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सफलता के शिखर तक ले जाती है भाषा पर अच्छी पकड़ : श्रीलेखा

Mar 15, 2019

Shreelekha Virulkarभिलाई। एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीमती श्रीलेखा विरुलकर का मानना है कि यदि भाषा पर अच्छी पकड़ हो तो न केवल बिगड़ी बात बन सकती है बल्कि रिश्तों को भी सजाया और संवारा जा सकता है। भाषा पर अच्छी पकड़ सफलता के शिखर तक ले जा सकती है। श्रीमती विरुलकर ‘लैंग्वेज एंड करियर’ विषय पर महाविद्यालय में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला का आयोजन पारिवारिक परामर्शदाता डॉ अंजना श्रीवास्तव एवं बीएसपी के मैनेजमेन्ट ट्रेनी की पूर्व प्रशिक्षक डॉ शुभ्रा रस्तोगी के विशेष आतिथ्य में किया गया था।MJ College Seminarश्रीमती विरुलकर ने कहा कि आपके पारिवारिक तथा कारोबारी संबंधों की नींव को मजबूत करने में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कब, क्या और कितना बोलना है, यदि इसका अनुशीलन कर लिया जाए तो न केवल वक्त बचता है बल्कि व्यर्थ के विवादों से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अप्रिय बात भी यदि कायदे से कही जाए तो उसकी कड़वाहट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
पूर्व प्राध्यापक एवं सम्प्रति पारीवारिक परामर्शदाता डॉ अंजना श्रीवास्तव ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘चूड़ी प्रथा’ का हवाला देते हुए कहा कि परम्पराओं को साहित्य में पिरोकर संजोया जा सकता है। इससे वे यथा रूप में आगे बढ़ सकती हैं। प्रथाओं एवं परम्पराओं के प्रति साहित्यिक लापरवाही का ही कारण है कि देश की अनेक वैज्ञानिक एवं प्रासंगिक परम्पराओं में विकृति आती गई और नई पीढ़ी के सामने वह एक ऐसे स्वरूप में आकर खड़ी हो गई जहां उसकी सभी अच्छाइयां बिसरा दी गर्इं। छत्तीसगढ़ की चूड़ी प्रथा का विलुप्त होना इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
Ranjeeta Singhबीएसपी की पूर्व मोटिवेशनल काउंसलर श्रीमती शुभ्रा रस्तोगी ने प्रत्येक व्यवसाय एवं अध्यावसाय में भाषा की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भाषा की स्पष्टता, उपयुक्तता एवं मर्यादा को साधने की जरूरत होती है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों द्वारा इस अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कार्यशाला को प्रासंगिक बताया।
प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में भाषा पर आधारित प्रमुख रोजगारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भाषा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा एवं देश विदेश में उपलब्ध रोजगार के उच्च अवसरों की भी चर्चा की।
महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि यदि भाषा पर अच्छी पकड़ बना ली जाए तो यह न केवल आपके करियर को चार चांद लगा सकती है बल्कि एक समानान्तर सृजनात्मक रोजगार का साधन भी बन सकती है। कार्यशाला का संचालन करते हुए उन्होंने ब्लॉगिंग, स्लोगन, संवाद लेखन, पटकथा लेखन, मीम्स जैसे विकल्पों की चर्चा की।
MJ-College-Seminar MJ Group of Educationएमजे ग्रुप की स्वाति गुलाटी ने विभिन्न भाषा भाषियों द्वारा किए जाने वाले अंग्रेजी के उच्चारणों को उद्धृत करते हुए कहा कि उच्चारण की यह भिन्नता कभी कभी हास्यास्पद माहौल बना देती है तो कभी-कभी अर्थ का अनर्थ भी कर देती है। उन्होंने कहा कि यूट्यूब सहित विभिन्न वेबसाइटों का उपयोग कर शब्दों के सही उच्चारण को सुना और उनका अभ्यास किया जा सकता है।
कार्यशाला की सहसंयोजक सहायक प्राध्यापक रंजीता सिंह ने भाषा के अध्ययन, अध्यापन एवं उससे जुड़े अवसरों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विषय के विद्यार्थियों को भाषा को लेकर सतर्क और सचेत रहना चाहिए। यह उनके करियर के लिए बेहद उपयोगी है।
कार्यशाला को घनश्याम सिंह आर्य महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक श्रीमती गायत्री सोनी, एमजे कालेज की सहायक प्राध्यापक श्रीमती मंजू साहू ने भी संबोधित किया। ‘लैंग्वेज एंड करियर’ विषय पर आॅनलाइन आयोजित निबंध प्रतियोगिता के चुनिंदा रचनाकारों को पुरस्कृत किया गया। इनमें भिलाई महिला महाविद्यालय की श्रीमती सुनीता सिंह, कांति दर्शन महाविद्यालय के नवीन कुमार दास, श्रीराम महाविद्यालय राजनांदगांव की दीप्ति साहू तथा एमजे कालेज की सुश्री चम्पेश्वरी को पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर डॉ श्वेता भाटिया, उर्मिला यादव, अर्चना त्रिपाठी, परविन्दर कौर, प्रियंका राजपूत, पूजा केसरी, रजनी कुमारी, नेहा महाजन, शकुन्तला जलकारे, शाहीन अंजुम, महाविद्यालय के सीओओ विनोद चौबे, पंकज सिन्हा, मेघा मानकर, सहित विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्रतिभागी उपस्थित थे।
आरंभ में सहायक प्राध्यापक चरनीत संधु की माता सरदारनी गुरमीत कौर भामरा की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

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