भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने होटल सागर इंटरनेशनल में कन्टीनूइंग मेडिकल एजुकेशन – सीएमई का सफल आयोजन किया गया। इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक दशोरे एवं नियोनेटल आईसीयू विशेषज्ञ डॉ संदीप रामा थुटे ने दिल की धड़कनों से रोग की पहचान एवं निदान पर अपने सारगर्भित प्रेजेन्टेशन दिए। मौके पर भिलाई-दुर्ग के वरिष्ठ चिकित्सकगण मौजूद थे जिन्होंने सवाल पूछकर विषय में रुचि दिखाई।आइएमए की जिला इकाई के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में आइएमए दुर्ग अध्यक्ष डॉ अर्चना चौहान, सचिव डॉ प्रमोद गुप्ता, स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ दीपक वर्मा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजय गोयल, डॉ जय तिवारी, डॉ राजीव कौरा, बीएसपी के चिकित्सा निदेशक डॉ कौशलेन्द्र ठाकुर, डॉ शैलेन्द्र जैन, डॉ अनुप गुप्ता, डॉ ज्ञानेश मिश्रा, डॉ मालिनी, स्पर्श के इंटेंसिविस्ट डॉ श्रीनाथ, सहित अनेक वरिष्ठ चिकित्सकगण मौजूद थे।
स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक दशोरे ने अपने प्रेजेन्टेशन में एट्रियल फिब्रिलेशन (एएफ) की चर्चा की। एएफ में हृदय की गति असामान्य हो जाती है। आरंभ में यह थोड़ी-थोड़ी देर के लिए होती है पर धीरे धीरे इसका समय बढ़ता जाता है। डॉ दशोरे ने इसके खतरों से चिकित्सकों को आगाह करते हुए रोग की पहचान तथा समय पर हस्तक्षेप करने के तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
स्पर्श हॉस्पिटल के नियोनेटल इंटेंसिविस्ट डॉ संदीप रामा थुटे ने बच्चों की सांस चढ़ने (स्ट्रेस्ड रेस्पिरेशन) की चर्चा की। उन्होंने बताया कि सामान्यत: शिशु की धड़कने 30 से 60 प्रति मिनट होती है पर स्ट्रेस्ड रेस्पिरेशन से यह कम या काफी ज्यादा हो सकती है। इसके विभिन्न कारणों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यदि समय पर इसकी पहचान कर इलाज नहीं किया गया तो लघु या दीर्घकालिक जटिलताओं को जन्म दे सकती है, फेफड़ों की गंभीर बीमारी हो सकती है, यहां तक कि शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
डॉ थुटे ने अपने कुछ केसेस की चर्चा करते हुए बताया कि बेहतर सुविधाओं की स्पर्श में उपलब्धता के कारण अधिकांश मामलों में समय पर हस्तक्षेप कर शिशु के प्राणों की रक्षा कर ली गई पर एक मामला ऐसा भी आया जब सारी कोशिशें विफल हो गर्इं। पेशेंट हिस्ट्री लेने पर पता लगा कि इससे पहले भी महिला ने एक शिशु को जन्म दिया था जिसने इन्हीं लक्षणों के चलते दम तोड़ दिया था। उन्होंने सीपैप और वेंटिलेटर के उपयोग की जटिलताओं पर भी प्रकाश डाला।
सीएमई के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता डॉ मालिनी, डॉ राजीव चन्द्राकर, डॉ जय तिवारी ने की। इस अवसर पर स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल की टीम में नए शामिल हुए न्यूरोसर्जन डॉ दीपक बंसल का भी परिचय दिया गया।