• Sat. Apr 20th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

चाहने मात्र से संसार में किसी की इच्छाएं पूरी नहीं होती : आचार्य विमर्श सागर

Jun 30, 2019

भिलाई। आचार्य विमर्श सागर महाराज ने कहा कि इस जगत में प्रत्येक जीव अपनी इच्छा को पूरा होता हुआ देखना चाहता है। चाहे वह बालक हो, युवा हो या फिर वृद्ध, अमीर हो या गरीब, प्रत्येक व्यक्ति की कुछ इच्छाएं होती हैं। हर व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूर्ण करना चाहता है। लेकिन चाहने मात्र से संसार में किसी की इच्छाएं पूर्ण नहीं होती। मात्र वही जीव पुण्यशाली व सौभाग्य शाली है जिनकी सभी इच्छाएं पूर्णता को प्राप्त हो पाती हैं।भिलाई। आचार्य विमर्श सागर महाराज ने कहा कि इस जगत में प्रत्येक जीव अपनी इच्छा को पूरा होता हुआ देखना चाहता है। चाहे वह बालक हो, युवा हो या फिर वृद्ध, अमीर हो या गरीब, प्रत्येक व्यक्ति की कुछ इच्छाएं होती हैं। हर व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूर्ण करना चाहता है। लेकिन चाहने मात्र से संसार में किसी की इच्छाएं पूर्ण नहीं होती। मात्र वही जीव पुण्यशाली व सौभाग्य शाली है जिनकी सभी इच्छाएं पूर्णता को प्राप्त हो पाती हैं। आचार्य श्री विमर्श सागर श्री त्रिवेणी जैन तीर्थ सेक्टर-6 के श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इच्छाएं भी दो प्रकार की होती है सम्यक या समीचिन इच्छाएं और खोटी या बुरी इच्छाएं। पूर्व कृत पुण्य योग से किसी की बुरी इच्छाएं पूर्णता को प्राप्त हो भी जाएं तो भी लोक में उसे अच्छा नहीं माना जाता। हमारी इच्छाएं समीचीन होना चाहिए। हमारी इच्छाएं अगर अच्छी होंगी तो लोग हमें अच्छे इंसान के रूप में जाने जाएंगे। यदि हमारी इच्छाएं बुरी होंगी तो लोक में कोई भी हमें अच्छा नहीं मानेगा।
आचार्य श्री ने कहा कि लोक में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो परोपकार के लिए विख्यात हैं। जैसे चिंतामणि रत्न, पारस पत्थर, कामधेनु गाय, कल्पवृक्ष ये सभी वस्तुएं पुण्य योग से महान पल प्रदान करने वाले होते हंै, ऐसा लोक में सुना जाता है। पर इनको फल प्रदान करते हुए किसी ने कभी देखा नहीं। ये चिंतामणि रत्न आदि उन्हीं की इच्छा पूर्ण करते हैं, जिनका पूर्वकृत सातिशय पुण्य होता है। सबकुछ मिलता पुण्य से ही है, पर निमित वो चिंतामणि रत्न आदि होते हैं। इसलिए हम कह देते हैं कि मनोवांचित फल प्रदान करने वाला चिंतामणि रत्न है।

Leave a Reply