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यदि आपकी राह में कष्ट नहीं हैं तो आप गलत रास्ते पर हैं : विवेकानंद

Jul 5, 2019

स्वरूपांद महाविद्यालय में विवेकानंद स्मृति दिवस पर परिचर्चा का आयोजन

 भिलाई। यदि आपकी राह में कष्ट नहीं हैं तो आप गलत रास्ते पर हैं। यह कहना था स्वामी विवेकानंद का। स्वामी विवेकानंद स्मृति दिवस के अवसर पर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ‘स्वामी विवेकानंद और युवा’ विषय पर परिचर्चा में उक्त वक्तव्य का उल्लेख किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने किया। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारा धर्म कर्म पर आधारित है। कर्म आधारित धर्म के कारण भारत में विश्व गुरू बनने की क्षमता है। युवावस्था उत्कर्ष काल है यह युवाओं के कर्म करने का काल है।भिलाई। यदि आपकी राह में कष्ट नहीं हैं तो आप गलत रास्ते पर हैं। यह कहना था स्वामी विवेकानंद का। स्वामी विवेकानंद स्मृति दिवस के अवसर पर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ‘स्वामी विवेकानंद और युवा’ विषय पर परिचर्चा में उक्त वक्तव्य का उल्लेख किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने किया। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारा धर्म कर्म पर आधारित है। कर्म आधारित धर्म के कारण भारत में विश्व गुरू बनने की क्षमता है। युवावस्था उत्कर्ष काल है यह युवाओं के कर्म करने का काल है। विवेकानंद ने यही बताया धर्म का मूल उद्धेश्य बोध नहीं अपितु मोक्ष प्रदान करना है। अगर भारत का अध्यात्म ज्ञान व विदेशों का तकनीकी ज्ञान का समन्वय हो जाय तो भारत सम्पूर्ण विश्व में अग्रणी स्थान बना सकता है। उन्होंने आग्रह किया आज की पीढ़ी को पोथी में उलझा कर न रखे अपितु उसे वैज्ञानिक ज्ञान दें। कार्यक्रम के उद्धेश्यों पर प्रकाश डालते हुये कार्यक्रम प्रभारी डॉ. पूनम शुक्ला ने कहा विवेकानंद आज के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत व नवीन भारत के स्वप्न दृष्टा थे। उन्होंने कहा था अगर आपके जीवन में कठिनाइयां नहीं आ रही है तो इसका मतलब है आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं क्योंकि सही रास्ता कठिनाइयों व संघर्षों से भरा होता है।
शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डॉ. पूनम निकुम्भ ने विवेकानंद के अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा विवेकानंद विद्यार्थियों की प्रेरक शक्ति रहे है। उन्होंने युवाओं को किताब से हटकर आध्यात्मिक शिक्षा की ओर जाने के लिये प्रेरित किया और कहा उठो जागो, और तब तक मत रूको तब तक आप अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लो। स.प्रा. दुर्गावती मिश्रा ने कहा विवेकानंद के अनुसार ईष्वर के प्रति विचारों को स्पष्ट करते हुये कहा हर आत्मा में परमात्मा का वास होता है अगर हम किसी दुखी व्यक्ति के दूख को दूर करते है तो परमात्मा की सेवा अपने आप हो जाती है।
स.प्रा. मंजुषा नामदेव ने बताया स्वामी विवेकानंद मूल्य शिक्षा पर बल देते थे। मूल्यहीन शिक्षा विद्याथिर्यों को पतन की आरे ले जाती है डॉ. सुनीता वर्मा ने बताया स्वामी विवेकानंद स्त्री शिक्षा के पक्षपाती थे। उन्होंने कहा था जैसे चिड़ियॉ एक पंख से उड़ान नही भर सकती वैसे ही समाज की उन्नति स्त्री के सहयोग के बिना संभव नहीं है।
स.प्रा. शैलजा पवार ने बताया स्वामी विवेकानंद मनुष्य के चारित्रिक बल व स्वअनुशासन पर बल देते थे अगर हम अपनी इंद्रियों को वश मे कर लें स्वयं अनुशासित हो जाये तो हमें किसी कानून की आवश्यकता नहीं है।
डॉ. तृषा शर्मा ने बताया स्वामी विवेकानंद ने भारत नहीं अपितु विश्व में धर्म का प्रचार किया हम दूसरों को सलाह देते है, उसपर अमल करें विवेकानंद के विचारों पर मात्र चर्चा ने करें अपितु अपने जीवन में उतारें तो यह सच्ची श्रद्धांजली होगी।
स.प्रा.मंजु कनौजिया ने कहा आज का युवा तकनीकी दृष्टि से बहुत उन्नत है शिक्षा में युवाओं को आकर्षित करने की क्षमता होनी चाहिए। विवेकानंद धर्मशास्त्री, दर्शन शास्त्री, शिक्षा शास्त्री एक साम्य थे। उन्होंने सलाह दी स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरूषों का जीवन चरित्र मीडिया में दिखाया जाता चाहिये ।
डॉ. शमा ए बेग ने बताया स्वामी विवेकानंद विलक्षण व तूफानी साधु थे। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया। बुद्ध ने ध्यान से, प्रभू ईसा ने सेवाओं से मोक्ष प्राप्त किया। परन्तु विवेकानंद ने युवाओं को कर्म के द्वारा मोक्ष प्राप्त करने का संदेश दिया। उनका अंतिम वाक्य था मैं संघर्ष करते रहना चाहता हूँ। स.प्रा. खुशबू पाठक ने विवेकानंद के स्त्री संबंधी विचारों पर प्रकाश डाला।
मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञाप डॉ. पूनम शुक्ला ने किया कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक/प्राध्यापिकायें शामिल हुर्इं।

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