भिलाई। भारतीय महिलाएं बच्चों और पति के प्रति इतना समर्पित होती हैं कि स्वयं अपने स्वास्थ्य को हाशिए पर रख देती हैं। अपनी सेहत के प्रति लापरवाही बरतने की वजह से 50 से अधिक उम्र वाली करीब 30 फीसदी महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो जाती हैं। पोषण की कमी, जीवनशैली में बदलाव के कारण हड्डियों की यह समस्या आती है। खासकर महिलाएं अपने कामकाज और परिवार को तवज्जो देने की वजह से खुद का ध्यान नहीं रखतीं। हड्डियों को कमजोर करने वाली इस बीमारी को साइलेंट डीजीज भी कहा जाता है।स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आकांक्षा श्रीवास्तव दशोरे का कहना है कि मीनोपॉज के बाद महिलाओं में यह खतरा काफी बढ़ जाता है। महिलाओं के शरीर में कैल्शियम का अवशोषण 30 साल बाद घटना शुरू हो जाता है। इसका पता तब चलता है, जब हल्की सी चोट या झटके की वजह से फ्रैक्चर हो जाता है। युवा पीढ़ी के इसकी चपेट में आने की संभावना और भी अधिक है। जंक फूड, अल्कोहल, शहरी रहन सहन, एक्सरसाइज की कमी आदि इसका प्रमुख कारण हैं।
उन्होंने बताया कि महिलाओं की हड्डियों का घनत्व पुरुषों के मुकाबले कम होता है और उम्र बढ़ने के साथ इसमें तेजी आती है। महिलाओं में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, लेकिन मीनोपॉज के बाद इसकी मात्रा घटने लगी है, जिससे हड्डियों को नुकसान होता है।
ऐसे करें बचाव
ऑस्टियोपोरोसिस के लिए कैल्शियम, प्रोटीन, मैग्नीशियम और विटामिन डी से भरपूर आहार जरूरी है। इसलिए बिना फैट वाला दूध, दही, ब्रोकली, गोभी, मछलियां जैसे सैलमन, बादाम, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि कैल्शियम का बेहतर स्रोत हैं।
क्या करें, क्या ना करें
प्रोटीन से भरपूर चीजों का सेवन करें जैसे दालें, राजमा, अनाज, नट्स, बीज आदि का सेवन करें। तंबाकू, अल्कोहल, रेड मीट, कैफीन के इस्तेमाल से बचें। ज्यादा परेशानी हो तो डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम सप्लीमेंट लें। व्यायाम करें। योगाभ्यास से शरीर में लचक बढ़ती है और शारीरिक मजबूती आती है।