भिलाई। एमजे कालेज की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर ने आज कहा कि यदि व्यक्ति में सेवा का जुनून हो तो फ्लोरेंस नाइटिंगेल बनना भी संभव है। श्रीमती विरुलकर एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय नर्सेस डे समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने बताया कि बिना किसी प्रशिक्षण के फ्लोरेंस ने घायलों की तन-मन-धन से सेवा की। उन्होंने नर्सिंग प्रफेशन को सम्मान दिलाया और इसके प्रशिक्षण के लिए स्कूल की भी स्थापना की। इसलिए उन्हें नर्सिंग प्रफेशन का जन्मदाता भी कहा जाता है।श्रीमती विरुलकर ने कहा कि सेवा का क्षेत्र बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। इसके लिए मानसिक प्रस्तुति बहुत जरूरी है। हमें सभी निजी कार्यों पर परोपकार को महत्व देना होता है। उन्होंने नर्सिंग छात्र-छात्राओं से अपील की कि वे उत्कृष्ट सेवा के लिए स्वयं को तैयार करें और फ्लोरेंस के स्तर को छूने का प्रयास करें।
एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच ने बताया कि फ्लोरेंस एक उच्च प्रतिष्ठित परिवार से थी। उन दिनों नर्सिंग को दोयम दर्जे का काम समझा जाता था। क्रीमियाई युद्ध के दौरान उन्होंने घायल सैनिकों की सेवा शुरू की। वे रात बेरात उनकी देखभाल करने के लिए लालटेन लेकर निकल जाया करती थीं। इसलिए उन्हें लेडी विथ अ लैम्प भी कहा जाता है।
नर्सिंग कालेज की प्राचार्य श्रीमती सी कन्नम्मल ने भी स्टूडेंट नर्सेस को संबोधित किया। इस अवसर पर स्टूडेंट नर्सेस ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सेवा के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया। उन्होंने नृत्य नाटिका और लघु नाटक के माध्यम से भी कई संदेश दिये।