भिलाई। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर कृष्णप्रिया कथक केंद्र भिलाई-दुर्ग की ओर से राजधानी रायपुर के दीनदयाल सभागार में नृत्य नाटिका ‘इतिहास-अ टेल आफ डांस’ का मंचन किया गया। सरल और मनोरंजक रूप से नृत्य की विकास यात्रा से दशर्कों को अवगत कराने के मकसद से इस नृत्य नाटिका में वैदिक काल से आधुनिक काल तक नृत्य की यात्रा व उसके उतार-चढ़ाव का प्रदर्शन किया गया। केंद्र की संचालक उपासना तिवारी के निर्देशन में तैयार इस नृत्य नाटिका में दुर्ग-भिलाई के 125 कलाकारों ने अपनी सधी हुई प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि पंडवानी गुरू पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई थीं। वहीं विशेष अतिथि के तौर पर कथक नृत्यांगना एवं अभिनेत्री अनुराधा दुबे व छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. नलिन लूनिया उपस्थित थे।
शुरूआत कृष्ण वंदना से हुई। इसके बाद नृत्य का इतिहास बयां करने संगीत की विविध विधाओं श्लोक, गायन, गीत, ठुमरी, कव्वाली, तराना और सूफी आदि पर दुर्ग-भिलाई के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि डॉ. तीजन बाई ने कहा कि पूरी नृत्यनाटिका बहुत ही रसमय रही और इतने वृहद स्तर पर सफलतापूर्वक आयोजन कड़ी मेहनत का परिणाम है। कलाकारों के नृत्य को देखकर लगता है कि सही हाथों में उनकी कला को आकार दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बहुत से कलाकार ईश्वर के घर से बन कर आते हैं लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जिनको कला वरदान में नहीं मिलती बल्कि उनको गुरू अपनी मेहनत से गढ़ते हैं। उन्होंने इस आयोजन के लिए संचालक उपासना तिवारी की प्रशंसा की। इस नृत्य नाटिका में भाग लेने वाले कलाकारों में मुख्य रूप से लाल किला के रूप में अनुष्का जैन,यमुना के रूप में श्वेतांगी तिवारी और सीनियर कलाकार देविका दीक्षित, प्रभनीत कौर, पूजा फुलझेले, डॉ. अनुपमा भोंसले, वेदिका मुसले व शताक्षी उपाध्याय आदि शामिल थे। पार्श्व स्वर में यमुना के लिए उपासना तिवारी व लाल किले के लिए जितेंद्र मानिकपुरी का था। वहीं संगीत पक्ष में तबले पर रविंद्र कर्मकार, सितार पर एसआर शेवलीकर, सारंगी पर रफीक अहमद, गायन पीटी उल्लास कुमार, रविश कालगांवकर व पीके सुंदरेश, ध्वनि संयोजक बिन्नी पॉल, नृत्य प्रशिक्षण डॉ. दिव्या राहटगांवकर व सेजल चौधरी ने योगदान दिया।