नागपुर। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी चुनौती है बच्चों को शिक्षा की धारा से जोड़कर इनरोलमेंट का अनुपात बढ़ाना। फिलहाल हमारे देश का यह अनुपात 25.8 है, अन्य विकसित देशों की तुलना में यह काफी कम है, हम इसे बढ़ाना चाहते हैं। हमारी दूसरी बड़ी चुनौती शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की है। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग कई कदम उठा रहा है। यूजीसी मानती है कि केवल तीन घंटे की परीक्षा से किसी विद्यार्थी की प्रतिभा का आकलन नहीं किया जा सकता। ऐसे में हमें एक विकसित परीक्षा प्रणाली विकासित करने की जरूरत है।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंह नागपुर के कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के इंंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडोलॉजिक स्टडीज द्वारा आयोजित “क्वालिटी इन हायर एजुकेशन : रिफ्लेक्शन एंड एक्शन्स’ विषय पर बोल रहे थे।
प्रो. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यूजीसी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कुछ मुख्य पहलुओं पर काम कर रही है। इसमें शिक्षा की सुगमता, गुणवत्तापूर्व शोध, उत्कृष्टता, कौशल और रोजगारउन्मुखता जैसे पहलू शामिल है। इसके अलावा वे विद्यार्थियों के लिए एक विशेष इंडक्शन प्रोग्राम भी शुरू करने जा रहे हैं। जिसके तहत नए विद्यार्थियों को कॉलेज कैंपस में सहज महसूस करने और सीनियर विद्यार्थियों के साथ घुलने मिलने के उपक्रम शुरू किए जाएंगे। यही नहीं शिक्षकों के लिए भी विशेष उपक्रम शुरू किए जाएंगे। उनकी परीक्षा लेकर उन्हें भी प्रमोशन के मौके दिए जाएंगे। यूजसी मुख्य रूप से परीक्षा मूल्यांकन का तौर तरीका बदलना चाहती है।