नई दिल्ली। मोदी सरकार टू के कामकाज के पहले दिन ही शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के बड़े संकेत मिले हैं। कस्तूरीरंगन कमेटी ने नई एजुकेशन पॉलिसी का ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया है। इस ड्राफ्ट में मौजूदी शिक्षा व्यवस्था में कई तरह के बदलाव करने की सलाह दी गई है। नई एजुकेशन पॉलिसी में कहा गया है कि बच्चों को कम से कम पांचवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए जिसमें वो इन्हें बोलना सीखें और इनकी स्क्रिप्ट पहचाने और पढ़ें। ड्राफ्ट के मुताबिक फीस को लेकर स्कूल की मनमानी पर लगाम लगाने की बात कही गई है और महंगाई दर देखकर स्कूल की फीस बढ़ाने की सलाह दी गई है।नई एजुकेशन पॉलिसी का ये ड्राफ्ट इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने तैयार किया है। स्कूलों के माहौल को ठीक करने पर भी इसमें जोर दिया गया है। ड्राफ्ट के मुताबिक फीस को लेकर स्कूल की मनमानी पर लगाम लगाने की बात कही गई है और महंगाई दर देखकर स्कूल की फीस बढ़ाने की सलाह दी गई है।
वहीं नई एजुकेशन पॉलिसी में बोर्ड एग्जाम के तनाव को कम करने का भी सलाह दिया गया है। बच्चों के लिए मल्टिपल टाइम एग्जाम देने का विकल्प देने का सुझाव दिया गया है। स्कूली शिक्षा के स्तर को बढ़ने के लिए इ.एऊ का कोर्स 4 साल की करने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है।
मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ था। नयी शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा थी। खास बात ये है कि इस पॉलिसी का इंतजार करीब दो साल से हो रहा था और आखिरकार यह तैयार होकर मंत्रालय में आ गई है।