भिलाई। भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित भिलाई महिला महाविद्यालय (बीएमएम) तथा पीजी नर्सिंग कॉलेज के फैकल्टी मेम्बर्स हेतु ट्रस्ट तथा बीएमएम-आईक्यूएसी द्वारा विशेष रूप से आयोजित 4-दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) इन पर्सूट ऑफ़ एक्सीलेंस का समापन हो गया। को़च्चि के लाइफ स्किल कोच, कॉर्पोरेट ट्रेनर एवं मोटीवेशनल गुरू प्रो. थॉमस ओमन ने कार्यक्रम के दौरान शिक्षण को प्रभावी बनाने तथा सफलता के लक्ष्य को हासिल करने के गुर सिखाये। प्रोग्राम के दौरान हुए विभिन्न सेशन्स में पैरडाइम् शिफ्ट इन एजुकेशन इन 21 सेंचुरी, मल्टीपल रोल्स फॉर द टीचर टूडे, टीचर एज ए चेंज एजेंट, टीम बिल्डिंग, टीचर एज एन इफेक्टिव मैनेजर, कोलेबोरेटिव लीडरशिप, आॅगर्नाइजेशनल इफेक्टिवनेस, वैल्यूज एण्ड वर्क एथिक्स, गोल सेटिंग, पर्स्यूट ऑफ़ एक्सीलेंस जैसे टॉपिक्स पर अपने विचार प्रस्तुत किये तथा विभिन्न एक्टीविटीज के माध्यम से एक्सपीरियेंशियल लर्निंग के महत्व को समझाया। कार्यक्रम के दौरान आॅडियो-विजुअल क्लिपिंग्स, शॉर्ट वीडियोज तथा गेम्स के माध्यम से रोचक तरीके से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई।
प्रो. थॉमस ओमन ने इन टॉपिक्स के अंतर्गत प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि नई डिजिटल टेक्नालॉजी ने विगत 15 वर्षों में लर्निंग एवं टीचिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाये हैं। जहां पहले की शिक्षा शिक्षकों पर केन्द्रित थी तथा पूस्तकों, चॉक व चर्चा, तथ्यों की स्मरण क्षमता तथा एकांत शिक्षण पर जोर देती थी वहीं इक्कीसवीं सदी की शिक्षा व्यवस्था सृजनात्मकता, मल्टीपल मेथड्स तथा नवाचार को बढ़ावा देने वाली, कोलेबोरेटिव एजुकेशन की पक्षधर तथा विशेषत: स्टूडेंट्स पर केन्द्रित है। शिक्षण के प्रोफेशन को उन्होंने सम्माननीय बताते हुए कहा कि शिक्षण एक तपस्या है और शिक्षक समाज में आदर और सम्मान का पात्र। शिक्षण क्षेत्र में तेजी से आये बदलावों के चलते वतर्मान परिवेश में शिक्षक की भूमिका भी बदली है अब वह केवल ज्ञान प्रदाता न होकर गाइड, सहयोगी, अभिभावक, मित्र, लीडर, कोच, मेंटॉर, कोच, काउंसलर, मैनेजर, उत्प्रेरक, कैप्टन, कन्डक्टर, रेफरी, नॉलेज इंजीनियर, आकिर्टेक्ट, टीम प्लेयर, क्रियेटीव आर्टिस्ट, और इनोवेटर जैसी अनेक बहुआयामी महती भूमिकाओं का भी निर्वाह कर सकता है। शिक्षण के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों तथा तकनीकी परिवर्तन की वजह से जनरेशन गैप की स्थिति निर्माण होने लगी है इससे निपटने शिक्षकों को समय के साथ स्वयं को अपडेट करना अनिवार्य हो गया है। टीचर्स को अपने आप में पॉजीटीव एटीट्यूड विकसित करना आज के समय को देखते हुए अत्यंत आवश्यक हो गया है। प्रो. थॉमस ने बताया कि यदि कोई शिक्षक अपने व्यक्तित्व को समयानुसार ढालकर भव्य तथा सम्माननीय बनाता है तभी वह अपने शिक्षण के माध्यम से प्रेरित कर अपने विद्याथिर्यों में से राष्ट्र को एक महान व्यक्तित्व प्रदान करने का कार्य कर सकता है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया तथा इस दिशा में कार्य को महत्वपूर्ण बताया। प्रोग्राम के सफल आयोजन में कार्यक्रम संयोजक डॉ. मोहना सुशांत पंडित, डॉ. एम. माधुरी देवी, डॉ. राजश्री शर्मा तथा डॉ. बर्ना मजूमदार का उल्लेखनीय योगदान रहा।
समापन अवसर पर उपस्थित भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि यह आयोजन ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेजों के फैकल्टी मेम्बर्स को और अधिक प्रभावी शिक्षण हेतु प्रेरित करने हेतु किया गया था तथा भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन किये जाते रहेंगे। भिलाई महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. जेहरा हसन एवं उप-प्राचार्या तथा आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. संध्या मदनमोहन पीजी कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग की प्राचार्या डॉ. अभिलेखा बिस्वाल तथा उप-प्राचार्या डॉ. श्रीलेखा ने भी उपस्थितजनों को संबोधित किया। मौके पर डॉ. रूपम अजीत यादव, डॉ. भारती वर्मा, डॉ. भावना पाण्डे, डॉ. प्रतीक्षा पाण्डे सहित समस्त प्रतिभागी फैकल्टी मेम्बर्स उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. थॉमस ओमन को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया तथा प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरित किये गये।