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फास्ट पर नजर रखकर टाल सकते हैं ब्रेन स्ट्रोक-फालिज का खतरा

Jul 19, 2019

स्पर्श ने नेहरू नगर सियान सदन में चलाया जागरूकता अभियान भिलाई। बढ़ती उम्र के साथ नसों, स्नायुतंत्र, मांस पेशियों एवं अस्थियों में कमजोरी आती है। इसके साथ ही बढ़ता चला जाता है ब्रेन स्ट्रोक और उससे लकवा लगने का खतरा। चेहरा, बांह, वाणी में होने वाले परिवर्तन और समय पर प्रतिक्रिया ही इससे बचने का एकमात्र तरीका है। उक्त बातें न्यूरो फिजिशिएशन डॉ अनूप गुप्ता ने नेहरू नगर सियान सदन में कहीं। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल द्वारा सियान सदन में आयोजित इस तीसरे स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आईने में चेहरा कुछ बदला हुआ सा लगे या किसी और का चेहरे की सिमेट्री बिगड़ती हुई लगे तो सचेत हो जाना चाहिए।

भिलाई। बढ़ती उम्र के साथ नसों, स्नायुतंत्र, मांस पेशियों एवं अस्थियों में कमजोरी आती है। इसके साथ ही बढ़ता चला जाता है ब्रेन स्ट्रोक और उससे लकवा लगने का खतरा। चेहरा, बांह, वाणी में होने वाले परिवर्तन और समय पर प्रतिक्रिया ही इससे बचने का एकमात्र तरीका है। उक्त बातें न्यूरो फिजिशिएशन डॉ अनूप गुप्ता ने नेहरू नगर सियान सदन में कहीं। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल द्वारा सियान सदन में आयोजित इस तीसरे स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आईने में चेहरा कुछ बदला हुआ सा लगे या किसी और का चेहरे की सिमेट्री बिगड़ती हुई लगे तो सचेत हो जाना चाहिए। Nehru-Nagar-Siyan-Sadan  भिलाई। बढ़ती उम्र के साथ नसों, स्नायुतंत्र, मांस पेशियों एवं अस्थियों में कमजोरी आती है। इसके साथ ही बढ़ता चला जाता है ब्रेन स्ट्रोक और उससे लकवा लगने का खतरा। चेहरा, बांह, वाणी में होने वाले परिवर्तन और समय पर प्रतिक्रिया ही इससे बचने का एकमात्र तरीका है। उक्त बातें न्यूरो फिजिशिएशन डॉ अनूप गुप्ता ने नेहरू नगर सियान सदन में कहीं। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल द्वारा सियान सदन में आयोजित इस तीसरे स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आईने में चेहरा कुछ बदला हुआ सा लगे या किसी और का चेहरे की सिमेट्री बिगड़ती हुई लगे तो सचेत हो जाना चाहिए।इसके साथ ही एक तरफ की बांह की ताकत एकाएक चली जाना। दोनों हाथों को एक जैसी हरकत देने में कठिनाई आना, जुबान का लड़खड़ाना जैसे लक्षण हों तो तत्काल किसी न्यूरो फिजिशियन से सम्पर्क करना चाहिए। यह ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। तत्काल औषधियों से मरीज को फालिज का शिकार होने से बचाया जा सकता है। विलम्ब होने पर नुकसान स्थायी हो जाता है और इसे रिवर्स करना कठिन होता है।
गर्दन दर्द, गर्दन में जकड़न के साथ पीठ के एक हिस्से में दर्द का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह भी एक न्यूरोसमस्या हो सकती है। ऐसे रोगियों को ऊंचा तकिया लेकर टीवी देखने, सिर झुकाकर मोबाइल का इस्तेमाल करने, लेटकर अखबार या पत्रिका पढ़ने से बचना चाहिए। दर्द ज्यादा हो तो गर्म सिंकाई कर दर्दनाशक जेल लगाना चाहिए।
डॉ अनूप गुप्ता ने अधिक उम्र मेें सिरदर्द को भी गंभीरता से लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कम उम्र में एकाएक सिरदर्द होने के कई कारण हो सकते हैं पर बुढ़ापे में ब्रेन इसका कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक दो कारणों से हो सकता है। ब्रेन के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह का रुक जाना या फिर किसी हिस्से में नस का फूट जाना और रक्तस्राव के साथ वहां थक्का जम जाना। उच्च रक्तचाप के मरीजों में इसका खतरा अधिक होता है।
डॉ गुप्ता ने सभी वरिष्ठजनों से बीपी, शुगर को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ अपनी दिनचर्या, भोजन आदि का ध्यान रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि शाकाहारी लोगों में विटामिन बी-12 डेफिशियेन्सी एक आम समस्या है। इसके लिए इंजेक्शन लिये जा सकते हैं। बी-12 लिवर में स्टोर हो जाता है और 4-5 साल तक के लिए काफी होता है।
उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों द्वारा पूछे गए अनेक सवालों का बेबाकी से जवाब भी दिया। मौके पर एजीएम मार्केटिंग अनुभव जैन भी उपस्थित थे।

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