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स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 पर चर्चा

Jul 23, 2019

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 विषय पर यूजीसी और एचआरडी के निर्देशानुसार विभिन्न कार्यक्रम कराये गये। सर्वप्रथम सभी प्राध्यापकों एव छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप की विस्तृत जानकारी दी गयी एवं नीतियों से अवगत कराया गया। महाविद्यालय की यूजीसी समिति के द्वारा चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें समस्त प्राध्यापकों एवं विद्याथिर्यों ने अपना मत प्रस्तुत किया।भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 विषय पर यूजीसी और एचआरडी के निर्देशानुसार विभिन्न कार्यक्रम कराये गये। सर्वप्रथम सभी प्राध्यापकों एव छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप की विस्तृत जानकारी दी गयी एवं नीतियों से अवगत कराया गया। महाविद्यालय की यूजीसी समिति के द्वारा चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें समस्त प्राध्यापकों एवं विद्याथिर्यों ने अपना मत प्रस्तुत किया। डॉ. दीपक शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने महाविद्यालय के प्रयास की सराहना करते हुये कहा प्राध्यापक विद्यार्थियों से व अध्यापन कार्य से सीधे जुड़े होते हैं अत: विद्यार्थियों की समस्त पाठ्यक्रम में क्या बदलाव होना चाहिये जो विद्यार्थियों को नये वातावरण में सामंजस्य स्थापित करने के साथ-साथ रोजगार उपलब्ध करा सके। डॉ. शर्मा ने कहा प्राध्यापकों की सलाह ज्यादा व्यवहारिक होंगी क्योंकि वे शिक्षा के नई आवश्यकताओं को समझते हैं।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा समस्त विश्वविद्यालय में एक ही पाठ्यक्रम हो स्नातक के लिये अंतिम वर्ष में विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार उद्यमिता प्रतियोगी परीक्षा अनुसंधान आदि का एक विषय हो जिससे विद्यार्थी अपने रूचि अनुसार एक विषय का चयन कर सके। विद्यार्थी उच्च शिक्षा में मूल्य शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं अत: उच्च शिक्षा में मूल्य शिक्षा व आध्यात्मिक शिक्षा लागू किया जाना चाहिये जिससे विद्यार्थी समाज व सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझ सके।
डॉ. नीलम गांधी ने आॅटोनामस प्रणाली हटाने की बात कही, डॉ. तृषा शर्मा और डॉ. सुनीता वर्मा ने क्षेत्रीय भाषा को सम्मिलित कर त्रि-भाषीय पाठ्यक्रम में सहमति जताई, प्रौढ़ शिक्षा लागू करने डॉ. निहारिका देंवांगन और डॉ. पूनम निकुम्भ ने अपना मत दिया। डॉ. रजनी मुदलियार, श्रीमती सुनीता षर्मा ने व्यावसायिक शिक्षा को सम्मिलित करने पर जोर दिया। डॉ. शमा ए. बेग ने उर्जावान और सक्षम संकाय की समस्त उच्च शिक्षा विभाग में स्थापना के लिए अपना मत प्रस्तुत किया। डॉ. रचना पाण्डेय और श्रीमती श्वेता दवे ने प्राध्यापकों की समान काम समान वेतन पर ध्यान आकृष्ट किया।
श्री कृष्णकांत दुबे ने छात्रों के लिये महाविद्यालय में स्वस्थ माहौल पर ध्यान देने पर बल दिया जिससे छात्र आदर्श पथ पर चल शिक्षा ग्रहण कर सके। डॉ. पूनम निकुंम्भ, कु. दुर्गावती मिश्रा, श्रीमती आरती गुप्ता, डॉ. व्ही. सुजाता, श्रीमती मंजुशा नामदेव, श्रीमती मीना मिश्रा, डॉ. पुनम शुक्ला, डॉ. स्वाति पांडेय एवं अन्य प्राध्यापकों ने भी अपने विचार प्रस्तुत कर उच्च शिक्षा की नीतियों में 21वीं सदी के अनुसार बदलाव को आवश्यक एवं तत्परता से लागू करने के विचारों पर टिप्पणी की।
कु. पूजा साहू बीएससी, ने दो भाषा लागू करने पर अपना मत व्यक्त किया, क्षेत्रीय भाषा नहीं लागू करना चाहिये का मत कु. जयन्ती दनारे, कु. दिव्याश्री ने दिया। छात्रों ने कौशल शिक्षा को पाठ्यक्रम के साथ जोड़ने पर अपना मत व्यक्त किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. हंसा शुक्ला ने की। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन, यूजीसी कमेटी की सह संयोजिका डॉ. शमा ए. बेग ने किया।

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