भिलाई। टेक्विप-3, सीएसवीटीयू, भिलाई के तहत श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस (एसएसटीसी) में 15 -16 जून 2019 को “ग्रीन फ्यूचर रिसोर्सेज एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट” शीर्षक में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला ने टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों पर विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे शोधकर्ताओं के विचारों, अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। इसने विभिन्न विषयों को कवर किया जैसे – पर्यावरण संरक्षण तकनीक सहित, हरित प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय और स्मार्ट ऊर्जा प्रणाली। ये विषय प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और इसके संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम की तकनीक, ई-कचरा, औद्योगिक अपशिष्ट, कचरे के पुनर्चक्रण, हरित रसायन के साथ पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के निर्माण के लिए सहायक हैं।15 जून, 2019 को कार्यशाला की शुरुआत में डॉ. पी. बी. देशमुख, निदेशक, एसएसटीसी ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और “मदर नेचर ‘से अधिकतम लाभ प्राप्त करने एवं सतत विकास के लिए इसे नुकसान ना पहुंचाए हुए आत्म अनुशासन, रणनीति और धैर्य (डीएसपी) पर अपने विचार साझा किए। डॉ. कल्लोल के घोष, एसओएस इन केमिस्ट्री, पं. रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी, रायपुर द्वारा डॉ. देशमुख के विचारों को सराहा गया। पहले सत्र में डॉ. घोष ने अपने विचारों को “रीसेंट एडवांसेस इन ग्रीन नैनोपार्टिकल्स फॉर बायोलॉजिकल वर्क” विशेष रूप से अल्जाइमर रोग पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने सतत विकास के लिए कम लागत वाले जल संरक्षण, खाद के माध्यम से जैव-उर्वरक और हरित अर्थव्यवस्था पर भी अपने विचार साझा किए।
इसी सत्र में एमएलबी कॉलेज, भोपाल की डॉ. शालिनी सक्सेना ने “वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट वाई कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड”, जिसमे “रीड ग्रास” और सिंचाई के उद्देश्य से उपचारित अपशिष्ट-जल के उपयोग के विषय में अत्यंत सूचनात्मक एवं रोचक व्याख्यान दिये। दूसरे सत्र में, श्री मनोज जिंदल के साथ डॉ. संतोष के. सार ने “रेडिएशन- आ फैक्ट आॅफ लाइफ” पर एवं डॉ. श्वेता चौबे ने “वेस्ट वाटर- आ फ्यूचर रिसोर्सेस” पर अपने विचार साझा किये।
कायर्शाला के दुसरे दिन डॉ. राजेश्वर सिंह, सीसीईटी, भिलाई, ने प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण पर तथा जीजीयू, बिलासपुर के डॉ. एच. एस. तिवारी और डॉ. संतोष के. ठाकुर ने हरित संसाधनों का उपयोग करते हुए सतत विकास पर अपने विचारों को व्यक्त किया।
श्री आई पी मिश्रा, चेयरमैन एसजीईएस, श्रीमती जया मिश्रा, अध्यक्ष, एसजीईएस एवं डॉ. पी बी देशमुख, निदेशक एसएसटीसी, ने आयोजन समिति को बधाई दी और अपने मूल्यवान विचारों और कायर्शाला के महत्व को साझा किया और शोधकर्ताओं को यह अवसर प्रदान करने के लिए सीएसवीटीयू, भिलाई को धन्यवाद दिया।
यह कायर्शाला समन्वयक डॉ सुप्रिया विश्वास के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। उन्होंने कहा की यह कायर्शाला मुख्य रूप से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों और हरित तकनीकों पर केंद्रित होते हुए अनुसंधान कार्यों में इसकी भागीदारी एवं उपयोगिता अति सराहनीय है। साथ ही साथ उन्होंने कहा की यह कायर्शाला संकाय सदस्यों और नवीन शोधकर्ताओं के लिए अत्यधिक फायदेमंद रहेगी।