भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय नेत्रदान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना एवं नवदृष्टि फाउंडेशन के संयुक्त तात्वावधान में ‘नेत्रदान महादान’ का संकल्प पत्र भरा गया कार्यक्रम में नवदृष्टि फाउंडेशन संस्था के संस्थापक अनिल बल्लेवार, अध्यक्ष कुलदीप भाटिया, सचिव राज अढ़तिया, सदस्य जितेन्द्र हासवानी उपस्थित हुये। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने की। इस अवसर पर कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुये रासेयो प्रभारी दीपक सिंह, स.प्रा. कम्पयूटर साइंस ने बताया ‘नेत्रदान महादान’। इस संकल्प को पूरा करने के लिये इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा अगर मरने के बाद दुनिया देखना चाहते हैं तो नेत्रदान करना चाहिये। लाखों लोग अभी भी दृष्टि से वंचित हैं। एक व्यक्ति का किया गया नेत्रदान दो लोगो की आंखों में ज्योति भर सकता है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा व्यक्ति अपने लिये लिये जीता है परंतु दूसरों के लिये जीना सीखे। आज देश की एक बड़ी आबादी अंधत्व की शिकार है। यदि हम अपने जिंदा रहते हुये संकल्प पत्र भर दें एवं अपने परिजनों व समाज के अन्य लोगों को भी नेत्रदान के लिये प्रेरित करें तो अंधत्व की समस्या को काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। हर इंसान चाहता है कि ऐसा कुछ करें कि मरने के बाद भी लोग उन्हें याद करें। नेत्रदान एक साधन है जिससे हमकों अपने पास से कुछ भी देना नहीं पड़ेगा फिर भी हमें जिंदगी में सुकून मिलेगा।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने संदेश में कहा अगर हमारे पास मंदिरों में दान के लिये पैसे नहीं है तो कोई बात नहीं। अगर हम अपना नेत्रदान करें तो मुझे विश्वास है कि हम बहुत पुण्य कमायेंगे। अगर भारत के एक प्रतिशत लोग भी नेत्र दान करें तो भारत के समस्त दृष्टिबाधित लोगों को नेत्र मिल जायेगा।
अनिल बल्लेवार ने कहा कि हर दिन नया और अनोखा होता है इसलिये हर दिन को भरपूर जिने का प्रयास करना चाहिये। आज विश्व नेत्रदान दिवस है। नवदृष्टि फाउंडेशन द्वारा नेत्रदान के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से नेत्रदान के महत्व पर व्याख्यान एवं संकल्प पत्र भराने का निर्णय लिया गया। कई बार हम नेत्रदान करना चाहते हैं पर हमें पता नहीं होता हम नेत्रदान कहां करें। मरने के बाद पांच या छ: घण्टे के अंदर आपको नेत्रदान करना है कई बार परिवार वाले ही नेत्रदान कराने से मना कर देते हैं। अत: नेत्रदान करने के लिये शीघ्रता करना चाहिये।
राज अढ़तिया ने कहा- शिक्षक समाज के कर्णधार हैं वे और अधिक लोगों को नेत्रदान करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। आपके बाद भी आपकी निगाहें इस खुबसूरत दुनिया को देखते रहेगी इसलिये नेत्रदान करें।
कुलवंत भाटिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग बीस हजार लोग ऐसे हैं जो नेत्रदान की प्रतीक्षा में खड़े हैं। यदि 10 हजार लोग भी मरणोपरांत नेत्रदान कर दें तो इन सबकी आंखों में रौशनी लौट सकती है। लोगों में भ्रांति है अगर हम नेत्रदान करेंगे तो अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे। यह गलत धारणा है, अगर हम स्वयं नेत्रदान करते हैं तो और लोगों को प्रेरित कर सकते हैं।
कार्यक्रम में महाविद्यालय, श्री शंकराचार्य विद्यालय, श्री शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक/प्राध्यापिकायें उपस्थित हुये। कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. स्वाति पांडेय स.प्रा. शिक्षा विभाग ने किया।