भिलाई। मानव शरीर में पांच लिटर नहीं बल्कि वजन के अनुपात में रक्त होता है। स्त्रियों में प्रति किलोग्राम वजन 60 मिली रक्त होता है जबकि पुरुषों में यह थोड़ा ज्यादा, यानी प्रति किलोग्राम 70 मिली होता है। तकनीकी उन्नयन के बाद अब होल ब्लड (सम्पूर्ण रक्त) का उपयोग बहुत कम होता है। व्यक्ति को आवश्यकता के अनुरूप प्लेटलेट्स या अन्य कम्पोनेन्ट्स चढ़ाए जा सकते हैं। यह जानकारी नई दिल्ली के एक्सपर्ट इंदद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ आरएन मकडू ने एडवांस ब्लड कम्पोनेन्ट्स व सिंगल डोनर प्लेटलेट्स पर आयोजित सेमीनार में दिए। सेमीनार का आयोजन आशीर्वाद ब्लड बैंक द्वारा किया गया था।
डॉ मकडू ने बताया कि वर्तमान में ऐसी मशीन आ गई है जिससे डोनर के शरीर से केवल प्लेटलेट्स निकाले जा सकते हैं। शेष रक्त दानदाता के शरीर में लौटा दिया जाता है। इससे दानदाता के शरीर में रक्त की मात्रा कमोबेश बनी रहती है और वह दोबारा जल्द ही रक्तदान कर सकता है। सेमीनार में आईएमए भिलाई के अध्यक्ष डॉ तबीश अख्तर, सचिव डॉ रतन तिवारी व आशीर्वाद ब्लड बैंक के डायरेक्टर श्याम केसवानी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
डॉ मकडू ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा में रोगियों को होल ब्लड का एक पिंट या केवल रक्त के विशिष्ट घटक की आवश्यकता होती है। होल ब्लड में रक्त के सभी घटक मौजूद रहते हैं। इसका उपयोग उन रोगियों में किया जाता है जिनका हादसा या सर्जरी के कारण रक्तस्राव हुआ हो। रक्तदान रेड क्रास के शिविरों में अथवा केन्द्रों में किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि दान किए गए रक्त से प्राप्त किए जा सकने वाले घटक लाल कोशिकाएं, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, क्रायोप्रेसिपिटेटेड एएचएफ (क्रायो) और ग्रैनुलोसाइट्स हैं। एक अतिरिक्त घटक, सफेद कोशिकाएं अक्सर आधान से पहले दान किए गए रक्त से निकाल दी जाती हैं। संपूर्ण रक्त सबसे तरल, सबसे सामान्य प्रकार का रक्त है। लाल कोशिकाओं, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स में अलग करने पर कई लोगों की मदद करने के लिए उपयोग किया जाता है।
सिंगल डोनर प्लेटसलेट्स के फायदे
डॉ मकडू ने बताया कि बताया कि सिंगल डोनर प्लेटलेट्स के काफी फायदे हैं। इसमें एक ही डोनर से मरीज के जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकाला जा सकता है। पहले इसके लिए तीन से चार डोनर का ब्लड लगता था। सिंगल डोनर प्लेटलेट्स मशीन (एसडीपी) से ब्लड के जरिये एक घंटे में प्लेटलेट्स निकालता है। शेष ब्लड दूसरी तरफ से वापस शरीर में चला जाता है। प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा रक्तदान के लिए तैयार हो जाता है। इस चढ़ाने से प्लेटलेट्स काउंट तेजी से बढ़ता है।