भिलाई। स्टूडेंट्स को भविष्य की विभिन्न संभावनाओं तथा समाज में फैली कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से संतोष रूंगटा कैम्पस में स्टूडेंट्स द्वारा आर इग्नाइटेड माइंड्स (रिम) कार्यक्रम की शुरूआत की गई। संतोष रूंगटा समूह के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहर के प्रतिभाशाली आॅत्रप्रीनर तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को कैम्पस के छात्र-छात्राओं से रूबरू कराकर इन शख्सियतों के उल्लेखनीय कार्य को रेखांकित करते हुए युवा स्टूडेंट्स को प्रेरित करना है। ‘आर इग्नाइटेड माइंड्स’ कार्यक्रम संतोष रूंगटा समूह के स्टूडेंट्स द्वारा युवा विद्यार्थियों को प्रेरित तथा जागृत करते हुए उन्हें समाज को नई दिशा दिखाने एक शक्ति पुंज के रूप में रूपांतरित करने के एक प्रयास के तहत् आयोजित किया जा रहा है जो कि केवल विद्यार्थियों के माध्यम से ही आयोजित किया जायेगा।
इस आयोजन की कड़ी के पहले कार्यक्रम के पहले सेशन में शहर के जाने-माने सोशल आॅत्रप्रीनर तथा चेन आॅफ नुक्कड़ कैफे के डायरेक्टर प्रियांक पटेल ने उपस्थित स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि उनके जीवन का उद्देश्य दिव्यांग समुदाय और सामान्य समुदाय के बीच की दूरी को खत्म करना है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए नुक्कड़ कैफे प्रारंभ किया जिसमें कोई भी दिव्यांग अपनी शारीरिक अक्षमता से हीनभावना से ग्रस्त न हो बल्कि सामान्य लोगों के बीच रहकर कार्य करते हुए सहज अनुभव कर सके।
प्रियांक ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति में एक अंतर्निहित शक्ति होती है जिस पर उसकी शारीरिक रचना और शारीरिक क्षमता का कोई सीधा प्रभाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ युवाओं को आगे आना चाहिये। ऐसी सभी बातों पर जिन पर समाज में मौन रखा जाता है अर्थात जिन मुद्दों पर खुलकर बात करना उच्छश्रृंखलता मानी जाती है उस पर ही समाज की भलाई के खातिर खुलकर संवाद होना चाहिये। युवाओं का ‘आई डोन्ट केयर’ एटीट्यूड से बाहर निकलकर ‘आई डू’ एटीट्यूड में रूपांतरण ही समाज की दिशा और दशा सुधारने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
गौरतलब है कि इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त प्रियांक पटेल के मन में समाज के शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के प्रति उमड़ी संवेदनाओं की वजह से उन्होंने यह नुक्कड़ कैफे के नाम से रेस्तरां प्रारंभ किया जो कि आज भिलाई तथा राजधानी रायपुर में संचालित हैं। इन रेस्तरां की खास बात यह है कि इनमें कार्य करने वाले सभी कमर्चारी दिव्यांग या ट्रांसजेण्डर में से हंै। इन्हें समाज में आत्मनिर्भर तथा स्वाभिमान से जीने के लिये प्रेरित करने की प्रिंयांक की इस पहल को सामाजिक स्तर पर अत्यंत सराहना मिली है।
दूसरे सेशन में युवा उद्यमी तथा द क्वेस्ट कन्सल्टिंग हब के डायरेक्टर सत्यम खंडेलवाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेरणा क्षणिक होती है जबकि अन्त:प्रेरणा स्थाई होती है। इसलिये व्यक्ति को सफलता प्राप्ति हेतु अन्त:प्रेरणा के आधार पर कार्य करना चाहिये। अभिव्यक्ति की कला को अपने आप में विकसित करें इससे अपनी सामाजिक छबि बनाने में आपको आसानी होगी। स्वयं की किसी और से कभी भी तुलना न करें। साइकोलॉजिकल आॅक्यूपेन्सी से बचें अर्थात यह ऐसा सिन्ड्रोम है जिसमें आप स्वयं को व्यस्त महसूस करते हैं जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है बल्कि यह केवल आपको प्रतीत होता है। अत: इस बात का ध्यान रखें कि आपका व्यक्तित्व इस प्रकार की काल्पनिक मनोवैज्ञानिक व्यस्तता से परे हो। उन्होंने पर्सनल लाइफ में स्वयं से संबंधित लिये गये फैसलों का उल्लेख करते हुए इसमें मिली सफलता का उल्लेख करते हुए युवाओं को स्वयं के लिये उचित निर्णय क्षमता विकसित करने हेतु मोटिवेट किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में मेंटर डीन (स्टूडेंट सेक्शन) डॉ. मनोज वर्गीस का मार्गदर्शन तथा स्टूडेंट कॉडिर्नेटर्स राजर्षी गुप्ता, अनिमेष चैबे, हुलेश्वर श्रीवास, अनुप्रिया, ऐश्वर्या तथा स्तुति का उल्लेखनीय योगदान रहा।