिष्य उससे अधिक सफलता हासिल कर उसे गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करे अत: ज्ञान का हस्तांतरण आवश्यक है। भारत में फार्मेसी सेक्टर में आई जबरदस्त ग्रोथ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व में बनने वाली हर चैथी दवा की टेबलेट भारत में बनी होती है। भारत में सबसे सस्ती मेडिकल सुविधायें तथा दवाओं के उपलब्ध होने से सारा विश्व भारत का रूख कर रहा है परन्तु इस क्षेत्र में अभी और अधिक कार्य करने की संभावनायें हैं क्योंकि हम पेशेंट और डॉक्टर के रेश्यो में अभी बांग्लादेश जैसे देश से भी पीछे हैं। डॉ. सराफ ने नये शिक्षकों का विशेष रूप से ध्यानाकर्षित करते हुए कहा कि शिक्षक बनने के साथ ही हम समाज में सम्माननीय दर्जा प्राप्त कर लेते हैं परन्तु सिर्फ इससे कुछ नहीं होगा बल्कि हमें समाज से जुड़ना होगा और उसकी आवश्यकताओं को समझना होगा। नये आ रहे फार्मेसी के शिक्षकों की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ गई है क्योंकि अब उन्हें इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को इन्वेंट कर उससे लड़ने हेतु स्टूडेंट्स को दक्ष करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गई है जिसके लिये उन्हें हर क्षेत्र में अपडेट रहना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि अब कन्वेन्शनल अर्थात पारंपरिक टीचर्स का जमाना गया अब इनका स्थान ट्रेनर्स और मेंटर्स ने ले लिया है। अब जल्दी ही वह समय आ रहा है जिसमें शिक्षण पूरी तरह स्टूडेंट केन्द्रित हो जायेगा जिसमें टीचर की काबिलियत के अनुसार स्टूडेंट उसकी क्लास में आयेंगे और उसकी पढ़ाने की क्षमता और दक्षता के आधार पर टीचर की सैलेरी निर्धारित होगी।
प्रो. सराफ ने कहा कि मात्र पीपीटी प्रेजेण्टेशन को एडवांस टीचिंग लर्निंग सिस्टम मानने वालों को मैं यह बताना चाहूंगा कि आज विदेशों में ऐसा इनोवेटिव टीचिंग लर्निंग सिस्टम एडॉप्ट किया जा रहा है जिसमें स्टूडेंट्स को पहले ही अगली क्लास का विषय से संबंधित टॉपिक दे दिया जाता है जिसमें वे अपनी तैयारी करके आते हैं और अपनी अगली क्लास में टीचर और स्टूडेंट इस टॉपिक पर गहन वैचारिक मंथन करते हैं, इस प्रकार इसके लिये जरूरी है कि टीचर भी अपनी अगली क्लास में पूरी तैयारी से जाये। अत: आज आवश्यकता इस बात की है कि टीचर्स अपनी शेल से बाहर आयें। डॉ. सराफ ने कहा कि एक फार्मेसिस्ट का कार्य सम्माननीय होता है और उनका कार्य डॉक्टर्स द्वारा लिखी गई दवा का आॅडिट करना होता है। फार्मासिस्ट को यह अधिकार है कि वो चाहे तो डॉक्टर द्वारा दवा लिखने में की गई गलती को पकड़कर दवा की परची को रिजेक्ट कर सकता है।
इजराइल का उदाहरण देते हुए डॉ. सराफ ने कहा कि वहां के अस्पतालों में डॉक्टर बिना फार्मासिस्ट के राउण्ड लेने तक नहीं जाता। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संतोष रूंगटा ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशन्स, भिलाई-रायपुर के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने कहा कि एक शिक्षक पहले छात्र होता है फिर वह ज्ञान प्राप्ति के विभिन्न चरणों से गुजरकर शिक्षक के सम्मानित पद पर आसीन होता है। फार्मेसी शिक्षण में आज भी योग्य शिक्षकों का अभाव पाया जा रहा है ऐसी परिस्थिति में ऐसे कार्यक्रम निश्चित रूप से इस दिशा में कारगर सिद्ध होंगे। भारत में मानव संसाधन की कमी नहीं है। आज आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षक स्टूडेंट्स को केन्द्रित कर शिक्षण के विभिन्न अभिनव प्रयोगों के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करे। रूंगटा प्रबंधन शिक्षकों के प्रशिक्षण संबंधी ऐसे किसी भी प्रयास को बढ़ावा देने सदैव तत्पर रहेगा।
अपने स्वागत भाषण में आरसीपीएसआर के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. त्रिपाठी ने कहा कि पूस्तकों एवं स्टूडेंट्स के बीच ज्ञान के रूपांतरण का शिक्षक एक माध्यम होता है। किसी भी शिक्षक को एक अच्छा शिक्षक बनने के लिये उसमें शिक्षण के प्रति जुनून और लगाव होना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस तीन-दिवसीय वर्कशॉप के दौरान बहुत सी नई बातें सीखने मिलेंगी जो कि उन्हें भविष्य में एक अच्छा शिक्षक बनने के लिये दक्ष और प्रेरित करेंगी।
आभार प्रदर्शन करते हुए संयोजक तथा आरसीपीएसआर के वाइस प्रिंसिपल डॉ. एजाजुद्दीन ने फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया तथा व्यक्तिगत रूप से डॉ. शैलेन्द्र सराफ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से पीसीआई द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहेगा। कार्यक्रम के सफल आयोजन में आॅगर्नाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. अमित अलेक्जेण्डर, डॉ. कार्तिक नखाते, मुकेश शर्मा सहित कॉलेज के समस्त फैकल्टी मेम्बर्स का उल्लेखनीय योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माधुरी बघेल ने किया।