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आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता है प्रेरणा प्रेरणा प्रदीप – प्राचार्या डॉ. कटरे

Jun 29, 2019

ज्ञान के आदान-प्रदान की सुदीर्थ साधना है प्रेरणा प्रदीप  – डॉ. नलिनी

भिलाई। साहित्याचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा की सप्तम कृति प्रेरणा प्रदीप आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देती है। भारतीय साहित्य के मंत्रों और श्लोकों में भारतीय जनों का समूचा जीवन समाया हुआ है। डॉ. शर्मा ने वैदिक भारत और लोक जीवन मूल्यों के साथ वतर्मान आम जन-जीवन के आदर्शों में समन्वय स्थापित करने का सत्प्रयास किया है। ये विचार है विज्ञानविद् साहित्य संस्कृति प्रेमी एवं कल्याण कॉलेज भिलाई के प्राचार्य डॉ. वाईआर कटरे के। विगत दिनों कल्याण कॉलेज के हिन्दी विभाग एवं साहित्य सृजन परिषद भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा की सप्तमी कृति, एनबीटी नई दिल्ली से प्रकाशित प्रेरणा प्रदीप पर आयोजित चर्चा गोष्ठी के मुख्य अतिथि की आसन्दी से बोल रहे थे।भिलाई। साहित्याचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा की सप्तम कृति प्रेरणा प्रदीप आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देती है। भारतीय साहित्य के मंत्रों और श्लोकों में भारतीय जनों का समूचा जीवन समाया हुआ है। डॉ. शर्मा ने वैदिक भारत और लोक जीवन मूल्यों के साथ वतर्मान आम जन-जीवन के आदर्शों में समन्वय स्थापित करने का सत्प्रयास किया है। ये विचार है विज्ञानविद् साहित्य संस्कृति प्रेमी एवं कल्याण कॉलेज भिलाई के प्राचार्य डॉ. वाईआर कटरे के। विगत दिनों कल्याण कॉलेज के हिन्दी विभाग एवं साहित्य सृजन परिषद भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा की सप्तमी कृति, एनबीटी नई दिल्ली से प्रकाशित प्रेरणा प्रदीप पर आयोजित चर्चा गोष्ठी के मुख्य अतिथि की आसन्दी से बोल रहे थे। कल्याण कॉलेज के ही हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध लेखक डॉ. सुधीर शर्मा ने विशेष अतिथि के रूप में कहा कि सूचनाओं के जाल में उलझे वर्तमान समय में ये पुस्तक प्रकाश का काम करती है। वह पाठकों को प्रेरणा प्रदान कर ज्ञान से आलोकित करती है। आचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा की ख्याति उनके अनुसंधान, लेखन और अनुशासन के कारण है। केवल आदर्श नहीं बल्कि वैसा आचरण करना भी उनकी लेखकीय जिन्दगी में स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह गर्व की बात है कि भिलाई छ.ग. के इस लेखक की पुस्तक का प्रकाशन राष्ट्रीय स्तर पर एनबीटी नई दिल्ली ने किया।
वरिष्ठ कथा लेखिका डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने अपना आलेख पाठ करते हुए कहा कि यह पुस्तक ज्ञान के अदान-प्रदान की सुदीर्घ साधना का सुफल है। यह वर्षों के ज्ञान अर्जन एवं अध्ययन की परिपक्वता से चिंतन और मनन के पश्चत प्रबुद्ध लेखनी से निकले अनमोल हीरे की आभा से चमकते हुए ललित लेख इसमें पढ़ने को मिलते है। भविष्य में निश्चित रूप से प्रेरणा प्रदीप अनमोल कृति के रूप में याद किया जाएगा।
साहित्यकार और संपादक डॉ. दीनदयाल साहू ने अपने आलेख में बताया कि इसमें 90 ललित लेख है जिससे पुस्तक 90 फूलों का गुलदस्ता प्रतीत होती है। प्रेरणा प्रदीप मानवता का मार्ग प्रशस्त करने में सफल है। डॉ. साहू ने कहा कि आचार्य डॉ. शर्मा ने संस्कृत और संस्कृति को जिया है और जी रहे है।
वरिष्ठ पत्रकार और कहानीकार शिवनाथ शुक्ला ने कहा कि प्रेरणा प्रदीप राष्ट्रीय और मानवीय आदर्शों का बिम्ब है। यह चिरन्तन- चिन्तन की एक ऐसी अखंड भावधारा है जो युवा पीढ़ी को भारतीय भावधारा से भर देगी। शर्त यह है कि इसका पठन- पाठन गहरे पानी पैठ की तर्ज पर करना पड़ेगा। लेखक साधुवाद के पात्र है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्य सृजन परिषद के अध्यक्ष एवं कवि एनएल मौर्य (प्रीतम) ने कहा कि यह कालजयीय रचना है। लोखक डॉ. शर्मा ने राजहंस की तरह अक्षरों के मोती चुन-चुन कर पुस्तक रचकर इतिहास रच दिया है। अब ये हम साहित्यकारों की अमूल्य धरोहर हो गई है।
इस गरीमामय समारोह में विशेष रूप से श्रीमती सरला तिवारी, श्रीमती रजनी शर्मा, श्रीमती नीता कम्बोज, समाजसेवी पुरूषोत्तम टावरी, कवि गोविन्द पाल, श्रीमती अनिता कर्डेकर दुर्ग, जिला हिन्दी साहित्य समिति के अरूण कसार, श्रीमती संध्या श्रीवास्तव, टीआर कोसरिया एवं श्रीनाथ जायसवाल समेत बड़ी संख्या में शिक्षाविद् एवं साहित्यकार विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल एवं काव्यमय संचालन सचिव नंदकिशोर दुबे बनाम नंदू महाराज ने किया। कवि ओमप्रकाश जायसवाल ने आभार ज्ञापन किया।

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