भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर-7 , राजयोग भवन में हर सण्डे चलने वाली डिवाईन ग्रुप के क्लास में ब्रह्माकुमारी मिली बहन ने बच्चों को कहा कि जैसे हमारे दोस्त होंगे वैसे ही हम बन जाते है। संग का रंग कब हमें बदल देता है हमें पता ही नहीं चलता। गलत संग के कारण पराक्रमी योद्धा कर्ण युद्ध हार गया क्योंकि उसने कौरव दुर्याेधन से दोस्ती की और पाण्डवों ने श्री कृष्ण से। हमेशा सच्चे दोस्त बनाये जो हमे सत्य मार्ग पर ले जाये। जो दोस्त ये राय दे कि चुपचाप घूमने चलों घर पर क्या पता चलेगा वैसा दोस्त खुद डूबेगा और हमें भी डुबायेगा। हमें जीवन में सही दोस्त का चुनाव करना चाहिए। कृष्ण की दोस्ती ने सुदामा को कितना ऊंच बना दिया।
जीवन के तीन जरूरी दोस्त के बारे में आपने बताते हुए कहा कि पहला सबसे सच्ची दोस्त हमारी माँ है। हमें जन्म देकर जब हम बोल भी नही सकते थे तो भी वह हमारी बात समझ कर हमारी जरूरते पुरी कर देती थी, तो क्या वह अब हमारी बात नही समझ पायेगी। माँ अगर कोई बात के लिए मना करे तो हमें बुरा क्यों लगता है, जबकि इस संसार में हमारें बारे में उनसे अच्छा कोई सोच नही सकता।
दूसरा दोस्त हमारे पिता जिस पिता ने अपना जीवन हमारे नाम कर दिया यदि उसने हल्का सा डांटा तो हम पलटकर जवाब देंगें या रूठ जायेंगे। आज हम जो है वह पिता के कारण वो नही होते तो हम भी नही होते।
तीसरा और सच्चा दोस्त परमात्मा जिसने मुझे ऐसे माता पिता दिये मुझे इतना अच्छा जीवन दिया तो वह खुद कितना सुंदर होगा। इसलिए मुझे इस जीवन की कद्र करनी है।
ये तीनों बेस्ट फ्रेन्डस का हाथ जीवन में कभी नही छोडना है। आई एम बेस्ट फ्रेन्ड आॅफ गॉड का स्लोगन पक्का कराकर सभी को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया।